61.21 करोड़ की एनआरसीडी योजना
महोबा राष्ट्रीय नदी झील जल संरक्षण अन्तर्गत प्रदेश के चार जनपदों में प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण योजना के तहत चार सरोवरों को 2009 में चिन्हित किया गया था। जिसमें महोबा का मदन सागर सरोवर शामिल है। इस योजना के तहत 4 साल के बाद अब यह सम्भावनाएं प्रबल हुई हैं कि मौजूदा समय में शहर के बीच बने दुर्दशा को प्राप्त शहर के जलापूर्ति करने वाले ऐतिहासिक मदन सागर सरोवर के दिन जल्द बहुर सकेगे,क्योंकि 62.6027 करोड़ की अनुमानित व्यय की इस परियोजना को 61.2111 करोड़ की अनुमोदन मिलने के साथ योजना की शर्त के मुताबिक 30 फीसदी व्यय यू.पी. सरकार को करना है, इस हेतु महोबा पालिका से व्यय पर स्वीकृति पत्र थ्रो चैनल भारत सरकार को प्रेषित कर दिया गया है। पूर्व में इस परियोजना पर 57.68 करोड़ का व्यय प्रस्तावित था लेकिन समय से योजना के प्रारम्भ न होने से लागत बढ़ी। अब परियोजना को तीन वर्षो में पूर्ण होना है और इसकी लागत भी 57.68 करोड़ से बढ़कर 62,60 करोड़ जा पहुंची है।
एनआरसीडी के तहत सौन्दर्यीकरण हेतु गोरखपुर के रामगढ़,मथुरा के मानसीलेख व झांसी शामिल है। जहां झांसी में थोड़ा काम भी हुआ, लेकिन बीच में बंद हो गया । महोबा में अभी परियोजना के महज कागजी घोड़े ही चार वर्षो में दौड़ रहे है । महोबा मदन सागर का 28 दिसम्बर 2012 को केन्द्र को वाटर सैम्पल भेजा गया था और उम्मीद जतायी गयी थी कि यहां से सेन्ट्रल ग्राउण्ड लैब में टेस्ट के उपरांत धन आंवटन के साथ काम शुरू हो सकेगा और केवल दो वर्षों के भीतर इस परियोजना के सम्पूर्ण कार्य को पूरा किया जाएगा। तीन चरणों में इस परियोजना को अंजाम दिया जाना है। सुन्दरीकरण,पार्क लाइटिंग घाट,व्यूटीफिकेशन, जो अलग-अलग विभाग अंजाम देंगे। इस पूरी परियोजना में 57 करोड़ 68,67970 रूपये का व्यय तब होना था, जो अब लगभग 5 करोड़ बढ़ गया है। फिर भी यदि अब निर्धारित तीन वर्षो में परियोजना पूर्ण होती है तो मदन सागर सरोवर एक पर्यटन स्थल के रूप में डेवलप हो सकेगा,जो विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहों जाने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल होगा।
जल निगम निर्माण के अधिशाषी अभियन्ता जनार्दन सिंह ने बताया कि मदन सागर सरोवर के सुन्दरीकरण के लिए 62.3027 करोड़ के व्यय सापेक्ष 61.2111 करोड़ वित्त समिति ने अनुमोदित किए हैं और भारत सरकार की उक्त विभागीय गाईड लाइन के मुताबिक इस व्यय में तीस फीसदी प्रदेश सरकार को वाहन करना है। इसमें मरम्मत व रख-रखाव की जिम्मेदारी नगर पालिका परिषद महोबा को उठानी होगी। नगर पालिका परिषद महोबा ने पत्र भारत सरकार को योजना व धन आंवटन के लिए भेज दिया है। इससे परियोजना के जल्द शुरू होने की सम्भावनाएं बढ़ गयी है। क्योंकि अब तक परियोजना के पांव सिर्फ इसलिए ही नहीं दिख रहे थे,कि जब तक प्रदेश सरकार इस परियोजना हेतु निर्धारित 30 फीसदी के व्यय मरम्मत व रख-रखाव की जिम्मेदारी हेतु अपनी स्वीकृति व सहमति नहीं देती, केन्द्र सरकार से धन आवंटन सम्भव नहीं था। पूर्व में राष्ट्रीय नदी झील जल संरक्षण योजना (एनआरसीडी) के तहत यहां के निदेशालय के तत्कालीन उपनिदेशक एस. के. श्रीवास्तव के आगमन और मदन सागर सरोवर के निरीक्षण सर्वे के बाद परियोजना को अब साकार रूप पाने की सम्भावनाएं बढ़ी है। महोबा में 62.2111 करोड़ की लागत से मदन सागर सरोवर का इस प्रकार सुन्दरीकरण किया जाना प्रस्तावित है कि यहां से जलकुम्भी का सफाया कर पार्क का निर्माण झूले और लाइटिंग की बेहतर व्यवस्था के साथ मदन सागर सरोवर में जल क्रीडा और विहार हेतु बोटिंग की व्यवस्था की जाएगी। इससे पूर्व मदन सागर सरोवर को डेढ़ मीटर गहरा खुदाई कर किया जाना है। इस सौन्दर्यीकरण की स्वीकृति हासिल हो चुकी है। धन आंवटन की प्रतीक्षा है। प्रदूषण नियंत्रण एवं सुन्दरीकरण योजना के तहत मदन सागर सरोवर के घाटों का निर्माण,इस सरोवर में पहुंचने वाले गन्दे जल की पूर्णतया रोक की व्यवस्था के साथ बाउण्ड्रीवाल का भी निर्माण शाखा व जल निगम विद्युत यांत्रिक शाखा के अलावा नगर पालिका,वन विभाग को जिम्मेदारी सौपीं गयी है।
जल निगम,जल प्रदूषण नियंत्रण का काम और वन विभाग पार्क लाइटिंग घाट निर्माण,व्यूटीफिकेशन का काम नगर पालिका अंजाम देगी। टेस्टिंग के बाद सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट कल्याण सागर में बनेगा। यहां 11 नालों के जरिए गंदे पानी को ले जाकर साफ करके पानी किसानो को दिया जाएगा। जबकि सलारपुर से मदन सागर तक पक्की नहर बनाकर पानी दिया जायेगा। इस काम को जल निगम करेगा, जिसके लिए उसने स्टीमेट बनाकर (एनआरसीडी) को भेजा है और वह इसे विशेष प्राथमिकता पर रखे हैं। कल्याण सागर में बनने वाला ट्रीटमेन्ट प्लान्ट 4 (एमएलडी )का होगा। इस एन आर सीडी योजना में पहले वर्ष में दस करोड़,दूसरे व तीसरे वर्ष में 25.25 करोड़ का व्यय होना प्रस्तावित है।
मदन सागर सरोवर के मध्य स्थित सर्वाधिक सौन्दर्य प्रदान करने वाला ऐतिहासिक चन्देलकालीन स्मारक खकरामठ है जिसे मदन वर्मन की वास्तुकला की सौन्दर्यप्रियता का जीवन्त उदाहरण माना जाता है। यह 103 फीट लम्बे व 42 फीट चौड़े घेरे में बना है। जर्नल कनिघम ने 1843 ईसवी के प्रथम आगमन में इसके गर्भगृह में शिवलिंग के भग्नावशेष देखे थे। वर्तमान में यहां शिवमूर्ति नहीं है। किन्तु यह आज भी आकर्षण का केन्द्र है। मदन सागर सरोवर के सौन्दर्यीकरण के साथ निश्चित रूप से इस ऐतिहासिक खकरामठ की भी तस्वीर बदलेगी, क्योंकि योजना है कि मदन सागर सरोवर के मध्य से एक पुल का निर्माण कर यहां तक पहुंच मार्ग निर्मित किया जायेगा,जो वास्तव में इस स्मारक की सुन्दरता में चार-चांद लगाने का काम करेगा।
संकलनकर्ता
पंकज बागवान,महोबा
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Post By: pankajbagwan