आहार में एस्ट्रोजन पुरुषों पर प्रभाव

मेनका गाँधी
मेनका गाँधी


प्रतिमत

शोधों से यह साबित हो चुका है कि ज्यादा मात्रा में दुग्ध उत्पाद का सेवन, पुरुषों में एस्ट्रोजन हॉर्मोन को बढ़ा देता है जो मेल हॉर्मोन के प्राकृतिक उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। मेनका संजय गाँधी कहती हैं कि यह संभलने का समय है, दुग्ध उत्पाद के बदले पुरुषों को खान-पान में हरी और पत्तेदार सब्जियों के इस्तेमाल को बढ़ाना होगा ताकि कैल्शियम की जरूरत पूरी हो सके।

मैंने अपने दूसरे अन्य लेख में बताया था कि एनिमल फैट पुरुषों के सीमेन की मात्रा और गुणवत्ता दोनों को ही प्रभावित करते हैं। ऐसा लगता है कि यह तथ्य पुरुषों को मीट और दुग्ध उत्पाद से दूर रखने के लिये काफी हैं। लेकिन कई और भी ऐसे कारक हैं जो आपको इसके लिये मजबूर करेंगे। वसा में घुलने वाला एस्ट्रोजन, प्राथमिक फीमेल सेक्स हॉर्मोन, दुग्ध उत्पाद और पशुओं से मिलने वाले उत्पाद जैसे अंडे आदि में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। दूध और अन्य दुग्ध उत्पाद मूल रूप से मनुष्य के लिये सबसे बड़े आहार रूपी एस्ट्रोजन के स्रोत हैं।

एस्ट्रोजन के कुल उपभोग का 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं से प्राप्त होता है। शोधों द्वारा यह साबित हो चुका है कि वैसे पुरुष जो दुग्ध उत्पाद का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं उनमें एस्ट्राडिओल नामक फीमेल हार्मोन की मात्रा ज्यादा होती है। यह पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरॉन (प्रमुख सेक्स हॉर्मोन) के उत्पादन की मात्रा को कम कर सकता है। इस स्थिति में पुरुषों की आवाज की पीच बढ़ने के साथ ही स्तन आकार में वृद्धि और इरेक्टिकल डाईफंक्शन की समस्या आती है।

वर्तमान में प्रचलित डेयरी फार्मिंग के तरीके, पुरुषों के लिये तो और भी खतरनाक हैं। बाजार में उपलब्ध कुल दुधारू गायों की संख्या में 75 प्रतिशत से ज्यादा गर्भवती होती है जिनमें एस्ट्रोजन हॉर्मोन का लेवल काफी ज्यादा होता है। समय के साथ हुए जेनेटिक बदलाव के कारण अब गायें और भैसें अपनी पूरी गर्भावस्था के दौरान दूध देना बन्द नहीं करतीं। साथ ही ज्यादातर लोग अधिक-से-अधिक दूध प्राप्त करने के लिये गाय और भैंस के बच्चे जनने के दो से तीन दिन बाद ही उनका गर्भाधान करा देते हैं। इस तरह ये हमेशा ही गर्भवती रहती हैं।

एक ऐसा भी समय था जब तीन लीटर दूध देने वाली गायों को सर्वोत्तम माना जाता था। लेकिन अब गाय और भैंस के मालिक एक दिन में 15 से 24 लीटर दूध की आशा रखते हैं जो किसी भी तरह से प्राकृतिक नहीं है। गर्भवती नहीं रहने वाली गायों के मट्ठे में 30 pg/ml एस्ट्रॉन सल्फेट (एक प्राकृतिक स्टेरॉइड जो एस्ट्रोजन में मिलता है) पाया जाता है। गर्भावस्था के शुरुआती दौर में इसकी मात्रा 151pg/ml और अन्तिम अवस्था में 1,000 pg/ml तक हो सकता है। वैसा दूध जिसमें बहुत अधिक मात्रा में एस्ट्रोजन से मिलने वाला स्टेरॉइड हो वह जानवरों के प्लाज्मा में पाये जाने वाले स्टेरॉइड की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा होता है। ऐसा दूध पुरुष के लिये मीट से भी ज्यादा हानिकारक होता है। पुरुष के लिये 10 से 40 pg/ml स्टेरॉइड का लेवल हानिकारक नहीं होता है।

एस्ट्राडिओल एक प्रकार का स्टेरॉइड, एस्ट्रोजन के साथ ही प्राथमिक फीमेल सेक्स हॉर्मोन है। यह मेनोपॉज के लक्षण से जुड़ी समस्याओं के इलाज में प्रयोग में लाया जाता है। गर्भावस्था के दौरान गायों में एस्ट्रोजन की मात्रा का ज्यादा होना जरूरी है क्योंकि यह उनके बच्चे के विकास के लिये आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त ज्यादातर मामलों में बछड़ों को उनके जन्म के कुछ दिनों के बाद ही उनकी माताओं से अलग कर दिया जाता है और उनका पोषण डब्बा बन्द दूध के सहारे होता है। डब्बा बन्द दूध का इस्तेमाल मनुष्य के लिये भी सुरक्षित नहीं है। ज्यादा एस्ट्रोजन की मात्रा वाला दूध गर्भ में पल रहे बछड़ों के विकास के लिये जरूरी है और कहीं-न-कहीं इससे मानव जाति भी प्रभावित होती है।

सब्जियाँ मीट भी एस्ट्रोजन का एक बड़ा सोर्स है। यह जानवरों के पालन-पोषण के वर्तमान तरीकों से भी गाइड होता है जिसमें इंजेक्शन और अन्य माध्यम से एस्ट्रोजन सहित अन्य हॉर्मोन दिया जाता है। यह पशुओं के ग्रोथ को बढ़ाता है जिससे उनके वजन में तेजी से वृद्धि होती है। बाजार में बिकने और मुनाफा कमाने के लिये ये उपलब्ध हो जाते हैं। इस तरह ऐसे मीट के सेवन से पौरुष में कमी आती है और इसमें पाया जाने वाला एस्ट्रोजन मनुष्य के शरीर में उपस्थित फैट में जमा होता जाता है। maruyama et al.in द्वारा 2010 में कराये गये एक शोध में यह कहा गया है कि डेयरी फूड के सेवन से पुरुषों में लुटेइनीजिंग हॉर्मोन (luteinizing hormone LH) फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग-हॉर्मोन (follicle-stimulating-hormone FHS)और टेस्टोस्टेरॉन (testosterone) के स्राव में कमी आती है। एलएच (LH) और एफएचएस (FHS) हॉर्मोन पुरुषों में सेक्स ग्रंथियां और सीमेन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जापान में किये गये शोध में यह कहा गया है कि गाय का दूध पीने वाले बच्चों और आदमियों में सीरम एस्ट्रोजन (serum estrogen) और प्रोजेस्टेरॉन (progesterone) के स्तर को बढ़ा देता है। इनके बढ़ने से गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग-हॉर्मोन (gonadotropin-releasing-hormone GnRH) का स्राव कम हो जाता है जिससे दिमाग से टेस्टोस्टेरॉन के स्राव पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। इस शोध में यह भी कहा गया है कि दुग्ध उत्पाद का इस्तेमाल करने वाले बच्चों में भी एस्ट्रॉन (estrone), एस्ट्रियल (estriol) और प्रेगनानएडोल (pregananediol) स्राव बढ़ जाता है। एस्ट्रोजन का स्राव ज्यादा होने से लड़कों में प्यूबेट्री की उम्र बढ़ जाती है वहीं लड़कियों में कम हो जाती है। जैसे-जैसे आदमी की उम्र बढ़ती जाती है उनकी ग्रंथियों से टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन के स्राव में कमी होती जाती है वहीं एस्ट्राडिओल की मात्रा बढ़ती जाती है। एस्ट्राडिओल की एक निश्चित मात्रा पुरुषों के लिये आवश्यक है लेकिन यदि वह ज्यादा हो जाये तो शरीर पर नेगेटिव इम्पैक्ट डालती है।

एस्ट्रोजन के शरीर में बढ़ने से पेट के आकार में वृद्धि, थकावट, वक्षस्थल का बढ़ना, मसल्स की हानि और भावात्मक बदलाव जैसी समस्याओं के बढ़ने की सम्भावना बढ़ जाती है। अमेरिका में 40,000 पुरुषों पर किये गये एक शोध में पाया गया कि जीवन प्रत्याशा बढ़ने या घटने का सीधा सम्बन्ध सीमेन की गुणवत्ता से स्थापित किया जा सकता है। इसलिये एस्ट्रोजन हॉर्मोन की अधिकता से पुरुषों को होने वाले नुकसान को गम्भीरता से लेना चाहिए। इसके अलावा मीट और डेयरी प्रोडक्ट के अधिक सेवन से पुरुषों में टेस्टिकुलर कैंसर होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। इतना ही नहीं शोध यह भी सिद्ध करतें हैं कि शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ने से पुरुषों में ह्रदय रोग से ग्रसित होने की सम्भावना भी बढ़ जाती है। ठीक इसके उल्टे ऐसे बहुत सारे शोध हैं जो यह बताते हैं कि पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन की अधिकता से हृदय सम्बन्धी रोग होने की सम्भावना काफी कम हो जाती है।

अगर आप ऐसा सोचते हैं कि दूध पीना छोड़ देने से आपके शरीर में उपस्थित कैल्शियम की मात्रा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा तो आप एक बार इस सोच को विराम अवश्य दें। हरी और पत्तेदार सब्जियों में कैल्शियम की मात्रा दूध से ज्यादा होती है और यह शरीर में आसानी से घुल भी जाता है। क्रूसीफेरस वेजिटेबल्स (मस्टर्ड परिवार से सम्बन्ध रखने वाली सब्जियाँ जैसे गोभी, ब्रोकली, सरसों आदि) इन्डोले-3-कार्बिनोले (indole-3-carbinole) शरीर में एस्ट्रोजन को कम करने में काफी कारगर साबित होती हैं। इसके अलावा मशरूम, अनार, लाल अंगूर, अलसी, तिल, गेहूँ, जौ, जई, बाजरा, ग्रीन टी आदि का सेवन फायदेमन्द हो सकता है।

लेखक के अपने विचार हैं।

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