अगर प्रकृति से प्यार है…तो बनें कुदरती डॉक्टर

नेचुरोपैथी चिकित्सा
नेचुरोपैथी चिकित्सा

हम दिन पर दिन तकनीकी उन्नति की ओर बढ़ते जा रहे हैं जहां हम कहीं न कहीं खुद को प्रकृति से कटा हुआ महसूस करने लगे हैं। ऐसे में प्रकृति की ओर रूझान बढ़ना कोई हैरानी की बात नहीं है। लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि अब हम इलाज के लिए भी प्रकृति का सहारा लेने से पीछे नहीं हट रहे। हालांकि नेचुरोपैथी आज या कल की चिकित्सा पद्धति नहीं है। माना जाता है कि यह चिकित्सा पद्धति सबसे पुरानी पद्धतियों में से एक है और इसका उदय भारत से हुआ। नेचुरोपैथी की सबसे खास बात यह है कि इसमें किसी प्रकार की रासायनिक औषधियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। आमतौर पर नेचुरोपैथी अन्य चिकित्सकीय विधियों से अलग है। लेकिन नेचुरोपैथी कुछ हद तक आयुर्वेद से मेल खाती है। नेचुरोपैथी में किसी भी मर्ज को ठीक करने के लिए मरीज की जीवनशैली पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके अन्तर्गत पूर्ण रूप से प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है मसलन पानी, वाष्प, मिट्टी, वायु, सूर्य का प्रकाश आदि। जो लोग दवाइयों से बचते हैं उनके लिए यह तरीका कारगर है।

इस पद्धति की सबसे अच्छी बात यह है कि इलाज के दौरान इसका कोई दुष्परिणाम सामने नहीं आता और न ही मरीज की जिंदगी इससे नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। नेचुरोपैथी यानी प्राकृतिक चिकित्सा उपचार के लिए पंच तत्वों- आकाश, जल, अग्नि, वायु और पृथ्वी को आधार मानकर चिकित्सा सम्पन्न की जाती है। इसमें मरीजों को नियमित दवाइयों का सेवन करना नहीं होता बल्कि उसकी जीवनशैली और भोजन में कुछ फेरबदल कर मरीज को प्रकृति के नजदीक लाने की कोशिश की जाती है। हालांकि आज आधुनिक चिकित्सा पद्धतियां तकनीकों से लैस हैं, तमाम मर्जों का इलाज मौजूद है इसके बावजूद कई लोगों का नेचुरोपैथी की ओर रूझान बढ़ रहा है। इससे हम किसी चिकित्सकीय क्षेत्र की सफलता-असफलता निर्धारित नहीं कर सकते, लेकिन इस क्षेत्र की खासियतों को नकारा नहीं जा सकता जो लोगों को अपनी ओर तेजी से आकर्षित कर रही है। यही कारण है कि भविष्य के लिहाज से इसमें बेहतरीन कैरियर बनाने की संभावनाएं उभर रही हैं। हालांकि हाल फिलहाल सरकार को अन्य चिकित्सकीय क्षेत्रों की तरह इसमें भी सहयोग करना होगा।

चूंकि अब देश-विदेश में योग की लोकप्रियता बढ़ रही है और योग प्रकृति चिकित्सा के नजदीक है। यही कारण है कि विदेशों में भी इसे खूब सराहा जा रहा है। यही नहीं इसे पाठ्यक्रम के रूप में ढाला जा चुका है। लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा के कुछ पहलुओं को हम नकार नहीं सकते। दरअसल हमारे देश से शुरू हुई यह पद्धति अब तक शुरुआती चरण में है। सो, इसके पीछे न सिर्फ सरकार को वरन आम लोगों को भी मिलकर काम करना होगा। ऐसे हुआ तो निःसंदेह भविष्य में इसके सुनहरे नतीजे सामने आयेंगे। यह जानकर आपको हैरानी हो सकती है कि यह एक ऐसी पद्धति है जिसमें रोगी खुद डॉक्टर बनकर अपना इलाज कर सकता है। इसकी एक प्रमुख वजह इसका साइड इफेक्ट न होना ही है। यह विशेषकर उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, अनिद्रा, दमा व पाचन से संबंधित समस्याओं के रोगियों के लिए ज्यादा कारगर है। यह वजह है कि इनके रोगी अन्य चिकित्सकीय क्षेत्रों की तुलना में यहां ज्यादा पाये जाते हैं। आज भारत से शिक्षा व प्रशिक्षण प्राप्त प्राकृतिक चिकित्सक अमेरिका, जापान, कनाडा आदि देशों में भी मौजूद हैं। यह तथ्य इस ओर इशारा करता है कि विदेशों में भी इसे पसन्द किया जा रहा है। इस क्षेत्र में कैरियर बनाने वालों के लिए प्राकृतिक चिकित्सा में स्नातक, स्नातकोत्तर या शोध कर सकते हैं। ये भारत में या विदेशों में स्थापित चिकित्सालयों में काम कर सकते हैं।

 

 

प्रमुख कोर्स-


प्राकृतिक चिकित्सा के स्नातक कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं कक्षा भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीवन विज्ञान विषयों सहित उत्तीर्ण करना अनिवार्य है।

 

 

 

 

प्रमुख संस्थान-


1. एएसएस कॉलेज आफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंसेज, ऊटकमंड, तमिलनाडु
2. गवर्नमेंट कालेज आफ नेचुरोपैथी, चेन्नई
3. एसआरके मेडिकल कालेज आफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंसेज, कुलशेखरम्, कन्याकुमारी, तमिलनाडु
4. श्री रामकृष्ण मेडिकल कॉलेज आफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंसेज, तमिलनाडु
5. अल्वाज कॉलेज आफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंसेज, कर्नाटक
6. मोरारजी देसाई इंस्टीच्यूट आफ नेचुरोपैथी एंड योगा, बड़ोदरा, गुजरात
7. नेशनल इंस्टीच्यूट आफ नेचुरोपैथी, पुणे
8. सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन योगा एंड नेचुरोपैथी, नयी दिल्ली
9. गवर्नमेंट नेचुरोपैथी मेडिकल कालेज, अमीरपेट, हैदराबाद
10. तमिलनाडु कालेज आफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंसेज, सलम, तमिलनाडु
11. के.एल.ई.एस. कालेज आफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंसेज, बेलगाम
12. महावीर कालेज आफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंसेज, दुर्ग, छत्तीसगढ़

 

 

 

 

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