आगिल खेती आगे आगे।
पाछिल खेती भागे जोगे।।
भावार्थ- घाघ का कहना है कि आगे बोई जाने वाली फसल पहले ही तैयार हो जाती है और समय निकल जाने पर पीछे बोई जाने वाली फसल भाग्य के ही भरोसे होती है।
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