आधे सिर का दर्द

नौका हिलती है
रक्त की नदी में

इस तरफ पहाड़
उस तरफ बांध
झरने की ऊंचाई
या कि गहराई
कहीं-कहीं डुबोने को
उद्यत एक भंवर भी
बेकाबू नौका
दौड़ती है
रक्त की नदी में

यहीं कहीं स्मृति थी
ऊबड़-खाबड़ स्वप्न थे
एक परिचित दुनिया थी
उसके होने की सांत्वना थी
अचानक यह क्या हो गया?

किनारे खड़ी नौका का
लंगर ज्यों टूट गया
रक्त के समुंदर में
बैठे शेषनाग ने
करवट ली फिर
परिचित सुख में खुभने को
निकल पड़ा
दर्द का एक शूल
सिरहाने रखा

रक्त की नदी में
कितना उफान है
कितना तूफान है
खतरा है कितना

क्या कोई जानता है?

1993

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