‘आदेशों की अनदेखी नहीं की जा सकती’

यमुना नदी की सफाई के लिए विभिन्न विभागों में समन्वय एवं सहयोग की कमी पर चिन्ता जताते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने कहा है कि इसके पास “दीवानी अदालत के सभी अधिकार” हैं और इस पर एवं अन्य मुद्दों पर इसके निर्देशों का “बिना चूक एवं विलम्ब” के पालन किया जाना चाहिए।

एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस न्यायाधिकरण के पास दीवानी अदालत के सभी अधिकार हैं और नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्त पर आधारित इसे अपनी प्रक्रिया बनानी होगी।

न्यायाधिकरण के निर्णयों या निर्देशों को दीवानी अदालत के फैसले की तरह लागू किया जाना है। न्यायाधिकरण की तरफ से जारी निर्देशों को लागू करने के लिए कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर के तहत कार्रवाई की जा सकती है जिसमें सम्पत्ति जब्त करना और गिरफ्तारी शामिल है। “मैली से निर्मल यमुना पुनर्जीवन परियोजना 2017” को लागू करने पर निगरानी के दौरान न्यायाधिकरण ने यह फैसला दिया।

पेड़ों के चारों ओर से कंक्रीट का घेरा हटाने के तरीके पर नाराज एनजीटी
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राजधानी में पेड़ों के आस-पास से कंक्रीट के घेरे को हटाने के काम में पेड़ों को नुकसान होने के मामले में अधिकारियों से नाराजगी जताई। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली अधिकरण की पीठ ने कहा कि हमारे संज्ञान में यह बात लाई गई है कि पेड़ों के चारों ओर बने कंक्रीट के घेरे को हटाने के दौरान अकसर पेड़ों की जड़ों को नुकसान पहुँचता है या वे बाहर निकल आती हैं जिसके नतीजतन अंततः पेड़ गिर जाते हैं। हमने स्पष्ट निर्देश दिया था कि सीमेन्ट का घेरा हटाने का काम निर्दिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए सावधानी और सतर्कता से किया जाए। उन्होंने कहा कि हमने निर्देश दिया था कि जहाँ पेड़ों की जड़े निकल आती हैं वहाँ उन्हें मिट्टी से ढंकने के लिए तत्काल कदम उठाये जाएँ और सुनिश्चित किया जाए कि उनकी जड़ों को सहारा मिले। सभी सरकारी अधिकारियों को इन निर्देशों का पालन करने को कहा गया था। इसके बावजूद उन्होंने दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया। अधिकरण ने निर्देश दिया कि पेड़ों के चारों ओर से सीमेन्ट का घेरा हटाने का काम कम से कम अधिशासी अभियन्ता के स्तर के अधिकारी की निगरानी में किया जाएगा। दिल्ली के बागवानी विभाग के अधिकारी उनकी मदद करेंगे।

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