अब वेबसाइट पर मिलेगा जलापूर्ति का टाइम टेबल

जल बोर्ड अफसरों व कर्मचारियों की वार्षिक संपत्ति का ब्यौरा भी वेबसाइट पर डाला
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग की ओर से जल बोर्ड की कार्य योजना को लेकर कई बार मीटिंग की जा चुकी हैं।

राजधानी में गर्मी ने भले ही अपना रंग अभी दिखाना नहीं शुरू किया हो लेकिन पेयजल की समस्या अभी से ही विकराल होने लगी है। आलम यह है कि लुटियंस जोन में ही पानी की किल्लत शुरू हो गई है। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के कंट्रोल रूम की माने तो पानी किल्लत की रोज दर्जनों शिकायतें रोज आ रही हैं। सरोजनी नगर, लोधी रोड के अलावा डीआईएजेड इलाके में भी पानी की समस्या बढ़ गई हैं। मीटिंग के बाद जल बोर्ड ने उपराज्यपाल के आदेशों पर काम करना शुरू कर दिया है। समर एक्शन प्लान जारी करने के बाद अब जल बोर्ड ने अपने सिस्टम को ज्यादा पारदर्शी बनाने का काम भी करना शुरू कर दिया है।

इतना ही नहीं बोर्ड की ओर से दिल्ली भर में होने वाली जलापूर्ति की समय सारिणी के साथ-साथ कर्मचारियों की वार्षिक संपत्ति रिटर्नस की डिटेल भी संबंधित वेबसाइट पर अपलोड कर दी है।

इसके अलावा जल बोर्ड ने गर्मियों के मद्देनजर कई और अहम कदम भी उठाए हैं। बोर्ड ने संबंधित अधिकारियों के दूरभाष नंबरों के साथ दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में जल आपूर्ति किए जाने की समय सारिणी संबंधित वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। इससे उपभोक्ताओं को जल और अवजल से संबंधित शिकायतों का शीघ्रता से समाधान मिलेगा और पारदर्शिता लाने में ज्यादा सुविधा मिलेगी।

जल बोर्ड की ओर से वेबसाइट पर ग्रुप-ए और बी के अधिकारियों की वार्षिक संपत्ति रिटर्न की डिटेल ही अपलोड की गई है।

सूची में इंजीनियरिंग और मिनिस्ट्रयल ग्रुप्स के अधिकारियों का विवरण दिया गया है। वहीं गत वर्ष, अपने उपभोक्ताओं के हित और सुविधा के लिए जल बोर्ड ने पानी के टैंकरों की समय सारिणी को बेवसाइट पर अपलोड किया था। जल बोर्ड पानी की कमी वाले क्षेत्रों में दिल्ली के अलग-अलग भागों में स्थित 25 जल आपातकालीन कंट्रोल रूमों से लगभग 900 टैंकरों के माध्यम से जल आपूर्ति कर रहा है।

हैदरपुर व सोनिया विहार प्लांट से आज नहीं होगी जलापूर्ति


हैदरपुर व सोनिया विहार वाटर प्लांट में रखरखाव व मरम्मत कार्य की वजह से शुक्रवार को जल शोधन कार्य प्रभावित रहेगा और इससे दिल्ली के कुछ इलाकों में पानी सप्लाई ठप रहेगी और कुछ इलाकों में कम दबाव से पानी आएगा। दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से इस आशय की सूचना दी गई है और साथ ही फोन नम्बर भी जारी किया गया है ताकि जरूरतमंद दिल्लीवासी इस नंबर पर फोन कर टैंकर मंगवा सकते हैं।

हैदरपुर वाटर प्लांट-


हैदरपुर वाटर प्लांट, फेस-1 पंजाबी बाग, रिंग रोड के मरम्मत कार्य के चलते शुक्रवार को कई इलाकों में जलापूर्ति प्रभावित रहेगी। प्लांट से जलापूर्ति होने वाले इलाकों में राजा गार्डन, मानसरोवर गार्डन, वरूण निकेतन, ख्याला, सुभाष नगर, टैगोर गार्डन, राजौरी गार्डन, रमेश नगर, विष्णु गार्डन, तिलक नगर, उत्तम नगर का हिस्सा, पीतमपुरा का हिस्सा, रघुबीर नगर और इससे जुड़े इलाके भी शामिल हैं। दिल्ली जल बोर्ड ने स्थानीय निवासियों से अपील की है कि वह समुचित मात्रा में पानी का संचय करके रखें। वहीं शिवाजी एन्क्लेव के 25193140 व 25174140 और पंजाबी बाग के 25221181 नंबर पर वॉटर टैंकर की सुविधा उपलब्ध होगी। वहीं किसी प्रकार की जानकारी के लिए आम जनता को सेंट्रल कंट्रोल रूम के 23538495, 23527679 व 1916 पर भी संपर्क किया जा सकता है।

दक्षिण दिल्ली में आज पानी सप्लाई रहेगी ठप


दक्षिणी दिल्ली के इलाके में शुक्रवार को पानी की सप्लाई पूरी तरह ठप रहेगी और 26 अप्रैल की सुबह पानी का प्रेशर कम रहेगा। दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक सोनिया विहार वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में जरूरी रखरखाव कार्य के कारण दक्षिण दिल्ली में पानी की सप्लाई बाधित रहेगी।

ये इलाके रहेंगे प्रभावित-दक्षिणपुरी, शेख सराय फेस-2, मदनगीर, दक्षिण पुरी एक्सटेंशन, तिगड़ी, ग्रेटर कैलाश पार्ट-1, ईस्ट ऑफ कैलाश, संत नगर, कैलाश कॉलोनी, पंचशील पार्क और पंचशील एन्क्लेव, उदय पार्क, नीति बाग, वसंत कुंज, अपोलो अस्पताल, ओखला, सरिता विहार, साकेत, मूलचंद, विक्रम विहार, लाजपत नगर, जल विहार, सिद्धार्थ एन्क्लेव, किलोकरी गांव, डियर पार्क, अमर कॉलोनी, भारती नगर, जोरबाग। ये वे इलाके हैं जहां सोनिया विहार से पानी पहुंचाया जाता है। अगर आप भी इन इलाकों में रहते हैं तो आपको सुझाव दिया जाता है कि पहले से ही अपने उपयोग के लिए पानी स्टोर कर के रख लें।

इसके अलावा इन इलाकों में रहने वाले टैंकर के जरिए भी पानी मंगा सकते हैं जिसके लिए दिल्ली जल बोर्ड ने कुछ फोन नंबर्स जारी किए हैं-

टैंकर मंगवाने के लिए फोन नंबर इस प्रकार हैंः


26100644, 26193218 (आर के पुरम), 29234746, 29234747 (ग्रेटर कैलाश), 26137216 (वसंत कुंज), 26473720, 26449877 (गिरी नगर), 29941824, 29941825 (सरिता विहार) और अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें।

लुटियंस जोन में 24 घंटे पेयजल की योजना हुई फेल


राजधानी में गर्मी ने भले ही अपना रंग अभी दिखाना नहीं शुरू किया हो लेकिन पेयजल की समस्या अभी से ही विकराल होने लगी है। आलम यह है कि लुटियंस जोन में ही पानी की किल्लत शुरू हो गई है। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के कंट्रोल रूम की माने तो पानी किल्लत की रोज दर्जनों शिकायतें रोज आ रही हैं। सरोजनी नगर, लोधी रोड के अलावा डीआईएजेड इलाके में भी पानी की समस्या बढ़ गई हैं।

नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने गर्मियों में 24 घंटे घर-घर स्वच्छ पेयजल पहुंचाने के लिए करीब 158 करोड़ रुपए का एक प्रोजेक्ट करीब पांच साल पहले बनाया था। लेकिन यह योजना अभी तक परवान नहीं चढ़ सकी। इसके तहत लुटियंस जोन के 14 पेयजल के पंपों को अपग्रेड करना था। इसके अलावा पानी की टंकियों की भी बढ़ोतरी करनी थी। पेयजल आपूर्ति के लिए 10 नए टैंकरों की भी खरीद की जानी थी।

बताया जाता है कि इस प्रोजेक्ट की फाइल फिलहाल प्लानिंग ब्रांच में ही हिचकोले खा रही है। ऐसे में जेठ की दुपहरी में इस बार भी लोगों को भीषण पेयजल संकट के लिए मजबूर रहना होगा। वाटर सप्लाई के अधिकारी भी पेयजल आपूर्ति की बजाए दूसरे मलाईदार विभागों में जमें बैठे हैं। इस कारण लोगों की बुनियादी जरुरतों की बजाए मलाई दार विभागों के कार्यों में अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं। लुटियंस जोन में पानी की किल्लत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एनडीएमसी के कई शौचालयों में पानी की कमी के कारण शौचालय बंद पड़े हैं।

चाणक्यपुरी के संजय कैम्प समेत 40 से अधिक झुग्गी-बस्तियों में पेयजल किल्लत की सबसे अधिक परेशानी देखी जा रही है। पालिका केंद्र मुख्यालय से पांच सौ मीटर दूर जनपथ स्थित झुग्गी-बस्ती में पानी की भयंकर किल्लत शुरू हो गई है। इस झुग्गी-बस्ती में पेयजल की एकमात्र नल है। सुबह से शाम तक यहां पानी के लिए आपसी झगड़े भी खूब हो रहे हैं। हालांकि एनडीएमसी का कहना है कि पेयजल की किल्लत अभी नहीं है।

सभी फव्वारें हुए बंद


नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के सभी फव्वारें बंद हो चुके हैं। तालकटोरा गार्डन समेत इस इलाके में लगे सभी फव्वारें बंद हो चुके हैं। उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पानी संकट होने व बोरवेल सूख जाने की वजह से ये फव्वारें बंद हो चुके हैं। पार्कों के घास भी सूखने लगे हैं।

द्वारका में 25 साल से है पानी की किल्लत


दैनिक भास्कर से साभार

सिविल इंजीनियरिंग के डिग्रीधारी डीडीए इंजीनियर ही भूल गए कि आम जनता की बुनियादी समस्याएं क्या हैं। दिल्ली विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों और योजनाकारों की इस गलती का खामियाजा 25 साल बाद भी द्वारका उपनगर के लाखों निवासी भुगतने को मजबुर हैं। स्थिति ऐसी है कि आज भी आधे द्वारकावासियों का गला ठीक से तर नहीं हो पाता है और आए दिन द्वारकावासी पेयजल की मांग को लेकर डीडीए कार्यालय पर धरना देते हैं।

दिल्ली में बढ़ती जनसंख्या का दबाव कम करने और आबादी को सुनियोजित ढंग से बसाने के लिए डीडीए ने द्वारका उपनगर को बसाया। द्वारका में दो दर्जन से ज्यादा सेक्टर बसा दिए गए। लगभग 356 ग्रुप हाउसिंग सोसायटियां विकसित की गई, लेकिन इन ऊंची इमारतों में रहने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गईं। फिलहाल यहां पर मात्र 4 से 5 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रतिदिन) ही पानी की आपूर्ति हो पा रही है। बता दें कि सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान छात्रों को बुनियादी सुविधाओं के बारे में भी जानकारी दी जाती है, ताकि किसी भी भवन निर्माण के दौरान वहां की बुनियादी जरूरतें पूरी की जाएं।

केवल 60 फीसदी पानी की उपलब्धि :


यदि डीडीए के मुख्य इंजीनियर एचएस धर्मसत्तू की मानें तो द्वारका की मांग के मुताबिक 60 फीसदी पानी की आपूर्ति की जा रही है। अभी भी 40 फीसदी पानी की कमी है। धर्मसत्तू का कहना है कि उपराज्यपाल खुद इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। उप-राज्यपाल की अगुवाई में डीडीए और जल बोर्ड के आला अधिकारी इस समस्या को दूर करने के लिए प्रयासरत हैं। डीडीए की प्रवक्ता नीमोधर की भी दलील है कि डीडीए उपाध्यक्ष इस मामले को दूर करने के लिए प्रयासरत हैं।

नहीं कि गई पेयजल की प्लानिंग


डीडीए के आला अधिकारियों की भी दलील है कि द्वारका उपनगर बसाने के दौरान योजनाकारों ने बुनियादी सुविधाओं (बिजली-पानी, सीवर) पर जोर नहीं दिया। परिणामस्वरूप आज द्वारका में जल संकट मुंह बाएं खड़ा है। इस मामले में जल बोर्ड के आला अधिकारी भी कहते हैं कि डीडीए ने द्वारका उपनगर को याजनाबद्ध तरीके से नहीं बसाया। द्वारका फोरम के अध्यक्ष सीजे राजीव मोहन का कहना है कि द्वारकावासी पेयजल के लिए टैंकर पर निर्भर हैं। कई सेक्टरों में पानी नहीं आता है। फोरम के सदस्य पुरुषोत्तम बहल का कहना है कि अमूमन प्रत्येक ब्लॉक में दो टैंकर की व्यवस्था की गई है, लेकिन अमूमन टैंकर नहीं आते हैं। ऐसे में निजी टैकरों से पानी मंगाना पड़ता है। गर्मियों में एक टैंकर के लिए रोजाना 1500 रुपए तक का भुगतान करना पड़ता है।

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