अब प्रकाश से चलेंगे कम्‍प्‍यूटर और अन्‍य उपकरण


आज वैज्ञानिक किसी तकनीक का विकास करते हैं तो उसे अपनाने वालों की संख्या भी बढ़ने लगती है और एक दिन वही तकनीक पुरानी होने लगती है। वैज्ञानिक फिर से एक नई तकनीक विकसित करने में या उसी में सुधार करने में जुट जाते हैं। निरंतर प्रयत्न किया जा रहा है कि कम्प्यूटर, टेलिविजन, मोबाइल जैसे आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की प्रोसेसिंग गति अधिक से अधिक बढ़ाई जा सके। वैज्ञानिकों का मानना है कि दुनिया में सर्वाधिक गति प्रकाश तरंगों की होती है और यदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अत्यधिक गति प्रदान करनी है तो उन्हें प्रकाश तरंगों के द्वारा संचालित करना होगा। इस दिशा में दुनिया भर में अनेक प्रयत्न किए जा रहे हैं।

विश्व के कई वैज्ञानिक प्रकाश तरंगों के द्वारा इलेक्ट्रॉन को नियंत्रण करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। अभी हाल ही में विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक पत्रिका ‘नेचर’ के एक अंक में प्रकाशित एक लेख में यह उल्लेख किया गया है कि म्यूनिख (जर्मनी) स्थित ‘मैक्स प्लांक क्वांटम ऑप्टिक्स संस्थान’ के वैज्ञानिकों को इस कार्य में सफलता प्राप्त हुई है। ‘मैक्स प्लांक क्वांटम ऑप्टिक्स संस्थान’ के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वे पहली बार किसी ठोस पदार्थ के इलेक्ट्रॉन को नियंत्रित कर लेने में सफलता प्राप्त कर चुके हैं। इसके पहले वैज्ञानिकों ने क्रिप्टन जैसी कुछ निष्क्रिय गैसों के इलेक्ट्रॉन को ही नियंत्रित करने में सफलता पाई थी। इस खोज में वैज्ञानिकों ने लेजर किरणों के द्वारा सिलिकॉन ऑक्साइड के अंदर के एक इलेक्ट्रॉन को अलग करके उसे अपने अनुसार नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की है। भविष्य में मानव जीवन को सर्वाधिक प्रभावित करने वाली इस क्रांतिकारी वैज्ञानिक खोज में भारतीय छात्र वैज्ञानिक मनीष गर्ग भी शामिल हैं।

वैज्ञानिक पत्रिका ‘नेचर’ के ही 11 मई 2015 अंक में प्रकाशित एक और लेख में यह उल्लेख किया गया है कि अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के इंजीनियरों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे निर्मित कम्प्यूटर वर्तमान के कम्प्यूटरों से कई लाख गुना अधिक गति से चलेंगे और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिये बिजली की जगह प्रकाश का उपयोग करेंगे। इसके लिये स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के इंजीनियरों ने एक सिलिकॉन वेवलेंथ डीमल्टीप्लेक्सर (Silicon Wavelength demultiplexer) के रूप में एक ऑप्टिकल सर्किट तैयार किया है जो इनपुट के रूप में आने वाले प्रकाश को दो अलग-अलग तरंगदैर्ध्य की (1,300 नैनोमीटर और 1550 नैनोमीटर) प्रकाश तरंगों में विभक्त कर देगा। यह ऑप्टिकल सर्किट 2.4 × 2.4 माइक्रोमीटर के आकार की अभी तक की सबसे छोटी डाईइलेक्ट्रिक वेवलेंथ सिलटर है।

अमेरिका के यूटा विश्वविद्यालय के इंजीनियरों ने भी अगली पीढ़ी के कम्प्यूटर और मोबाइल डिवाइस बनाने में प्रयुक्त होने वाली एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे निर्मित कम्प्यूटर वर्तमान के कम्प्यूटरों से कई लाख गुना अधिक तेज गति से चलेंगे। इस तकनीक से निर्मित कम्प्यूटर फोटोनिक चिप के एक घटक के रूप में प्रयुक्त होने वाली डिवाइस अर्थात बीमसिलटर बनाया है। इस डिवाइस में प्राप्त सूचनाओं को दो अलग-अलग प्रकाश तरंगों के रूप में प्रदान करने की क्षमता होगी। यह तकनीक भविष्य के कम्प्यूटर बनाने में प्रयोग होगी जो कि प्रकाश की गति से चलेंगे।

प्रकाश ही वह माध्यम है, जिसका प्रयोग सूचनाओं के तेज प्रसारण में कर सकते हैं, लेकिन जब सूचनाएं कम्प्यूटर तक पहुँचती हैं तो वो इलेक्ट्रॉन में परिवर्तित हो जाती हैं। उस रूपांतरण में चीजें धीमी हो जाती है। पिछले एक दशक के दौरान, हम ताम्बे के तारों और इलेक्ट्रॉनों के माध्यम से सूचना प्रसारण के पुराने मॉडल का उपयोग कर रहे हैं और अब हम पृथ्वी के लगभग हर महाद्वीप के बीच पानी के नीचे ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से एक दूसरे के साथ बातचीत कर रहे हैं जोकि प्रकाश के कणों या फोटॉनों को संचारित करते हैं लेकिन वहाँ भी एक समस्या है कि ये ऑप्टिकल फाइबर अभी भी मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर चिप्स के साथ काम कर रहे हैं अर्थात जब जानकारी फोटॉन के रूप में आपके कम्प्यूटर या राउटर तक पहुँचती है तो यह धीमे इलेक्ट्रॉन के रूप में परिवर्तित हो जाती है जो सब कुछ धीमा कर देती है।

इसी कारण, दुनिया भर के वैज्ञानिक इलेक्ट्रॉनिक चिप की कार्यक्षमता को लेकर एक नई सिलिकॉन फोटोनिक चिप बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। सिलिकॉन फोटोनिक चिप बन जाने से कोई भी रूपांतरण की प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे कोई भी क्रिया धीमी नहीं होगी। इसमें सूचनाएं जिस गति से आएँगी, उसी गति से जाएँगी अर्थात कम्प्यूटर पहले की अपेक्षा कई गुना तेज गति से कार्य करेगा। इसमें कम पावर की जरूरत होगी और बैटरी का जीवन भी लम्बा होगा।

और यह सब इतनी दूर नहीं है क्योंकि पहले सुपर कम्प्यूटर जो फोटोनिक्स सिलिकॉन का उपयोग करेंगे, वे इंटेल और आईबीएम जैसी कम्पनियों में पहले से ही निर्माणाधीन हैं। इन कम्प्यूटर का उपयोग डेटा सेंटर अधिक कर सकेंगे क्योंकि उन्हें कम्प्यूटरों के बीच तेजी से कनेक्शन की आवश्यकता होगी।

यदि इलेक्ट्रॉन को नियंत्रित व अपने ढंग से प्रभावित किया जा सका तो कम्प्यूटर के नए सर्किट बनाए जा सकेंगे जो प्रकाश तरंगों से संचालित होंगे। वैज्ञानिकों की इस महत्त्वपूर्ण खोज से जहाँ मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की स्पीड कई करोड़ गुना बढ़ सकती है, तो वहीं भविष्य में कैंसर जैसी बीमारियों को समय रहते पहचानने में भी भारी सफलता मिल सकेगी। इन वैज्ञानिकों के द्वारा किये गए महत्त्वपूर्ण कार्यों का लाभ आने वाले समय में पूरे विश्व एवं पूरी मानवता को प्राप्त होगा।

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सुश्री पूनम त्रिखा
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