अब नदियों पर संकट है सारे गांव इकट्ठा हों

अब नदियों पर संकट है सारे गांव इकट्ठा हों।
अब सदियों पर संकट है सारे गांव इकट्ठा हों।

पानी डूबा फाइल में
गाड़ी में मोबाइल में
सारे वादे डूब गए
खून सने मिसाइल में

एक घाव पर संकट है
सारे गांव इकट्ठा हो
एक गांव पर संकट है सारे गांव इकट्ठा हों

निजी कम्पनी आई हैं, झूठे सपने लाई हैं
इन जेबों में सत्ता है सारी सुविधा पाई हैं
अब रोटी पर संकट है सारे गांव इकट्ठा हों
आवाज़ों पर संकट है सारे गांव इकट्ठा हों

सच तो बिका तरक्की में झूठ से भरी तरक्की में
पिसती सारी जनता है हर सरकारी चक्की में
अब धरती पर संकट है सारे गांव इकट्ठा हों

इस अम्बर पर संकट है सारे गांव इकट्ठा हों

नदी को बहता पानी दो हर कबीर को वाणी दो
सिसकी वाली रातों को सूरज भरी कहानी दो
अब शब्दों पर संकट है सारे गांव इकट्ठा हों
हर अर्थों पर संकट है सारे गांव इकट्ठा हों।

Path Alias

/articles/aba-nadaiyaon-para-sankata-haai-saarae-gaanva-ikatathaa-haon

Post By: Hindi
×