राज्य के हर खेत तक पानी पहुँचाने के लिये सिंचाई विभाग ने उत्तराखण्ड वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट तैयार किया है। 910 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने सैद्धान्तिक रूप से सहमति प्रदान कर दी है। यह प्रोजेक्ट विश्व बैंक की मदद से संचालित होगा, जिसमें केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 90:10 में होगी।
राज्य में सिंचाई के तीन प्रमुख संसाधनों में नहरें, नलकूप और पम्प नहरें हैं। राज्य में खेती लायक जमीन 7.142 लाख हेक्टेयर है, जिसके अनुपात में सिंचित क्षेत्रफल मात्र 3.394 लाख हेक्टेयर है। यानि प्रदेश में 3.748 लाख हेक्टेयर खेती लायक जमीन असिंचित है।
असिंचित खेतों तक पानी पहुँचाने के लिये सिंचाई विभाग ने उत्तराखण्ड वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में नए बैराज, झील, पम्प नहरें बनाई जाएँगी और ट्यूबवेल भी लगेंगे। विश्व बैंक के अधिकारी फील्ड विजिट कर इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करेंगे। इस प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में जल संरक्षण और संवर्द्धन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिये प्रदेश में नए जलाशय और झीलों का निर्माण कराया जाना भी प्रस्तावित है।
प्रदेश में सिंचाई की व्यवस्था |
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2959 |
छोटी पर्वतीय एवं भाबरी नहरें |
1529 |
नलकूप |
220 |
पम्प नहरें |
सिंचन क्षमता |
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2.047 |
लाख हेक्टेयर खरीफ सीजन के दौरान |
2.041 |
लाख हेक्टेयर रबी सीजन के दौरान |
योजना में खास |
केन्द्र और राज्य की हिस्सेदारी 90:10 अनुपात में होगी। |
नाबार्ड की 28 योजनाओं को मिली मंजूरी
प्रदेश सरकार ने नाबार्ड की 28 परियोजनाओं को भी मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके अन्तर्गत नहर और लिफ्ट के निर्माण के साथ-साथ बाढ़ सुरक्षा के कार्य किए जाएँगे। प्रदेश सरकार ने इन परियोजनाओं को वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर दी है।
प्रोजेक्ट के लिये केंद्र से सैद्धान्तिक मंजूरी मिल गई है। इससे प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं में इजाफा किया जाएगा। जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। -आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव, सिंचाई
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