500 जल एटीएम लगाने को मिली मंजूरी, डेढ़ लाख होंगे लाभान्वित

40 अनधिकृत कॉलोनियों में समुचित जल वितरण किया जाएगा जिससे लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को लाभ होगा। दिल्ली जल बोर्ड किराड़ी और रोहिणी स्थित भूमिगत जलाशय को जुलाई के दूसरे हफ्ते तक चालू करने के लिए कार्यरत है जिससे लगभग डेढ़ लाख लोगों को पानी उपलब्ध होगा। प्रारंभ में यह हफ्ते में दो दिन उपलब्ध रहेगा। कुतुबगढ़ स्थित एक और भूमिगत जलाशय भी जुलाई के दूसरे सप्ताह तक चालू होने की उम्मीद है जिससे उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली के कई इलाकों में जलापूर्ति में सुधार हो जाएगा। उपराज्यपाल नजीब जंग ने सावदा घेवड़ा कालोनी में दिल्ली जल बोर्ड की प्रायोगिक परियोजना के सफल होने के बाद शहर में पांच सौ और जल एटीएम लगाने को मंजूरी प्रदान कर दी है। उपराज्यपाल नजीब जग ने मंगलवार को दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा सदस्यों के साथ राजनिवास में बैठक कर दिल्ली में पानी और सीवर व्यवस्था से संबंधित कई और महत्वपूर्ण निर्णय लिए।

उपराज्यपाल कार्यालय के एक अधिकारी के मुताबिक इनमें से कुछ एटीएम भूमिगत जल पर आश्रित रहेंगे जिनमें पानी को आरओ पद्धति से शुद्ध किया जाएगा, जबकि अन्य टैंकर आधारित आपूर्ति होगी। इससे मांग आधारित आपूर्ति व्यवस्था तक नागरिकों की पहुंच आसान हो सकेगी।

अधिकारी ने बताया कि इस कदम से उन इलाकों में जलापूर्ति बेहतर हो सकेगी जहां संकट है दिल्ली जल बोर्ड ने उपराज्यपाल के निर्देशों के बाद पानी की कमी वाले इलाकों की पहचान की है। दक्षिण पश्चिम दिल्ली में 10 ऐसे एटीएम लगाए जा रहे हैं जो जुलाई के पहले हफ्ते तक चालू हो जाएंगे। अन्य एटीएम बाद में लगाए जाएंगे। इसके अलावे 10 रिवर्स ओसमोसिस (आरओ) आधारित संयंत्र लगाने के लिए आदेश दे दिए गए हैं और अगले तीन महीनों में विभिन्न कालोनियों में 50 से ज्यादा एटीएम लगाए जाएंगे। अधिकारी ने बताया कि ये संयंत्र दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के सहयोगी से लगाए जाएंगे।

बोर्ड ही भूमि भी मुहैया कराएगा। दिल्ली जल बोर्ड ने अपनी प्रायोगिक परियोजना के तहत दक्षिण पश्चिम दिल्ली की पुनर्वास कालोनी सावदा घेवड़ा के निवासियों को 15 जल एटीएम के जरिए पानी उपलब्ध कराया है। ये एटीएम सौर ऊर्जा से चलते हैं।

(क) 100 वर्गमीटर आकार के प्लॉट के लिए 5000 रुपए प्रति प्लॉट।
(ख) 100 वर्गमीटर से ज्यादा तथा 250 वर्गमीटर तक के प्लॉट के लिए 10000 रुपए प्रति प्लॉट
(ग) 250 वर्गमीटर से ज्यादा तथा 500 वर्गमीटर तक के प्लॉट के लिए 20000 रुपए प्रति प्लॉट।
(घ) 500 वर्गमीटर से ज्यादा के प्लॉट के लिए 50000 रुपए प्रति प्लॉट।

किराड़ी व रोहिणी के भूमिगत जलाशयों को चालू करने का काम जारी


40 अनधिकृत कॉलोनियों में समुचित जल वितरण किया जाएगा जिससे लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को लाभ होगा। दिल्ली जल बोर्ड किराड़ी और रोहिणी स्थित भूमिगत जलाशय को जुलाई के दूसरे हफ्ते तक चालू करने के लिए कार्यरत है जिससे लगभग डेढ़ लाख लोगों को पानी उपलब्ध होगा। प्रारंभ में यह हफ्ते में दो दिन उपलब्ध रहेगा। कुतुबगढ़ स्थित एक और भूमिगत जलाशय भी जुलाई के दूसरे सप्ताह तक चालू होने की उम्मीद है जिससे उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली के कई इलाकों में जलापूर्ति में सुधार हो जाएगा।

पल्ला स्थित भूमिगत जलस्रोतों का संवर्द्धन किया जाएगा। वाटर एंड पावर कंसल्टेंसी सर्विसेज द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार दिल्ली जल बोर्ड पानी 20 एमजीडी से बढ़ाकर 35 एमजीडी तक करने की योजना पर काम कर रहा है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए विद्यमान रैनीवेल्स और ट्यूबवेल्स को पुनर्जीवित किया जाएगा तथा जिनकी एससीएडीए (स्काडा) तकनीक द्वारा संचालित किया जाएगा। मैसर्स वैपकॉस द्वारा डिजाइन की गई 17 करोड़ रुपए की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। तथा इस योजना को लागू करने के प्रस्ताव की प्रशासनिक स्वीकृति के लिए इसको बोर्ड की अगली मीटिंग में रखा जाएगा जो कि संभवतः दो हफ्ते बाद होगी।

अनधिकृत कॉलोनियों मे रहनेवाले समाज के गरीब लोगों को राहत देने के लिए तथा पर्यावरण की सुरक्षा के मद्देनजर सीवर विकास शुल्क की दरों को संशोधित करने का कार्य किया जा रहा है ताकि अनधिकृत कॉलोनियों मे रहने वाले लोग एकमुश्त शुल्क देकर वैधानिक तरीके से सीवर कनेक्शन ले सकें तथा दिल्ली जल बोर्ड द्वारा उपलब्ध सीवेज सुविधा का लाभ ले सकें, जो इस प्रकार है (डी से एच श्रेणी तक)। अनधिकृत कॉलोनियो में रहनेवाले निवासी (गृहकर विभाग की श्रेणी के अनुसार ए.बी.सी श्रेणी को छोड़कर) एकमुश्त भुगतान कर सीवर कनेक्शन के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए उसको अपने संबंधित क्षेत्र के जोनल अभियंता के कार्यालय में संबंधित दस्तावेजों के साथ जाकर फार्म भरना होगा।

उपराज्यपाल ने कहा कि यह योजना गरीबों की सहायता के लिए है विशेषतः उन लोगों के लिए जो अनधिकृत कॉलोनियों में रह रहे हैं। इससे पहले उनको 490 रुपए प्रति वर्गमीटर सीवर शुल्क देना पड़ता था।

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