जीवन में जल की उपयोगिता हम सभी को पता है। इंसान के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कार्य, जिनपर उनका स्वास्थ्य और जीवन निर्भर करता है, में खाना बनाने, पीने और स्वच्छता शामिल हैं। इन कार्यो के लिए जल अति महत्वपूर्ण है। इंसान के जीवन में ही नहीं बल्कि धरती पर भी जल का कोई विकल्प नहीं है। यदि विकल्प मिल भी गया तो हमें पीने के लिए पानी की ही जरूरत पड़ेगी, लेकिन जैसे जैसे जल संकट गहराता जा रहा है, स्वच्छता के लिए तो दूर, लोगों को पीने के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा है। इनमें दुनिया के दो बिलियन लोग ऐसे हैं, जो मजबूरन गंदे पानी का ही उपयोग कर रहे हैं। दुनिया में कई इलाके ऐसे भी हैं जहां पानी तो है, लेकिन पाइपलाइन नहीं है, जिस कारण पानी लेने के लिए उन्हें काफी दूर पैदल जाना पड़ता है। ऐसे में घर व परिवार की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर ही रहती है। वैसे तो पुरुष प्रधान दुनिया में महिलाओं को हमेशा दूसरे नंबर पर रखा जाता है, लेकिन कई देश ऐसे हैं, जहां घर के काम का जिम्मा पूरी तरह से महिलाओं पर सौंप दिया जाता है। इसमें घर के सभी काम, बच्चों की देखभाल से लेकर पानी लाना भी शामिल है, लेकिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि दूर दराज के इलाको से पानी लाना महिलाओं के लिए परेशानी का सबब बना जाएगा। साथ ही इससे न केवल उनका जीवन बूरी तरह प्रभावित होता है, बल्कि लड़कियों की पढ़ाई तक छूट जाती है। ऐसा दुनिया के अन्य देशों में तो हो ही रहा है, साथ ही भारत में भी बड़े पैमाने पर होता है।
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर है। इस कहर के बीच भी दुनिया में विभिन्न स्थानों पर 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया गया। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरुक किया गया। साथ ही ये भी कहा गया कि भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए जल बचाना बेहद जरूरी है। हांलाकि ये धरती 27 सालों से जल संरक्षण के लिए हो रहे विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों व वार्ताओं अथवा प्रयासों की विटनेस रही है, जिनमें जल संकट के कारण महिलाओं को हो रही समस्या का भी कई बार जिक्र किया गया है। सैंकड़ांे शोध हुए हैं, किंतु वैश्विक मंचों, सेमिनार, गोष्ठियों, रैलियों, भाषाणों आदि का धरातल पर रिजल्ट देखें तो, स्थिति में सुधार के बजाए, हालात और खराब होते हुए ही दिखते हैं। जिस कारण आज दुनिया भर की करीब 200 मिलियन महिलाओं और लड़कियों को पानी लाने के लिए दूर दराज के इलाकों में जाना होता है। कई इलाके इनके घर से आधे से एक किलोमीटर की दूरी पर होते हैं। वे बर्तनों को उठाकर पानी लेने जाती हैं, और फिर वहां लगी लाइनों में लगती हैं। पानी लाने की इस पूरी प्रक्रिया में उन्हें कई बार एक घंटा तक लग जाता है। ऐसे में वाटर डाॅट ओआरजी पर प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर की 200 मिलिनयन महिलाओं और लड़कियों को पानी लाने के लिए 200 मिलियन घंटे का समय लगता है।
घर की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पानी लाने का ये काम महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान भी करना पड़ता है। वे गर्भवती होने के बावजूद पानी से बने बर्तनों को ढोती हैं। इसका उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, कोई अप्रिय घटना होने की संभावना भी बनी रहती है, लेकिन फिर भी गर्भावस्था के दौरान वे पानी लाने जाती हैं और वापिस लौटकर घर के काम भी करती हैं। यही नहीं, बच्चे जब बड़े होने लगते हैं, विशेषकर लड़कियां, तो उन्हें भी पानी लाने और घर के कामों में लगा दिया जाता है। लड़कियां दिन में कई चक्कर पैदल जाकर पानी लाती हैं, जिससे दुनिया की सैंकड़ों लकड़ियों की पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है और उनकी दिनचर्या पानी लाने और घर के कमों तक ही सीमित रहती है।
हम आधुनिकता के जिस दौर में जी रहे हैं, वहां दुनिया के 785 मिलियन लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता, जबकि दो बिलियन लोग गंदा पानी पीते हैं। इन इलाकों में स्वच्छ जल के अभाव में गंदे पानी को सेवन गर्भवती महिलाएं भी करती हैं, जो भ्रूण के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। साथ ही महिलाओं को पीरियड्स के दौरान भी सफाई के लिए साफ व पर्याप्त पानी की जरूरत होती। ऐसे में वे अगर दूर इलाकों में जाकर पानी न लाए तो, उन्हें व्यक्तिगत तौर पर भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि पानी का मसला महिलाओं के लिए व्यक्तिगत है। ऐसे में हम दुनिया भर में महिलाओं को तवज्जों देने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन आधुनिकता के इस दौर में जल उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। करोड़ों रुपया खर्च तो हो रहा है, लेकिन अनियमित विकास और पर्यावरण को नजरअंदाज करने से जल संकट गहराता जा रहा है। इसलिए हमें समझना होगा कि पर्यावरण का संरक्षण बेहद जरूरी है और जिस प्रकार जल जीवन का आधार है, तो वहीं महिलाएं भी जीवन का अधार हैं। दोनों (जल और महिलाओं) के बिना न तो जीवन की कल्पना की जा सकती है और ही विकास की। इसलिए सभी देशों को महिलाओं को स्वच्छ जल उपलब्ध कराना होगा।
लेखक - हिमांशु भट्ट (8057170025)
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