15 प्रतिशत कर्मचारियों के सहारे कैसे हो झीलों का संरक्षण


फ्रेंड्स ऑफ लेक के संयोजक वी राम प्रसाद ने कहा कि प्राधिकरण को कमजोर बनाये रखना सरकार की सोची-समझी रणनीति है। जहाँ भी जलाशयों में अतिक्रमण है, उसे हटाने का पूरा अधिकार प्राधिकरण को है, लेकिन शायद निहित स्वार्थों के चलते सरकार ऐसा नहीं होने देना चाहती है।

बंगलुरु। बेलंदूर झील में पिछले सप्ताह आग लगने की घटना के बाद एक बार फिर से सरकारी एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। पिछले ढाई साल के दौरान शहर की सबसे प्रदूषित झील में बार-बार आग लगने की घटना के बावजूद प्रशासन और सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय के अभाव और एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टालने की प्रवृत्ति ने स्थिति को और भी ज्यादा गम्भीर बना दिया है। रही-सही कसर कर्मचारियों की कमी और धन के अभाव ने पूरी कर दी है।

झीलों के संरक्षण व संवर्द्धन की खातिर तीन साल पहले अस्तित्व में आया राज्य झील संरक्षण एवं विकास प्राधिकरण (केएलसीडीए) अधिकारपूर्ण होते हुए भी लाचार नजर आता है। इसकी सबसे बड़ी वजह प्राधिकरण में कर्मचारियों की कमी है। प्राधिकरण के पास अभी सिर्फ 15 कर्मचारी हैं जबकि स्वीकृत पद 96 हैं।

ऐसे में शहर के अधिकांश झील या तो अतिक्रमण की चपेट में हैं। अथवा उनका अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है। प्राधिकरण के गठन के बाद ऐसा माना गया था कि अब झीलों के दिन बहुरेंगे। मगर प्राधिकरण के पास अतिक्रमणकारियों की सम्पत्ति जब्त करने, उसे बेदखल करने व दंडित करने की शक्ति होने के बावजूद यह सिर्फ हाथी दांत साबित हो रहा है।

सबसे खराब स्थिति यह है कि दो प्रमुख विभागों-पुलिस और राजस्व के अधिकारी-कर्मचारी प्राधिकरण को आवश्यक संख्या में मुहैया नहीं करवाये गये हैं। राजस्व विभाग के अधिकारियों का काम जलाशयों पर हुये अतिक्रमण की पहचान करन है जबकि पुलिस बल का काम प्राधिकरण की ओर से अतिक्रमण मुक्ति के अभियान को अंजाम देना है।

प्राधिकरण की पुलिस प्रकोष्ठ में एक पुलिस अधीक्षक, एक वृत्त निरीक्षक, दो उप निरीक्षक और चार पुलिस कर्मी हैं जबकि राजस्व विंग में विशेष उप आयुक्त (राज्य प्रशासनिक सेवा रैंक), एक सहायक आयुक्त, भूमि अभिलेख का एक सहायक निदेशक, चार राजस्व निरीक्षक, एक तहसीलदार और चार सर्वेक्षक स्वीकृत किये गये थे।

प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीमा गर्ग ने कहा कि यदि पर्याप्त संख्या में कर्मचारी मुहैया करवाये जायें तो प्राधिकरण प्रभावी साबित हो सकता है। मैं उच्च स्तर के अधिकारियों को कर्मचारी संख्या बढ़ाने के लिये कई पत्र लिख चुकी हूँ।

जानबूझकर कमजोर बनाया प्राधिकरण को


फ्रेंड्स ऑफ लेक के संयोजक वी राम प्रसाद ने कहा कि प्राधिकरण को कमजोर बनाये रखना सरकार की सोची-समझी रणनीति है। जहाँ भी जलाशयों में अतिक्रमण है, उसे हटाने का पूरा अधिकार प्राधिकरण को है, लेकिन शायद निहित स्वार्थों के चलते सरकार ऐसा नहीं होने देना चाहती है।

नम्मा बंगलुरु के सीईओ श्रीधर पब्बीसेट्टी ने कहा कि हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द सभी रिक्त पद भरे जायें तथा प्राधिकरण के सीईओ और अधिक अधिकार सम्पन्न बनाया जाये।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आज जारी करेगा नोटिस


बेलंदूर झील अग्निकांड को लेकर सरकार की दो एजेंसियाँ ही आमने-सामने आ गये हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष लक्ष्मण ने कहा कि सोमवार को इस मामले में झील की देखभाल के लिये जिम्मेदार एजेंसी-बंगलुरु विकास प्राधिकरण और बंगलुरु जलापूर्ति व मल निकासी बोर्ड को जल कानून के प्रावधानों के तहत नोटिस जारी किया जायेगा। इन एजेंसियों को झील को प्रदूषण मुक्त कराने के लिये उठाये कदमों के बारे में जानकारी देने के लिये 15 दिन तक वक्त दिया जायेगा। इस बीच, केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने भी राज्य सरकार से इस बारे में रिपोर्ट माँगी है।

Path Alias

/articles/15-parataisata-karamacaaraiyaon-kae-sahaarae-kaaisae-hao-jhailaon-kaa-sanrakasana

Post By: Hindi
×