12 करोड़ किसानों के खाते में सीधे जाएँगे रुपए 6-6 हजार

कृषि
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केन्द्र सरकार ने वर्ष 2019-20 के अन्तरिम बजट में किसानों-मजदूरों पर सौगातों की बारिश की है। सरकार ने किसानों को लुभाने के लिये उनकी सीधी मदद करने का बड़ा दाँव चला है। दो हेक्टेयर तक कृषि भूमि के लघु एवं सीमान्त किसानों के खाते में केन्द्र सरकार हर साल छह हजार रुपए पहुँचाएगी। इसके लिये 75 हजार करोड़ रुपए की किसान सम्मान निधि योजना का एलान किया गया। इससे 12 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे।

योजना 01 दिसम्बर, 2018 से ही लागू की गई है। तीन बार में मिलने वाली सालाना राशि की पहली किस्त आम चुनाव से पहले किसानों के खाते मे पहुँच दी जाएगी। इसके लिये चालू वित्तीय वर्ष के लिये 20 हजार करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है। किसानों के खाते में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की योजना पहले से ही दो राज्यों, तेलगांना और ओडिशा सरकारें चला रही हैं। किसान संगठन लम्बे समय से वार्षिक सुनिश्चित आय की माँग उठा रहे हैं। इसे उसी दिशा में शुरुआती कदम कहा जा सकता है।

सरकार ने माना, कम हुई आय

वित्त मंत्री ने माना कि अन्तरराष्ट्रीय बाजार में कृषि सम्बन्धी वस्तुओं की गिरती कीमतों और भारत में खाद्य मुद्रा स्फीति में गिरावट की वजह से कृषि से आमदनी कम हो गई है। बार-बार विभाजन के कारण छोटी और विखण्डित जोतों के कारण भी किसान परिवारों की आय में गिरावट आई है। इसलिये निर्धन किसान परिवारों को सहायता मुहैया कराए जाने की जरूरत है।

फसल ऋण में ब्याज पर छूट

पिछले पाँच सालों में किसानों को सस्ते ऋण देने के लिये ब्याज सब्सिडी की राशि को दोगुना किया गया है। किसानों का फसली ऋण बढ़कर 11.68 लाख करोड़ हो गया है। सुलभ और रियायती ऋण सुनिश्चित करने के लिये सभी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के दायरे में लाने के लिये सरकार ने सरलीकृत आवेदन फॉर्म लाकर व्यापक अभियान चलाने की पहल करने का निर्णय लिया है। किसानों को पुनः अनुसूचित ऋणों के पहले वर्ष के लिये ही दो प्रतिशत ब्याज छूट का लाभ मिलेगा। प्राकृतिक आपदाएँ आने पर किसान आमतौर पर अपने फसल ऋणों का भुगतान करने में असमर्थ हो जाते हैं। प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित सभी किसानों को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से उपलब्ध कराई जा रही सहायता के साथ ब्याज में 2 प्रतिशत छूट का लाभ मिलेगा। उनके ऋणों की पुनः अनुसूचित पूरी अवधि के लिये 3 प्रतिशत तत्काल पुनः भुगतान प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।

कामधेनु आयोग बना, गायों पर खर्च होंगे 750 करोड़

केन्द्र सरकार ने वर्ष 2019-20 के अन्तरिम बजट में गो-माता के संरक्षण और संवर्धन पर खास ध्यान दिया है। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने मौजूदा वर्ष में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लिये धन आवंटन को 750 करोड़ रुपए कर दिया है। वित्त मंत्री ने गायों की उत्पादकता बढ़ाने और नस्ल सुधारने के लिये राष्ट्रीय कामधेनु आयोग बनाने की घोषणा की।

भाजपा के सरोकारों और सांस्कृतिक एजेंडे में गो-माता का मुख्य स्थान है। इसी को ध्यान में रखकर बजट में पशुपालन क्षेत्र को तरजीह दी गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह आयोग गायों के लिये कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने और कल्याणकारी स्कीमों के कार्य को भी देखेगा। अपने बजट भाषण में कहा, ‘सरकार गायों के सम्मान और सुरक्षा के लिये जो भी आवश्यक है वह करेगी।’

देशी गायों की नस्ल में किया जाएगा सुधार

कार्यवाहक वित्तमंत्री ने कहा कि देश मे दूध की उत्पादकता बढ़ाने के लिये गोवंश के आनुवंशिक उन्नयन पर जोर दिया जाएगा। इसमें देशी गायों की नस्ल में सुधार किया जाएगा।

बढ़ेगा दूध उत्पादन आय में भी इजाफा

गायों की उन्नत प्रजाति की सन्तति के विकास से देश में दूध का उत्पादन बढ़ेगा। इससे पशुपालकों की आय में भी बढ़ोत्तरी होगी।

यूपी को मिलेगी बड़ी राहत

गोवंश के कल्याण के लिये शुरू की गई कामधेनु योजना से यूपी को बड़ी राहत मिलेगी। दरअसल यहाँ दूध न देने वाली गायों को निराश्रित छोड़ दिया जा रहा है जो इन दिनों बवाल का कारण बन रहीं हैं। फसलों को बर्बाद कर रहे ऐसे गोवंश से हो रहे नुकसान से परेशान किसान सड़कों पर हैं। कई जगह गोवंश को सरकारी इमारती और स्कूलों में बन्द किया जा रहा है।

मछली पालकों को भी राहत

अब केसीसी से पशुपालन व मत्स्य पालन के लिये ऋण लेने पर सरकार ब्याज में दो फीसदी छूट देगी। समय पर ऋण चुकाने पर तीन फीसदी की अतिरिक्त राहत दी जाएगी। इससे 1.45 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। यह सेक्टर लगभग 1.45 करोड़ लोगों को आजीविका प्रदान करता है। इसके विकास के लिये सरकार ने अलग से मत्स्य पालन विभाग बनाने का फैसला किया है।

पन्द्रह हजार तक कमाने वाले श्रमिकों को मिलेगी 3000 मासिक पेंशन

पन्द्रह हजार रुपए तक मासिक कमाने वाले असंगठित क्षेत्रों के कामगारों के लिये अन्तरिम बजट में प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन पेंशन योजना शुरू की गई है। इस योजना में शामिल होने वाले श्रमिक को मामूली अंशदान करना होगा और उसे 60 की उम्र तक पहुँचते ही हर माह तीन हजार रुपए मासिक पेंशन सरकार देने लगेगी। माना जा रहा है कि इस योजना का लाभ दस करोड़ मजदूरों को मिलेगा।

55 से 100 रुपए तक करना होगा अंशदान

योजना का लाभ चाहने वाले मजदूरों को आयु के हिसाब से दो वर्गों में बांटा गया है। 29 वर्ष की उम्र में इस योजना से जुड़ने वाले श्रमिकों को 60 साल तक प्रतिमाह 100 रुपए का अंशदान करना होगा। जो श्रमिक 18 वर्ष की उम्र में इस पेंशन योजना से जुड़ेगा उसे 55 रुपए प्रतिमाह अंशदान देना होगा। सरकार भी इतनी ही राशि हर माह कामगार के पेंशन खाते में जमा करेगी।

500 करोड़ रुपए आवंटित, दुनिया की सबसे बड़ी पेंशन योजना

सरकार का मानना है कि पाँच वर्ष में असंगठित क्षेत्र के कम-से-कम 10 करोड़ श्रमिकों और कामगारों को प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन योजना का लाभ मिलेगा, जिससे यह योजना दुनिया की सबसे बड़ी पेंशन योजनाओं में से एक बन जाएगी। इस योजना के लिये 500 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है। जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त धनराशि भी प्रदान की जाएगी। इस योजना को वर्तमान वर्ष से ही लागू किया जाएगा।

श्रमिकों के न्यूनतम वेतन में 42 फीसदी की वृद्धि

वित्तमंत्री ने सदन में दावा किया कि पिछले पाँच वर्षों के दौरान सभी श्रेणियों के श्रमिकों के न्यूनतम वेतन में भी 42 फीसदी वृद्धि हुई है जो आज तक सर्वाधिक है। आंगनबाड़ी और आशा योजना के तहत सभी श्रेणियों के कर्मिकों के मानदेय में लगभग 50 फीसदी की वृद्धि हुई है।

आकस्मिक निधन पर ईपीएफओ देगा 6 लाख

नरेन्द्र मोदी सरकार ने कर्मचारी के निधन के मामले में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) को 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 6 लाख रुपए कर दिया है। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों को ईपीएफ का फायदा मिलेगा। वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने बजट प्रस्तुत करते समय कहा कि वेतनभोगी व्यक्ति के परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये यदि उसकी समय से पहले मृत्यु हो जाती है, तो भारत सरकार ईपीएफ की सीमा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 6 लाख रुपए करने का प्रस्ताव करती है।


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