चरखी दादरी, जागरण संवाद केंद्र : दादरी उपमंडल के गांव ऊण में 100 वर्ष पुराने पक्के तालाब के जीर्णोद्धार व उसकी सफाई के लिए ग्रामीणों ने श्रमदान कर सार्थक पहल की। ग्रामीणों ने 2 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन नहर से तालाब तक जोड़कर स्वच्छ पानी भरने की व्यवस्था अपने स्तर पर की है। गांव ऊण के तालाब के जीर्णोद्धार, सफाई व इसमें लबालब स्वच्छ पानी भरने के बाद ग्रामीणों ने तालाब के किनारे यज्ञ का आयोजन कर बाकायदा इसका प्रयोग शुरू किया। इस अवसर पर राष्ट्रवादी चिंतक व समाजसेवी कार्यो में अग्रणी भूमिका निभाने वाले महीपाल सिंह आर्य रुदड़ौल ने बताया कि गांव ऊण में आज से 100 वर्ष पूर्व समशू नामक लोहार ने अकेले अपने हाथों से वर्षो तक मेहनत कर इस तालाब को बनाया था। उस समय वर्षा के पानी से तालाब को भरा जाता था। इस प्रकार की व्यवस्था की गई थी कि पास के पहाड़ की तलहटी का वर्षा का पानी साफ होकर तालाब में जमा होता था। इसके साथ एक कुआं बनवाया गया।
तालाब व कुएं का पानी इतना स्वच्छ व मीठा था कि वर्ष भर ग्रामीण इसका प्रयोग करते थे। पशुओं के लिए तालाब में अलग से घाट बनाया गया था। उस समय ग्रामीणों में जल, जंगल और जमीन की देखभाल, सुरक्षा व संरक्षण की चेतना, जागरूकता परंपरागत रूप से थी। उन्होंने कहा यदि गांव ऊण के इस उदाहरण को सामने रखकर सभी गांवों के लोग अपने स्तर पर कुओं, तालाबों, जोहड़ों, सार्वजनिक स्थानों, बणियों इत्यादि की सुरक्षा, संरक्षण का अभियान चलाए तो ग्रामीण क्षेत्रों की काया पलट हो सकती है व अनेक समस्याओं का हल होना संभव है। उन्होंने गांवों के तालाबों, कुओं, वनों, बणियों इत्यादि का सीधा संबंध पर्यावरण संरक्षण से भी जुड़ा बताया। इस अवसर पर यज्ञ में पंच जयप्रकाश, जयवीर, रतिराम, जगत सिंह, पूर्व पंच राजपाल, धर्मवीर, जयनारायण शास्त्री, जगदीश चौपड़ा, सूबेदार धर्मसिंह डांगी, प्रहलाद सिंह, शुभाचंद, बनवारी लाल, किशन लाल इत्यादि ने आहुतियां अर्पित की।
/articles/100-varasa-pauraanae-taalaaba-kaa-garaamainaon-nae-kaiyaa-jairanaodadhaara