सफलता की कहानियां और केस स्टडी

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गाँव ने रोका अपना पानी
Posted on 03 Dec, 2018 08:37 PM

'खेत का पानी खेत में' और 'गाँव का पानी गाँव में' रोकने के नारे तो बीते पच्चीस सालों से सुनाई देते रहे हैं, लेकिन इस बार बारिश के बाद एक गाँव ने अपना पानी गाँव में ही रोककर जलस्तर बढ़ा लिया है। इससे गाँव के लोगों को निस्तारी कामों के लिये पानी की आपूर्ति भी हो रही है और ट्यूबवेल, हैण्डपम्प और कुएँ-कुण्डियों में भी कम बारिश के बावजूद अब तक पानी भरा है। यह काम किसी सरकारी योजना के अन्तर्गत नहीं हुआ

बेहरी में कच्चे बाँध से लबालब नदी
अनूठा पर्यावरण प्रेमी
Posted on 29 Oct, 2018 08:11 PM

दावा है कि कभी आपने ऐसा पुलिस अफसर नहीं देखा होगा, आज तक आपने जितने भी पुलिस अफसर देखे होंगे, अपराधों पर सख्ती से अंकुश लगाने या नरम-गरम छवि की वजह से पहचाने जाते रहे हैं। आमतौर पर खाकी वर्दी और रौब झाड़ना ही पुलिस की पहचान होती है लेकिन एक आईपीएस अफसर ने इस धारणा को पूरी तरह से बदल दिया।

जंगल का रूप लेते हाथीपावा के पौधे
पुनर्जीवित हुआ ढाई सौ साल पुराना तालाब
Posted on 12 Oct, 2018 02:31 PM

"जिस दौर में ये तालाब बने थे, उस दौर में आबादी और भी कम थी। यानी तब जोर इस बात पर था कि अपने हिस्से में बरसने वाली हरेक बूँद इकट्ठी कर ली जाये और संकट के समय में आसपास के क्षेत्रों में भी उसे बाँट लिया जाये। वरुण देवता का प्रसाद गाँव अपनी अंजुली में भर लेता था।

मीठा तालाब
पानी की महत्ता का स्मारक बाला तालाब
Posted on 22 Sep, 2018 06:38 PM

एक समाज ने अपना तालाब सहेजकर पानी के संकट की आशंका को हमेशा-हमेशा के लिये खत्म कर दिया। इस एक तालाब से आसपास के करीब 25 गाँवों में भूजलस्तर काफी अच्छा है। आज जबकि यह पूरा इलाका पानी के संकट से रूबरू हो रहा है तो ऐसे में यह तालाब और यहाँ का समाज एक मिसाल है, पानी को रोककर जमीनी पानी के स्तर को ऊँचा उठाने में। आसपास पहाड़ियों से घिरे होने की वजह से थोड़ी-सी भी बारिश में यह लबालब भर जाता है और अमूमन

बाला तालाब
आदिवासियों ने सहेजे माता नु वन
Posted on 03 Sep, 2018 02:32 PM

मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में अपढ़ समझे जाने वाले आदिवासी समाज ने अपने जंगल को सहेजकर पढ़े-लिखे समाज को एक बड़ा सन्देश दिया है। जिले के 110 गाँवों में खुद आदिवासियों ने अपने बूते आसपास के जंगलों को न सिर्फ सहेजा, बल्कि वहाँ 41 हजार नए पौधों को रोपकर घना जंगल खड़ा करने के लिये भी जतन शुरू कर दिया है।

आदिवासियों के प्रयास से हरा-भरा हुआ जंगल
जल संरक्षण कर पानीदार हुआ मोरी
Posted on 20 Aug, 2018 04:00 PM चिंवा गाँव (फोटो साभार - अमर उजाला)भूजल वैज्ञानिक डॉ.
चिंवा गाँव
इजराइली तरीके से बारिश का पानी तिजोरी में
Posted on 07 Aug, 2018 04:14 PM

आपने शायद ही कभी सुना होगा कि बारिश के पानी को तिजोरी में रखा जाता हो, लेकिन मालवा के किसान अपने खेतों पर इसे साकार कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिये बाकायदा जमीन पर लाखों की लागत से पॉलिथीन बिछाकर बारिश से पहले ही इस पानी को इजराइली तरीके से अपनी तिजोरी में स्टोर करने की पूरी तैयारी कर रखी थी। इस बारिश का करोड़ों लीटर पानी अब इसमें संग्रहित हो चुका है, जो गर्मियों में भी फसल लहलहाएगा। मालवा के कई

पानी से लबालब भरा प्रहलाद का तालाब
मधेश्वर नेचरपार्क द्वारा ग्राम पंचायत भंडरी का विकास
Posted on 26 Jul, 2018 02:30 PM


मयाली गाँव में मधेश्वर में स्थित वनों का संरक्षण ग्रामीणों द्वारा किया जाता है तथा नए वृक्षों का रोपण वैज्ञानिक पद्धति से किया गया है जिससे वहाँ के वन अब व्यवस्थित नजर आते हैं। सभी ग्रामीण पर्यावरण के महत्त्व को समझते हुए अपने घर में कम-से-कम 5 वृक्ष अवश्य लगाते हैं जिसमें मुनगा, पपीता, नीबू, आँवला तथा आम हैं जिससे भंडरी ग्राम पंचायत में आज चारों ओर हरियाली-ही-हरियाली है।

मधेश्वर नेचरपार्क
मिसाल बेमिसाल
Posted on 25 Jul, 2018 02:44 PM


द्वारका वाटर बॉडीज रिवाइवल कमेटी (Dwarka Water Bodies Revival Committee) का प्रयास आखिरकार रंग लाया। कमेटी के सदस्यों ने बिना सरकारी मदद के इलाके के दो तालाबों को जीवन्त रूप देने में सफलता हासिल की है। लेकिन सफलता की यह लड़ाई काफी लम्बी है जिसमें सरकारी महकमें की उदासीनता और कानूनी दाँव-पेंच से भी कमेटी के सदस्यों को रूबरू होना पड़ा है।

डिस्ट्रिक्ट पार्क तालाब सेक्टर 23 द्वारका दिल्ली
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