पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

Term Path Alias

/sub-categories/books-and-book-reviews

बोवै बजरा आये पुक्ख
Posted on 23 Mar, 2010 12:13 PM
बोवै बजरा आये पुक्ख।
फिर मन कैसे पावै सुक्ख।।


शब्दार्थ- सुक्ख-सुख।

भावार्थ- यदि कोई कृषक पुष्य नक्षत्र लगने पर बाजरा बोता है तो उसकी पैदावार न के बराबर होगी और उसे सुख की प्राप्ति नहीं होगी।

पूस न बोये
Posted on 23 Mar, 2010 12:11 PM
पूस न बोये।
पीस खाये।।


भावार्थ- पूस में बोने से पीसकर खा लेना अच्छा है।

पुक्ख पुनर्वस बोवै धान
Posted on 23 Mar, 2010 12:09 PM
पुक्ख पुनर्वस बोवै धान।
असलेखा जोन्हरी परमान।।


भावार्थ- पुष्य एवं पुनर्वसु नक्षत्र में धान एवं अश्लेषा नक्षत्र में जोन्हरी (ज्वार) बोने से फसल अच्छी होती है।

पहिले काँकरि पीछे धान
Posted on 23 Mar, 2010 12:07 PM
पहिले काँकरि पीछे धान।
उसको कहिये पूर किसान।।


शब्दार्थ- काँकरि- ककड़ी।

भावार्थ- जो किसान पहले ककड़ी बोकर फिर धान बोता है उसे पू्र्ण किसान समझा जाता है क्योंकि जो चतुर किसान होता है वही ऐसा करता है।

पूरबा में जिन रोपो भइया
Posted on 23 Mar, 2010 12:06 PM
पूरबा में जिन रोपो भइया।
एक धान में सोरह पइया।।


भावार्थ- हे किसान भाई! पूर्वा नक्षत्र में धान की रोपाई कभी न करो क्योंकि एक धान में सोलह पइया (तत्त्वहीन बीज) होता है अर्थात् पूर्वा नक्षत्र में रोपने से फसल में दाना नहीं पड़ता है।

नरसी गेहूँ सरसी जवा
Posted on 23 Mar, 2010 12:04 PM
नरसी गेहूँ सरसी जवा।
अति के बरसे चना बवा।।


शब्दार्थ- नरसी – नीरस या शुष्क।

भावार्थ- गेहूँ की बोवाई खुश्क खेत में और जौ की तर खेत में करनी चाहिए, लेकिन यदि पानी अधिक बरसे तो उसमें चना बोना चाहिए।

जौ गेहूँ बौवै पाँच पसेर
Posted on 23 Mar, 2010 11:12 AM
जौ गेहूँ बौवै पाँच पसेर, मटर के बीघा तीसै सेर।
बोवै चना पसेरी तीन, तिन सेर बीघा जोन्हरी कीन।।

दो सेर मोथी अरहर मास, डेढ़ सेर बिगहा बीज कपास।।
पाँच पसेरी बिगहा धान, तीन पसेरी जड़हन मान।।

सवा सेर बीघा साँवाँ मान, तिल्ली सरसों अँजुरी जान।।
बर्रै कोदो सेर बोआओ, डेढ़ सेर बीघा तीसी नाओ।।
जब बर्र बरौठे आई
Posted on 23 Mar, 2010 11:07 AM
जब बर्र बरौठे आई।
तब रबी की होय बोवाई।।


शब्दार्थ- बर्रे-ततैया। हाड़ी। बरौठे-दालान में।

भावार्थ- जब बर्रे उड़ती हुई दालान में बैठने लगें, तब समझ लेना चाहिए कि रबी की बोवाई का समय आ गया है।

जो तू भूखा माल का
Posted on 23 Mar, 2010 11:05 AM
जो तू भूखा माल का।
तो ईख करे नाल का ।।


भावार्थ- यदि किसान धन का भूखा है तो उसे नाले या नहर की ओर ईख बोनी चाहिए। सिंचाई की सुविधा के कारण फसल अच्छी होगी।

जो कोई अगहन बोवै जौआ
Posted on 23 Mar, 2010 10:08 AM
जो कोई अगहन बोवै जौआ।
होइ त होइ नहीं खावै कौआ।।


भावार्थ- जो किसान अगहन मास में जो बोता है तो जौ हुआ, बर्ना उसे कौवे ही खाते हैं अर्थात् वह फसल भाग्य के भरोसे ही होती है।

×