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/topics/rainwater-harvesting
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ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षाजल संचयन एवं रिचार्जिंग कार्यक्रम सामान्यत: वाटरशेड को एक इकाई के रूप में मानकर लागू किया जाना चाहिए।
इस हेतु प्रत्येक विकास खण्ड/न्याय पंचायत की हाइड्रोजियोलॉजिकल परिस्थितियों का आकलन आवश्यक है।
मेघालय के रि-भोई जिले के उमियम में किए गए इस अध्ययन के अंतर्गत छत पर वाटर हार्वेस्टिंग के
दुनिया की बड़ी आबादी आज भी पीने के पानी के लिये जद्दोजहद कर रही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जल संकट भविष्य में बड़ी समस्या होगी। उस स्थिति से निपटने के लिये अगर अभी से तैयारी नहीं की गई तो परिणाम भयंकर हो सकते हैं। रेन वाटर हार्वेस्टिंग ऐसी ही कोशिश है जिसके जरिए वर्षाजल का संचयन कर उसका इस्तेमाल कर हम अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं।
आज दुनिया भर में पानी का संकट तेजी से गहराता जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि स्थितियाँ न सुधरीं तो 2025-30 तक विश्व की 50 फीसदी आबादी भयंकर जलसंकट झेलने को मजबूर होगी। जलसंकट से निपटने का सबसे कारगर तरीका है वर्षाजल संचयन। ‘बूँद-बूँद से सागर भरता है’, इस कहावत को सच कर दिखाया है रेनवाटर हार्वेस्टिंग तकनीक से बारिश की बूँदों को सहेजने वाली इन सराहनीय कोशिशों ने-
63 वर्षीय श्यामजी जाधव राजकोट (गुजरात) के बहुत कम पढ़े लिखे किसान हैं पर जल संरक्षण को लेकर उनके प्रयास अच्छे अच्छों को मात देते हैं। उनकी सौराष्ट्र लोक मंच संस्था ने साधारण वर्षाजल संरक्षण संयंत्रों का प्रयोग कर समूचे गुजरात के लगभग 3 लाख खुले कुओं और बोरवेलों को बारिश के पानी से पुनर्जीवित कर दिया है।