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स्वच्छता
मैला ढोने वालों की त्रासदी
Posted on 21 Oct, 2010 03:01 PM
शुष्क शौचालयों की सफाई या सिर पर मैला ढोने की कुप्रथा हालांकि संज्ञेय अपराध है।
पानी और शौचालय को तरसते 64 करोड़ लोग
Posted on 08 Oct, 2010 08:31 AMभारत में 63 करोड़ 80 लाख लोग पानी और शौचालय को तरस रहे है।
ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय की सुविधा 55 प्रतिशत घरों में नहीं है और आज यह समस्या अपने विकराल रुप के साथ 74 प्रतिशत तक पहुंच गयी है।
आंकड़े बताते है कि शौचालय की कमी के कारण 44 प्रतिशत माताएं अपने बच्चों को खुले आसमान के नीचे मैदान में मल-मूत्र कराने को मजबूर है।
शहरों को रहने लायक बनाइये
Posted on 22 Sep, 2010 12:11 PMदिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल होने हैं। दिल्ली को विश्वस्तरीय शहर के रूप में तैयार किया जा रहा था। बारिश ने सरकार और योजना बनाने वाले उच्च अधिकारियों की पोल खोल दी। देश की राजधानी में बारिश के पानी की निकासी का इंतज़ाम नहीं है। रिहायशी इलाक़ों से लेकर सड़कों तक पानी भर गया। ट्रैफिक जाम के चलते लोग घंटों रास्ते में फंसे रहे। यह भी जगज़ाहिर है कि तेज़ी से बढ़ती आबादी की ज़रूरत के मुताबिक़ शहरीकरण
एक प्रथा कलंक की
Posted on 24 Jul, 2010 09:50 AMइक्कीसवीं सदी का पहला दशक अपने अंतिम पड़ाव पर है। सारी दुनिया में तकनीक का बोलबाला है। तकनीक के कारण ही कहा जा रहा है कि पूरी दुनिया एक गांव में बदल चुकी है। विश्व में मानव अधिकारों की हर जगह चर्चा हो रही है। मानवीय गरिमा के साथ जीना हर मानव का अधिकार है। ऐसे समय में भारत में मैला प्रथा का जारी रहना देश की सभ्यता और तरक्की पर एक बदनुमा दाग की तरह है। यह मानवाधिकार का हनन भी है कि एक मनुष्य क
क्या हो हमारा ई-कचरा प्रबंधन मॉडल
Posted on 28 May, 2010 08:28 AMभारत को क्या दुनिया भर में बढ़ते कबाड़ और जहरीले कचरे के ढेर का आयात करना चाहिए और उसे पुन:चक्रित कर इस्तेमाल में लाना चाहिए? क्या यह हमारे लिए एक कारोबारी संभावना के रूप में उभर सकता है? क्या इस अवसर का फायदा उठाना चाहिए क्योंकि धनी देशों को इलेक्ट्रॉनिक से लेकर चिकित्सा उत्पादों तक के कचरे का निस्तारण करने के लिए सस्ते और प्रभावी साधन की जरूरत है?
कम्पोस्ट परिभाषा (Compost Definition in Hindi)
Posted on 26 May, 2010 11:33 AMकम्पोस्ट परिभाषा (Compost Definition in Hindi) 1. कम्पोस्ट - (पुं.) (वि.) - (अं.) कृषि वि. खेती में प्रयोग की जाने वाली वह खाद जिसमें प्रमुख रूप से कार्बन और खनिज पदार्थ रहते हैं तथा जो कार्बनिक पदार्थों के विघटन से तैयार की जाती है। टि. प्राय: सड़े-गले पौधों, पशुओं के मल इत्यादि को मिटटी में कुछ समय तक दबाकर यह खाद प्राप्त की जाती है। compost
खाद बनने के लिए गोबर आदि को सड़ाना पड़ता है, ऐसी भाषा हम बोलते हैं और ‘सड़ाना’ शब्द के साथ कुछ कमी का, बिगाड़ का भाव है। असल में उसे हम ‘सड़ाना’ नहीं, ‘पकाना’ कहेंगे, ‘गलाना’ कहेंगे जैसे कि अनाज पकाकर खाया जाता है।
कम्पोस्ट परिभाषा (Compost Definition in Hindi) 2. मैले से माने गये अनर्थ का मूल कारण यह है कि उसे चीन में कच्चा या अधपका ही उपयोग में लाया जाता होगा। यह हमने ऊपर देखा। किसी चीज का खाद के तौर पर उपयोग करने के पहले वह पूरी गली हुई याने पकी होनी चाहिए, यह बात आदमी प्राचीन काल से जानता आया है। गोबर के गलने के बाद ही खाद के तौर पर किसान उसका उपयोग करता है। गोबर आदि को ताजा देने के बजाय सड़ा-गलाकर देना अधिक उपयोगी है। यह बात जरा विचित्र तो लगती है क्योंकि और चीजें तो ताजी अच्छी होती हैं, जैसा कि हम अनुभव करते हैं, फिर खाद के संबंध में यह उल्टी बात क्यों? इसकी एक वजह तो यह है कि खाद बनने के लिए गोबर
स्वस्थ जीवन के लिये स्वच्छ पानी का “अर्घ्य”
Posted on 23 Mar, 2010 04:17 PMवर्तमान समय की सबसे बड़ी समस्या है “जल प्रदूषण”, जो करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में ले रही है, आज की सबसे बड़ी जरूरत है कि हम पानी के अपने स्थानीय स्रोतों को पुनर्जीवित करें और उन्हें संरक्षित करें ताकि एक तरफ़ तो सूखे से बचाव हो सके, वहीं दूसरी तरफ़ साफ़ पानी की उपलब्धता हो सके। साफ पानी को हमें अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक मानकर भारत में पर्यावरण स्वच्छता के तरीके भी हासिल किये जा सकें। - रोहिणी निलेकणी
रोहिणी निलेकणी, “अर्घ्यम” की अध्यक्षा और संस्थापक हैं, “अर्घ्यम” की स्थापना उन्होंने सन् 2005 में की थी।
स्वच्छता सबका अधिकार है - इंदिरा खुराना
Posted on 21 Mar, 2010 01:00 PMविश्व जल दिवस के अवसर पर विशेष रेडियो श्रृंखला “जल है तो कल है” इंडिया वाटर पोर्टल प्रस्तुत कर रहा है। यह कार्यक्रम वन वर्ल्ड साउथ इंडिया के सहयोग से प्रस्तुत किया जा रहा है। 19 मार्च को प्रसारित कार्यक्रम की मेहमान इंदिरा खुराना जी हैं, जो वाटरएड की पालिसी और पार्टनर डायरेक्टर हैं।
यह कार्यक्रम एआईआर एफएम रेनबो इंडिया (102.6 मेगाहर्टज) पर रोजाना 18-23 मार्च, 2010 तक समय 3:45- 4:00 शाम को आप सुन सकते हैं।