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स्वच्छता
गांधीजी का स्वच्छ भारत का सपना बनेगा हकीकत
Posted on 22 Oct, 2014 03:50 PM“स्वच्छता स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण है” महात्मा गांधीआजादी के 64 वर्ष बाद भी देश की आधी से अधिक आबादी खुले में शौच करती है जोकि वाकई में चिंता का विषय है। शौचालयों का नहीं होना, पानी का अभाव या अपर्याप्त प्रौद्योगिक के कारण संचालन और रखरखाव के अभाव के कारण हालात नहीं सुधर रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि शौचालय बनाने की दिशा में अभी तक कोई कार्य नहीं किया गया लेकिन यह कार्य बेहद धीमी गति से हुआ और जो हुआ वह भी गुणवत्ता या रखरखाव में कमी या संचालन के अभाव के कारण लोगों के जीवन-स्तर में उतना परिवर्तन नहीं ला पाया जितना कि इतने वर्षों में आना चाहिए था। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में 590 मिलियन लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
सफाई के लिए अमेरिकी पुरस्कार
Posted on 22 Oct, 2014 11:16 AMइसे महज संयोग ही कहा जाना चाहिए कि एक ओर केंद्र सरकार ने गांधी जयंती पर देशव्यापी सफाई अभियान शुरू किया और दूसरी ओर एक भारतीय को अमेरिका की एक संस्था की ओर से सफाई को लेकर जागरूकता करने और बड़े पैमाने पर बदलाव लाने के लिए एक लाख डॉलर के पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि बिहार जैसे प्रदेश में ह्यूमेन्यूर पॉवर संस्था के माध्यम से सस्तेस्वच्छ भारत के लिए भरपूर संसाधन जरूरी
Posted on 21 Oct, 2014 11:56 AMप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काम करने का एक खास अंदाज है जो ध्यान आकर्षित कर लेता है। फिर बात उनके शिक्षक दिवस के संबोधन की हो या मेडिसन स्क्वेयर के शो की या फिर गांधी जयंती पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की हो। मोदी इस बात को सुनिश्चित कर लेते हैं कि प्रचार ज्यादा से ज्यादा हो। किसी भी राजनीतिज्ञ के लिए यह कम बड़ी बात नहीं है जबकि आम जनता के मन में इस
स्वच्छ भारत अभियान एक सकारात्मक पहल
Posted on 21 Oct, 2014 10:24 AMराष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी मोदी अपनी लगभग हर सभा में सफाई पर जोर देते थे और सत्ता में आने के बाद अपने मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके विरोधी इसे एक चुनावी स्टंट करार दे रहे हैं जो महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किया जा रहा है
भारत स्वच्छता अभियान और महात्मा गांधी
Posted on 20 Oct, 2014 12:25 PMकहने को तो गंदगी फैलाने पर जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन ऐसा होतागंदगी की बला दूसरे के सिर
Posted on 19 Oct, 2014 09:30 AMहमारे जैसे देश में जहां कूड़े-करकट के ढेर लगे रहते हैं, उन्हें साफहाथ धुलाई में विश्व रिकॉर्ड के लिए मध्य प्रदेश ने किया प्रयास
Posted on 18 Oct, 2014 09:28 AMमध्य प्रदेश में बड़े स्तर पर सही तरीके से हाथ धुलाई को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ मध्य प्रदेश अभियान के तहत विश्व हाथ धुलाई दिवस के दिन प्रदेश के लाखों स्कूली बच्चों के हाथ धुलवाए गए। स्वच्छता को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य की स्थितियों में सुधार के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने मध्य प्रदेश टेक्निकल असिसटेंट सपोर्ट टीम और वाटर एड के साथ मिलकर गिनिज बुक ऑफ रिकॉर्ड
ऐसे तो बदलने से रहे गांव
Posted on 16 Oct, 2014 09:51 AMप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सौ स्मार्ट सिटी बनाने का इरादा जताने के बाद अब गांवों को भी स्मार्ट बनाने के इच्छुक हैं। उन्होंने अपनी सरकार के एक और महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ की शुरुआत कर दी है। इस योजना के तहत सभी सांसद 2019 तक तीन गांवों में बुनियादी और संस्थागत ढांचा विकसित करने की जिम्मेदारी उठाएंगे। गांवों में साफ-सफाई रखी
मौत को दावत दे रहा शौचालय!
Posted on 14 Oct, 2014 10:16 AMमुंबई लगभग 20 एकड़ में फैले पहाड़ पर बसे करीब 50 हजार लोग अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। एक शौचालय की जजर्र स्थिति के कारण लोग परेशानी में हैं। पिछले 15 सालों से जान जोखिम में डालकर लोग इस शौचालय का इस्तेमाल कर रहे हैं। सिंगल सीट वाले इस टॉयलेट को शहर के सबसे खतरनाक टॉयलेट का नाम दिया जा रहा है।
गांधीजी और स्वच्छता
Posted on 07 Oct, 2014 03:37 PMगुजरात विद्यापीठ के बेहतरीन कार्यकर्ताओं और शिक्षकों में से एक ने ग्राम और ब्लॉक स्तर के सरकारी अधिकारियों के रवैये को लेकर पिछले दिनों चिंता जाहिर की थी। इन अधिकारियों को व्यक्तिगत शौचालय निर्माण और उसके लिए धन की व्यवस्था के बारे में प्रस्ताव संभावित लाभार्थियों द्वारा दिए गए थे। लेकिन उन्होंने इस बात को ही नकार दिया कि उन्हें ऐसे प्रस्ताव मिले हैं।
हमारी स्वयं से की गई प्रतिबद्धता की वजह से ही शौचालय के निर्माण को संधि रूप से प्रोत्साहित करने के लिए विद्यापीठ शामिल है। यह संकल्प श्री नारायण देसाई की 108वीं गांधी कथा (भारतीय परंपरा के अनुसार पौराणिक कथाएं सार्वजनिक तौर पर सुनाई जाती हैं। गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति नारायण देसाई (गांधीजी की कहानियों को उसी तरह सुनाया करते थे) के बाद किया गया था।