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स्वच्छता
टॉयलेट वैन से शौचमुक्त होगी दिल्ली
Posted on 10 Sep, 2017 10:45 AMसड़क किनारे और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को अब खुले में शौच जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, खुले में शौच जाने वालों को रेडीमेड शौचालय की सुविधा देने जा रहा है। नगर निगम ऐसे इलाकों में अब मोबाइल टॉयलेट वैन चलाएगा। मोबाइल टॉयलेट वेन झुग्गी-झोपड़ी और उन इलाकों में चलाई जाएगी जहाँ पर लोगों को मजबूरन खुले में शौच जाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
एक आदेश, एक लाख इरादे और बदला पिंकसिटी का मिजाज
Posted on 03 Sep, 2017 04:25 PM
जयपुर। एक सरकारी आदेश किस तरह से लोगों की जागरूकता की वजह से अभियान बन जाता है, इसका एक उदाहरण पिंकसिटी में देखा जा सकता है।
राजधानी में कूड़ा या कूड़े में राजधानी
Posted on 28 Aug, 2017 11:48 AMवर्ष 2020 तक राजधानी की आबादी बढ़कर 223 लाख हो जाएगी और कूड़े का उत्सर्जन भी प्रतिदिन 560
स्वच्छता की डगर पर अगर-मगर
Posted on 14 Aug, 2017 04:27 PMहर घर में शौचालय होना चाहिए। यह 21वीं सदी में दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती है। दरअसल विश्व में करीब 100 करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं। दुनिया को 2030 तक इससे मुक्त करने का लक्ष्य है। यह तभी सम्भव है जब भारत 2019 तक खुले में शौच मुक्त करने के लक्ष्य को हासिल करता है क्योंकि भारत की करीब 60 करोड़ की आबादी इसमें शामिल है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में बिहार, झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश
स्वच्छता अभियान: जानलेवा अभियान
Posted on 12 Aug, 2017 12:53 PM
देश भर में स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर खुले में शौच करने वालों को प्रताड़ित करने के मामले सामने आ रहे हैं। राजस्थान में तो एक सामाजिक कार्यकर्ता को पीट-पीटकर मार तक दिया गया।
टॉयलेट, एक प्रेम कथा - Toilet, Ek Prem Katha
Posted on 12 Aug, 2017 10:39 AMशौच और सोच के बीच एक व्यंग्यकथा
डायरेक्टर :श्री नारायण सिंह
लेखक: सिद्धार्थ-गरिमा
कलाकार : अक्षय कुमार, भूमि पेडणेकर, सुधीर पांडेय और अनुपम खेर
मूवी टाइप : ड्रामा
अवधि : 2 घंटा 35 मिनट
आज भी खुले में शौच बड़ा मुद्दा है, अभी भी देश में साठ फीसदी से ज्यादा लोग खुले में शौच के आदी हैं। ‘खुले में शौच’ एक आदत है, साथ ही एक सोच है, जिसने भारत को गंदगी का नाबदान बना रखा है। फिल्म खेतों और खुले में शौच करने की आदत पर करारा व्यंग्य है।
कहानी की शुरुआत
मथुरा का नंदगाँव अभी पूरी तरह नींद की आगोश में है। रात का अंतिम पहर खत्म होने में कुछेक घंटे बाकी हैं। महिलाएँ हाथों में लोटा और लालटेन लेकर निकल पड़ी हैं। रास्ते में वे एक-दूसरे से खूब हँसी-मजाक करती हैं। यह वक्त उनके लिये आजादी का वक्त है।
नाभिकीय प्रदूषण : चुनौतियाँ और चिन्ताएँ
Posted on 22 Jun, 2017 03:39 PMरेडियोधर्मी कचरा वह कचरा है जिसमें रेडियोधर्मी पदार्थ मौजूद ह