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सूखा और बाढ़
मध्यप्रदेश: लोगों की पहुंच से दूर क्यों हो रहा जल, कैसे होगा जल संकट हल
Posted on 02 May, 2024 04:56 PMजल धरती पर जीवन का आधार है। एक कहावत है कि, जल है तो कल है। यह कहावत दशकों से हमारे जिहन में समायी है। मगर, वास्तव में जल है तो हमारा आज है। यदि जल नहीं होगा तो कल का सवाल ही पैदा नहीं होगा। आज हम जल को उसी तरह तरसने लगे जैसे मछली तरसती है। जल संकट आज दुनियां का एक विकराल सवाल बना गया। जिसका हल समूची दुनियाँ तलाश रही है।
न बाढ़ रहे न सूखा
Posted on 23 Mar, 2024 01:08 PMबाढ़ और सूखे की बाहरी पहचान उतनी ही अलग है जितनी पर्वत और खाई की-एक ओर वेग से बहते पानी की अपार लहरें हैं तो दूसरी ओर बूंद-बूंद पानी को तरसते सूखी, प्यासी धरती। इसके बावजूद प्रायः यह देखा गया है कि बाढ़ और सूखे दोनों के मूल में एक ही कारण है और वह है उचित जल-प्रबंध का अभाव। जल-संरक्षण की उचित व्यवस्था न होने के कारण जो स्थिति उत्पन्न होती है, उसमें हमें आज बाढ़ झेलनी पड़ती है तो कल सूखे का सामन
बाढ़ और सूखा वन-विनाश के दो पहलू
Posted on 09 Mar, 2024 03:41 PMआज आधुनिकता की अन्धी सड़क और बढ़ती आबादी के अन्धे स्वार्थ ने पेड़ों का पीछा कर रही है। मूक और अचल जंगल भाग नहीं सकते। मनुष्यों की क्रूरता के कारण वे नष्ट हो रहे हैं। रोज लाखों-करोड़ों वृक्षों का जीवन समाप्त कर देता है मनुष्य ! पेड़ प्रतिशोध नहीं लेते, किन्तु प्रकृति का अदृश्य सन्तुलन चक्र वन-विनाश के भावी परिणामों का हल्का संकेत तो देता ही है-प्रलयकारी बाढ़ों और भयावह सूखे के रूप में।
पानीदार भारत में बढ़ते सुखाड़ का दायरा
Posted on 08 Jan, 2024 11:10 AMसर्दी के मौसम में जब उत्तर भारत में थोड़ी बहुत मावठे वाली बारिश हो रही है, ऐसे में सूखे की चर्चा अटपटी जरुर है, पर जलवायु परिवर्तन के दौर में बिगड़ते मानसून के स्वरुप और अंधाधुध भूमि के दोहन ने सूखे के दायरे और तीव्रता को और बढ़ा दी है। वैश्विक स्तर पर शुष्क या सूखा प्रभावित क्षेत्र का दायरा बढ़कर कुल भू-भाग का लगभग आधा हो चुका है। इस आधे भाग में विश्व की एक-
प्रकृति की छाती पर शहरीकरण के नाच का नतीजा
Posted on 28 Oct, 2023 11:51 AMबंगलुरु में हाल ही में हुई भीषण वर्षा के बाद हुई जल भराव की खबरों ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं। तमाम लोगों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा और इंटरनेट पर इस पूरे घटनाक्रम से जुड़े तमाम मीम्स और मज़ाक़ वायरल होते रहे। स्थिति वाकई कई मायनों में हास्यास्पद थी, मगर यह एक चिंता का भी विषय है। आखिर भारत के इस आईटी हब ने कथित तौर पर 225 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान दर्ज किया इस बा
कैमरून में घटते जल संसाधन
Posted on 27 Oct, 2023 12:48 PMउत्तरी कैमरून में सिकुड़ते पानी के स्रोतों को लेकर तनाव के चलते 5 दिसंबर 2021 को शुरू हुए जातीय संघर्षों के बाद एक लाख लोग विस्थापित हुए हैं। इस क्षेत्र में पानी का दबाव, लंबे समय से चले आ रहे जातीय तनावों के बाद अब समुदायों की हथियारबंद झड़पों में बदल रहा है।
बाढ़ के दौरान पेयजल की आपूर्ति
Posted on 18 Sep, 2023 02:57 PMबजली जिला 2021 में स्थापित असम का 34वां जिला है और 173 गांवों में इसकी कुल आबादी लगभग 3 लाख है। इस जिले में 418 वर्ग किमी का क्षेत्र शामिल है, जो भारी वर्षा के कारण 15 जून से इस मानसून के मौसम में अत्यधिक जलप्लावित था। पोहुमोरा और कालदिया. नदियों के तटबंध टूटने के कारण बाढ़ आई है। तटबंधों के आस-पास के निवासियों के घर पूरी तरह से बह गए और लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी।
सूख रहे झरनों का पुनरुत्थान
Posted on 18 Sep, 2023 02:28 PMअरुणाचल प्रदेश अनुमानित 3.19 बिलियन क्यूबिक मीटर भूजल संसाधनों (सीजीडब्ल्यूबी, 2020) और भारत की एक तिहाई से अधिक जलविद्युत क्षमता के साथ प्रचुर जल संसाधनों से संपन्न है। कई प्रमुख नदियाँ जैसे कामँग, सियांग, सुबनसिरी, आदि और कई आर्द्रभूमि जैसे भागजंग, नगुला, आदि इसकी समृद्ध जैव विविधता का पोषण करती हैं। इतने विशाल जल संसाधनों के बावजूद, अरुणाचल प्रदेश पीने के पानी की कमी से जूझ रहा है।
पुरा- बाढ़ अध्ययन की आकल्पन में उपयोगिता
Posted on 07 Sep, 2023 10:17 AMसामान्य अर्थों में बाढ़ एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसकी मानव चिरकाल से अनुभूति करता आ रहा है और इसके मापन के तरह-तरह के वैज्ञानिक तरीके विकसित करने के प्रयास होते रहे हैं। वर्तमान युग संगणक युग माना जाता है। जलविज्ञान ने इसकी सहायता से पिछले कुछ दशकों में अच्छी प्रगति की है। पुरा - बाढ़ तकनीक के माध्यम से ऐसी बाढ़ जो सौ दौ सौ अथवा हजारों साल पहले कभी किसी नदी में आई थी उनके परिणाम काफी हद तक शुद्
विकास से उपजती है बाढ़
Posted on 01 Sep, 2023 01:15 PMयह जानने के लिए अब किसी गहन - गंभीर शोध की जरूरत नहीं बची है। कि आजकल विकास के नाम पर किया जाता धतकरम असल में भीषण त्रासदियों को जन्म देता है। इन दिनों देश की राजधानी दिल्ली जिस तरह से बाढ़ की चपेट में है उससे विकास की यही विडंबना खुलकर उजागर हो रही है। शहर के बुनियादी ढांचे की विकास परियोजनाओं ने स्थानीय जल निकास यानि सीवेज को बाधित कर दिया है। खराब तरीके से डिजाइन किए गए शहरी विस्तार में सीवे