A recent study finds that climate change induced extreme weather events such as droughts can increase the vulnerability of women to Intimate Partner Violence (IPV).
Posted on 20 Aug, 2016 03:11 PM समूची दुनिया आज बाढ़ की विभीषिका से हलकान है। इससे निपटने के लिये इस दिशा में वैज्ञानिक शोध हो रहे हैं कि आने वाले समय में यह समस्या न रहकर अनेक समस्याओं का समाधान बन जाए। ऐसा संभव होगा बाढ़ के पानी को संरक्षित करके
Posted on 20 Aug, 2016 12:52 PM हमारी राज्य सरकारों ने देशभर में मूसलाधार बरसात और अभूतपूर्व बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिये जो तरीके अपनाए हैं, उसके लिये अवश्य ही उन्हें बधाई दी जानी चाहिए। पुल धराशायी हो रहे हैं, शहरों के शहर बाढ़ में डूबे हुए हैं, नदियाँ उफान पर हैं।
Posted on 20 Aug, 2016 12:32 PM बाढ़ और सूखा पुराने जमाने से ही हमारे जीवन को परेशानी में डालते रहे हैं। बाढ़ और सूखा केवल प्राकृतिक आपदाएं भर नहीं हैं, बल्कि ये एक तरह से प्रकृति की चेतावनियाँ भी हैं। सवाल यह है कि क्या हम पढ़-लिख लेने के बावजूद प्रकृति की इन चेतावनियों को समझ पाते हैं।
Posted on 08 Aug, 2016 09:43 AM केदारनाथ त्रासदी को तीन साल पूरे हो चुके हैं। घाटी से दुख-दर्द, राज्य सरकार की उदासीनता और उपेक्षा, कॉरपोरेट जगत की गलतियों और त्रासदी के समय मुसीबत में फँसे लोगों की मदद के लिये स्थानीय लोगों ने जो दिलेरी, जांबाजी और हिम्मत दिखाई, उसकी कहानियाँ अब भी लोगों ने काफी कम सुनी है। राज्य सरकार अब भी केदारनाथ में विध्वंस के उस पैमाने से इनकार कर रही है, जिस मात्रा में नदी ने यहाँ तबाही मचाई थी। उत
Posted on 01 Aug, 2016 02:20 PM पृथ्वी की सतह पर, भूकम्प अपने आप को, भूमि को हिलाकर या विस्थापित करके प्रकट करता है। जब एक बड़ा भूकम्प अधिकेंद्र (एपीसेंटर) अपतटीय स्थिति में होता है, यह समुद्र के किनारे पर पर्याप्त मात्रा में विस्थापन का कारण बनता है, जो सुनामी का कारण है। भूकम्प के झटके कभी-कभी भूस्खलन और ज्वालामुखी गतिविधियों को भी पैदा कर सकते हैं। भूकम्प पृथ्वी की परत (क्रस्ट) से
Posted on 01 Aug, 2016 12:48 PM ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ अर्थात विश्व बन्धुत्व की भारतीय अवधारणा प्राकृतिक सम्पदा के सीमित उपभोग के साथ वैष्विक सामुदायिक हितों से जुड़ी थी, लेकिन भूमण्डलीकरण बनाम आर्थिक उदारवाद की धारणा से उपजी ‘विश्व-ग्राम’ की कथित अवधारणा ने इंसान को सहुलियत की जिन्दगी देने से कहीं ज्यादा, प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ावा देने का काम किया है।