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Meta Description
Agriculture, an important sector of our economy accounts for 14 per cent of the nation’s GDP and about 11 per cent of its exports. India has the second largest arable land base (159.7 million hectares) after US and largest gross irrigated area (88 milion hectares) in the world. Rice, wheat, cotton, oilseeds, jute, tea, sugarcane, milk and potatoes are the major agricultural commodities produced. More importantly, over 60 per cent of the country’s population, comprising several million small farming households, depends on agriculture as a principal income source and land continues to be the main asset for livelihood security. 
Meta Keywords
Flowers, trees
Featured Articles
September 6, 2024 A millet-based approach to combating malnutrition in Odisha
Mixing of ingredients for preparation of ragi mix by women self-help group members (Image: WASSAN)
August 1, 2024 Recognising the limitations of relying solely on herbicides, a strategic shift towards preventive measures is crucial
Relying solely on chemicals to keep weeds at bay isn't sustainable and can harm the environment. (Image: Needpix)
July 31, 2024 Gully erosion is a serious problem that can affect agriculture, livelihoods and lives in India. Having accurate maps to know its present extent is crucial.
Gully erosion maps, the need of the hour (Image Source: Dehaan via Wikimedia Commons)
July 10, 2024 Millions of trees are fast disappearing from India's farmlands. What are its implications for agriculture and the environment?
Disappearing trees over Indian farmlands (Image Source: WOTR)
May 22, 2024 Bridging the gender divide in Participatory Irrigation Management
Woman member of water user association is giving fish feed to a community pond in West Midnapore in West Bengal (Image: Tanmoy Bhaduri/IWMI)
May 18, 2024 A case study of women-led climate resilient farming by Swayam Shikshan Prayog
Building the resilience of women farmers (Image: ICRISAT, Flcikr Commons)
कार्बनिक खेती में जैव उर्वरकों का योगदान (Contribution of organic fertilizers in organic farming)
Posted on 02 Nov, 2017 04:47 PM

जैव उर्वरक एक प्रकार के जीव होते हैं जो मृदा की पोषण गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। ये जीवाणु, कवक तथा सायनोबैक्ट

जैविक रोग नियंत्रक द्वारा पौधा रोग निदान-एक उभरता समाधान
Posted on 31 Oct, 2017 01:56 PM

झारखण्ड की अम्लीय मिट्टी तथा जलवायु, ट्राइकोडर्मा आधारित जैव फफूंदनाशी के लिये अत्यधिक उपयोगी हैं। यह मृदा

फलों की तुड़ाई की कसौटियाँ
Posted on 31 Oct, 2017 01:28 PM
ताजे फलों में सामान्य जीवन क्रियाएँ जैसे श्वसन, उत्स्वेदन आदि होने के कारण विनाशशील होते हैं। इन क्रियाओं को एकदम नहीं रोका जा सकता, पर उचित प्रबन्धन से इनकी गति धीमी की जा सकती है। फलों की तुड़ाई के लिये परिपक्वता का सही ज्ञान होने से किसान भाई बहुत हद तक इस क्षति को कम कर सकते हैं।

विभिन्न फलों की तुड़ाई की कसौटियाँ

आम की उन्नत बागवानी कैसे करें
Posted on 31 Oct, 2017 11:54 AM
फूल निकलने के समय आम आर्द्रता, जल या कुहासा को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करता है। औसत वार्षिक वर्षा 150 से.मी. वाले क्षेत्रों में, पर्याप्त सूर्य की रोशनी एवं कम आर्द्रता में आम की फसल अच्छी होती है।
आम की बागवानी
बाग में ग्लैडिओलस
Posted on 30 Oct, 2017 01:38 PM
शल्ककन्दीय फूल के रूप में ग्लैडिओलस विश्व स्तर पर कट-फ्लावर के रूप में उगाया जाता है। भारत में इसकी खेती बंगलुरु, श्रीनगर, नैनीताल, पुणे व उटकमण्डलम में वृहत रूप से होता है। झारखण्ड के धनबाद में अब इसकी खेती छोटे पैमाने पर आरम्भ हो चुकी है। इसकी खेती गृह बाजार तथा निर्यात, दोनों हेतु किया जाता है। शीतकाल में ग्लैडिओलस का यूरोपियन देशों में निर्यात किया जाता है। जिसके कारण काफी विदेशी मुद्रा
ग्लैडिओलस
खाने से पहले की छोटी-छोटी लेकिन मोटी बातें
Posted on 30 Oct, 2017 12:16 PM

इन दिनों फलों, सब्जियों, पशु उत्पादों और डेयरी समेत अन्य खाद्य उत्पादों को रोगों व कीटों से बचाने के लिये

खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में वैज्ञानिक क्रान्तियाँ
Posted on 29 Oct, 2017 11:57 AM

इस वर्ष विश्व खाद्य दिवस हेतु चुना गया विषय ‘चेंज द फ्यूचर ऑफ माइग्रेशन-इन्वेस्ट इन फूड सिक्योरिटी एंड रूर

बदलते परिवेश का फलोत्पादन पर प्रभाव
Posted on 29 Oct, 2017 11:45 AM

फलों की कम उत्पादकता हेतु जलवायु, कार्यिक एवं जैविक कारक उत्तरदायी होते हैं। परन्तु हाल ही के वर्षों में ज

वर्मीकम्पोस्ट - बुन्देलखण्ड की लाल मिट्टियों के लिये एक प्रभावी सुधारक (Vermicompost - An effective reformer for the Red soil of Bundelkhand
Posted on 28 Oct, 2017 10:45 AM
बुन्देलखण्ड क्षेत्र की लाल मिट्टियों में जल धारण क्षमता, गहराई एवं कार्बनिक पदार्थों की उपलब्धता कम होने के कारण वे मृदा कटाव के प्रति अधिक संवेदनशील होती है। भारत के शुष्क खेती वाले क्षेत्रों में अन्य मिट्टियों की तुलना में इन मिट्टियों की उत्पादकता सबसे कम है। जैविक खादों के प्रयोग से खेतों में नमी संरक्षण करके इन मिट्टियों की उत्पादकता एवं फसल सघनता को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है, जिसके
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