In our quest to spotlight dedicated entrepreneurs in the water sector, we bring you the inspiring story of Priyanshu Kamath, an IIT Bombay alumnus, who pivoted from a lucrative corporate career to tackle one of India's most intricate water quality challenges, that of pollution of its urban water bodies.
जानिए क्या कारण है कि चंपावत जिले की एकमात्र झील श्यामलाताल आज अपने अस्तित्व को तलाश रही है और तकरीबन 7 मीटर गहरी झील में अब सिर्फ एक से डेढ़ मीटर पानी रह गया है।
Posted on 21 May, 2016 10:02 AM पानी संचयन का 8वीं शताब्दी से चला आ रहा परम्परागत तरीका आज भी कारगर चन्देल शासकों ने बनवाए थे 4000 तालाब, कुछ आज भी मौजूद
Posted on 08 May, 2016 04:46 PM हम सब तालाबों को पीते जा रहे हैं, लिहाजा आज पीने के लिये पानी को तरस रहे हैं। मिटते-सिमटते तालाब मौजूदा चल संकट की बड़ी वजह है। दैनिक जागरण अपने जल संरक्षण सरोकार के तहत सोमवार (नौ मई से) ‘तलाश तालाबों की’ नामक देशव्यापी समाचारीय शुरू कर रहा है। मकसद सिर्फ इतना है कि समाज और सरकार तालाबों की महत्ता समझें और अपने दायित्वों के निर्वहन द्वारा इनका मिटना-सिमटना रोकें।
Posted on 21 Apr, 2016 03:57 PMमीठे पानी व उसकी प्रचुर उपलब्धता के लिये प्रसिद्ध गंगा-यमुना का दोआब में भी अब पानी का संकट सिर उठाने लगा है। इसी के साथ गाँवों में जल प्रदूषण भी एक गम्भीर समस्या बन चुका है। इन दोनों समस्याओं की जड़ में यहाँ के तालाबों का मिटना व गदला होना है।
Posted on 15 Apr, 2016 01:54 PM बुन्देलखण्ड में राज-समाज के साझा कोशिशों से 2000 तालाबों का काम धीरे-धीरे रुख लेने लगा है। बांदा के पिछले दौरे में प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश ने 2000 तालाबों की बात कही थी। उसके लिये उन्होंने तालाबों के लिये अनुदान की पहली किस्त भी जारी कर दी है। फिलहाल 19 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड के सभी सातों जिलों में तालाब के काम का उद्घाटन होगा। इन सातों जिलों से एक-एक गाँव में तालाब बनाने
Posted on 27 Mar, 2016 12:36 PM जसपुरा/बाँदा। बुन्देलखण्ड में सूखे से मुकाबले के लिये दो हजार तालाब खोदे जाएँगे। शासन का मानना है कि खेत में तालाब खोदे जाने से पानी एकत्र होगा। जो सिंचाई के काम आयेगा। उद्देश्य यह है कि इस योजना से जहाँ किसान जल संचयन कर खेती किसानी के लिये पानी का सिंचाई के लिये प्रयोग करेंगे वहीं घटते जलस्तर को सुधारा जा सकता है। साथ ही प्यासे जानवरों को भी पीने के लिये पानी की व्यवस्था हो जायेगी। शासन न
Posted on 05 Mar, 2016 04:02 PM विशाल समुद्र को देखते ही यह प्रशन पैदा होना स्वाभाविक है कि उसका जन्म कैसे हुआ ? दरअसल पृथ्वी के जन्म के समय समुद्र नहीं थे। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि समुद्र का जन्म आज से पचास करोड़ और 100 करोड़ वर्षों के बीच हुआ।
Posted on 05 Mar, 2016 03:33 PM अमृत सरोवर के शहर अमृतसर के जगमोहन सिंह गिल ने सूखे तालाबों में ‘अमृत’ उड़ेल उन्हें नया जीवन दिया है। उनके ‘भागीरथ’ प्रयास से अमृतसर, तरनतारन व गुरदासपुर के 30 ऐतिहासिक तालाब पुनर्जीवित हो गए हैं। बोपारायकलां में शेर-ए-पंजाब महाराजा रंजीत सिंह द्वारा बनाए गए ढाई सौ साल पुराना तालाब भी लबालब हो चुका है। जल संरक्षण की दिशा में 14 साल से जुटे जगमोहन के इस प्रयास ने उन्हें जल का ‘मोहन’ बना दिया है। उनके इस प्रयास से तालाब ही नहीं विरासत भी जिंदा हो उठी है।
पवन गुरु, पानी पिता, माता धरती। पानी को पिता बताने वाले गुरु साहिबान की इस वाणी के मूल को लोग अब समझ चुके हैं। सूख चुके 30 तालाब के पुनर्जीवित होने से हजारों लोगों को लाभ हुआ है। उनकी सोच बदली है। जल की महत्ता को समझ चुके हैं। ये तालाब अब उनके लिये पूजनीय हो गए हैं। गाँव के लोग दूसरों को भी जल संरक्षण के लिये प्रेरित करने लगे हैं।