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/topics/arsenic
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पानी में आर्सेनिक की मात्रा बढ़ने की बात अब केवल पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों तक सीमित नहीं है। पूरे देश में आर्सेनिक का फैलाव न केवल बढ़ता जा रहा है बल्कि इसका दुष्प्रभाव भी देखने को आ रहा है। देश में बढ़ते आर्सेनिक ने जहाँ मानव स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है वहीं पर अभी भी शासन इसके रोकथाम पर उतना संजीदा नहीं है जितना जरूरी है।
जल प्रदूषण मानवता के सबसे बड़े संकटों में से एक है खासतौर पर प्रदूषित पेयजल। पूरी दुनिया के लोग पेय की कमी और दूषित पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। आज पूरे विश्व की 85 प्रतिशत आबादी सूखे के हालात में रह रही है और कुल 78.3 करोड़ लोगों की पहुँच में साफ पानी नहीं है।
भारत की बात करें तो पानी से सम्बन्धित कुछ आँकड़ों पर नजर डालना बेहद जरूरी है जैसे दुनिया की 16 प्रतिशत आबादी भारत में बसती है लेकिन विश्व के कुल जल संसाधन का केवल 4 प्रतिशत ही भारत के पास है। जबकि भारत में भूजल का दोहन पूरे विश्व में सबसे ज्यादा होता है यहाँ तक कि चीन भी इस मामले में हमसे पीछे है।
हाल के आँकड़ों के मुताबिक भारत की कुल एक चौथाई यानी लगभग 33 करोड़ आबादी पीने के पानी की कमी से जूझ रही है।
गंगाराम के नाम में गंगा और राम दोनों हैं लेकिन उनका भरोसा इन दोनों से ही उठ चुका है। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के तिवारीटोला निवासी गंगाराम अपने परिवार के अकेले सदस्य हैं जो अपने पुस्तैनी घर में रह रहे हैं।