सफलता की कहानियां और केस स्टडी

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अपने हाथों रची गांव की जीवन रेखा
Posted on 21 Apr, 2011 09:21 AM

ग्रामीणों ने तालाब खरीदा, नहर बनाई और बढ़ गया अंटाली गांव में जलस्तर
आसींद (भीलवाड़ा)/उदयपुर.गांव वालों ने मिल कर निजी तालाब को खरीदा। फिर अपने श्रम और अर्थ दान को जारी रखते हुए नहर बनाई। बाद में इस संपदा को सरकार से भी जोड़ा।

गांव के लोगों ने खुद ही बना लिया अपना बांध
Posted on 19 Apr, 2011 09:16 AM

पिथौरा/रायपुर। पानी की कमी से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ के देवरूम गांव के लोग जोंक नदी में हर साल अपने बलबूते बांध का निर्माण कर संकट से निजात पा रहे हैं। बांध से पांच किमी के दायरे में पानी का भराव रहता है। इससे आसपास की पंद्रह सौ एकड़ जमीन पर गर्मी में रबी की फसल ली जाती है। इसके चलते भूजल स्तर में सुधार हो रहा है।

कटे वृक्षों को नया जीवन देते नितिन
Posted on 05 Apr, 2011 10:09 AM काटे जा रहे वृक्षों की जड़े कहीं और प्रत्यारोपित कर ‘सिटिजंस फॉर ग्रीन’ न सिर्फ वृक्षों को बल्कि पर्यावरण को भी नया जीवन दे रहा है।
पांव फिर धोने लगी पांवधोई
Posted on 05 Apr, 2011 10:00 AM

• पांव धोई नदी की सफाई की शुरुआत सात हजार ट्रक कचरा निकाल कर की गई।

एक आत्मनिर्भर गांव
Posted on 06 Mar, 2011 09:40 AM

सूखे से निपटने की तैयारियां शुरू हुईं, तो ग्रामीणों को समझ में आया कि खेत में और मिट्टी के कणों के आसपास जल संग्रह के लिए जीवांश-कंपोस्ट के ह्यूमस की विशेष भूमिका होती है।मध्य प्रदेश के खंडवा जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर छैगांवमाखन विकासखंड में जैविक ग्राम मलगांव स्थित है। करीब 10 साल पहले के सूखे ने यहां के ग्रामीणों की कमर तोड़कर रख दी थी। इस गांव में करीब 505 हेक्टेयर रकबा है

गंगादेवी पल्‍ली में बही विकास की गंगा
Posted on 28 Feb, 2011 10:35 AM

जरूरी नहीं कि हमारे गांव का विकास तभी होगा, जब बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों की कृपा दृष्टि हो। गांव का विकास खुद गांव वालों के हाथ में है। सरकारी कानून ऐसे हैं, जिनके इस्तेमाल से हम अपने गांवों में विकास की गंगा बहा सकते हैं। ग्रामसभा एक ऐसी संस्था है, जिसकी नियमित बैठक से भ्रष्टाचार को करारा जवाब दिया जा सकता है और अपने गांव का संपूर्ण विकास किया जा सकता है।आंध्र प्रदेश के वारंगल जिले की मचापुर

काठेवाडी गाँव का कायाकल्प
Posted on 22 Feb, 2011 01:54 PM


महाराष्ट्र के नांदेड जिले का एक छोटा सा गाँव है काठेवाडी। गाँव की आबादी मात्र ७०० है। तहसील डेगलुर के इस छोटे से गाँव का आज दूर-दूर तक नाम है। नाम है अच्छाई है लिए। इस गाँव को लोग पहले भी जानते थे पर बदमाशी के लिए। गाँव का नाम लेते ही लोगों में डर भर जाता था। गाँव की ज्यादातर आबादी पियक्कड़ थी। लोग पूरे दिन जमकर दारू पीते और बीड़ी फूँकते थे।

उग्रवाद की गोद में विकास की पहल
Posted on 22 Feb, 2011 01:37 PM

लगभग सत्ताइस साल पहले चार सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नेतरहाट के वीरान इलाके बिशुनपुर में आदिवासियों के बीच विकास का अलख जगाना शुरू किया। आज वह प्रयास जादू की तरह अपना असर दिखा रहा है। उग्रवाद से गंभीर रूप से ग्रसित जिन इलाकों में पुलिस भी नहीं घुसती वहाँ भी इस संस्था की सहज पहुँच है।

झारखंड विधानसभा से सेवानिवृत्त होने के बाद विकास भारती से जुड़कर सामाजिक विकास में योगदान कर रहे अयोध्यानाथ मिश्र बताते हैं कि झारखंड में ऐसी संस्थाओं के प्रयासों की बेहद आवश्यकता है।विकास भारती की स्थापना 1983 में अशोक भगत, डॉ. महेश शर्मा, रजनीश अरोड़ा और स्वर्गीय डॉ. राकेश पोपली की पहल पर हुई थी। विकास भारती के वर्तमान सचिव अशोक भगत बिशनपुर के आदिवासी समुदाय के बीच कार्य करने के मिशन के साथ आए थे। उन्होंने क्षेत्र का सर्वेक्षण किया तो महसूस

अकाल के कपाल पर तरक्की की इबारत
Posted on 31 Jan, 2011 10:45 AM

बुंदेलखंड में जैसे युद्ध की परंपरा है, वैसे ही खेती की भी समृद्ध परंपरा है। युद्ध में सब मिलकर लड़े हैं तो खेतों में भी पूरा परिवार डटा है। पांच साल से पड़ रहे सूखे में भी चित्रकूट जनपद के भारतपुर गांव के केदार यादव का परिवार संयुक्त परिवार की उसी समृद्ध परंपरा को संजोते हुए दिन-दूनी रात-चैगुनी तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहा है।केदार यादव के चार बेटे श्यामलाल ऊर्फ वैद्य, राजकुमार, बिहारीलाल और रा

सूखा
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