विष्णु राजगढ़िया

विष्णु राजगढ़िया
संपदा ही बन गई अभिशाप
Posted on 06 Dec, 2011 04:48 PM

पर्यावरण प्रबंधन नीति की कमियों की वजह से आज 25 फीसदी इलाके में ही जंगल शेष बचे हैं। इससे पारि

श्वेत क्रांति से छंटता अंधेरा
Posted on 15 Nov, 2011 08:50 AM

अलग राज्य बनने पर झारखंड को दूध की बड़ी किल्लत झेलनी पड़ रही थी। आवश्यकता का महज 30 प्रतिशत दूध ही राज्य में उत्पादित होता था। नस्ल सुधार और अन्य स्कीम के जरिए दूध का उत्पादन बढ़ाया गया। अब सात लाख टन की जगह राज्य में 16 लाख टन दूध उत्पादित होता है। फिर भी 50 फीसदी की कमी बरकरार है। कुछ साल पुराने आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 76.59 लाख गाय व 13.43 लाख भैंस हैं। बावजूद, राज्य में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता राष्ट्रीय औसत 235 ग्राम की तुलना में महज 140 ग्राम है।

रांची के इटकी प्रखंड से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर हरही जैसे गांव श्वेत क्रांति की राह पकड़ चुके हैं। ग्रामीणों ने नियति से लोहा लेने के लिए गोसेवा को उज्ज्वल भविष्य का जरिया क्या बनाया, इनकी प्रगति की रफ्तार देखकर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड तक की नजर बरबस उधर को उठी की उठी रह गई। गुजरात के आणंद की भांति हरही और कुछ अन्य गांव के लोग मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' के होरी और धनिया नहीं रहे। स्वावलंबन और समृद्धि इनके कदम चूम रही है। हरही में तकरीबन 200 घर हैं। सामान्य जाति विशेष के लोगों सहित आदिवासी भी यहां बसते हैं। आजीविका का साधन खेती व पशुपालन है और ज्यादा जमीन अनुपजाऊ पर कभी बीपीएल कोटा और कार्ड की आशा रखने वाले ग्रामीण अब समृद्धि के रास्ते पर चल निकले हैं। खपरैल और घास-फूस वाले घरों की जगह पक्के मकानों ने ले ली है। लगभग 150 परिवारों के पास दोपहिया गाड़ी है।
उग्रवाद की गोद में विकास की पहल
Posted on 22 Feb, 2011 01:37 PM

लगभग सत्ताइस साल पहले चार सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नेतरहाट के वीरान इलाके बिशुनपुर में आदिवासियों के बीच विकास का अलख जगाना शुरू किया। आज वह प्रयास जादू की तरह अपना असर दिखा रहा है। उग्रवाद से गंभीर रूप से ग्रसित जिन इलाकों में पुलिस भी नहीं घुसती वहाँ भी इस संस्था की सहज पहुँच है।

झारखंड विधानसभा से सेवानिवृत्त होने के बाद विकास भारती से जुड़कर सामाजिक विकास में योगदान कर रहे अयोध्यानाथ मिश्र बताते हैं कि झारखंड में ऐसी संस्थाओं के प्रयासों की बेहद आवश्यकता है।विकास भारती की स्थापना 1983 में अशोक भगत, डॉ. महेश शर्मा, रजनीश अरोड़ा और स्वर्गीय डॉ. राकेश पोपली की पहल पर हुई थी। विकास भारती के वर्तमान सचिव अशोक भगत बिशनपुर के आदिवासी समुदाय के बीच कार्य करने के मिशन के साथ आए थे। उन्होंने क्षेत्र का सर्वेक्षण किया तो महसूस

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