शोध पत्र

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भारतीय संस्कृति का बदलता स्वरूप और पर्यावरण प्रदूषण
Posted on 04 Aug, 2016 12:29 PM
बदलते वैज्ञानिक युग में शनै:-शनै: हमारी संस्कृति का स्वरूप बद
भूमि उर्वरता की मूल रूप में निरूपण सूक्ष्म जीवों का योगदान
Posted on 02 Aug, 2016 04:47 PM
भारत की जनसंख्या की कुल आबादी का अधिकांश भाग ग्रामीण अंचलों में बसता है। जिसके जीवन का मूल आधार कृषि पर निर्भर एवं ग्रामीण किसान व आम जनमानस का भरण-पोषण एवं पालन रोजगार के साधन की आर्थिक निर्भरता पर निहित है। आजादी के बाद प्रथम प्रधानमंत्री स्व.
प्रकृति के प्रति आदर का भाव रखें
Posted on 02 Aug, 2016 04:24 PM
प्रयाग में संगम तट क्षेत्र में माघ में प्रतिवर्ष लगने वाला संत मेला ‘खिचड़ी’ से प्रारंभ होकर ‘शिवरात्रि’ के बाद समापन हो जाता है। माघ मेले में देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोग आते हैं। बहुत से लोग ‘कल्पवास’ भी करते हैं। माघ मेले के दौरान गंगा तट पर यदि आपने कुछ दिन निवास किया होगा अथवा प्रात:काल स्नान के लिये गए होंगे, तो आपने निश्चित रूप से कुछ लोगों को गंगा तट के निकट वृक्षों के नीचे बै
वैश्विक तपन की बढ़ती गर्माहट
Posted on 02 Aug, 2016 03:37 PM
धरती के ताप का बढ़ना पूरी दुनिया के लिये चिंताजनक एवं चिंतनीय विषय है। वैज्ञानिकों एवं समाजशास्त्रियों ने अपने नवीनतम अध्ययनों में पाया है कि ग्रीनहाउस गैसों के ताबड़तोड़ उत्सर्जन पर प्रभावी रोक नहीं लगा पाने के कारण ग्लोबल वार्मिंग की विश्वव्यापी समस्या और गंभीर होने लगी है और इससे नई बीमारियों तथा अन्य पर्यावरणीय संकट के फैलने का खतरा बढ़ गया है। वस्तुत: आज संपूर्ण विश्व के सामने अनन्य आर्थिक-
मौसम : प्राकृतिक या कृत्रिम
Posted on 01 Aug, 2016 03:43 PM
स्वीडन मूल के वैज्ञानिक स्वांते आरहेनियस ने मत रखा था कि जीवाश्म ईंधन के प्रज्जवलन से ग्लोबल वार्मिंग संभव है। परंतु इसका मत सन 1980 में उस समय सत्यापित हो सकता जब तीव्रता से अनियमित हो रहे मौसम ने पूरे विश्व को जकड़ लिया था। मनुष्य ने अंजाने में ही विकास और औद्योगिकीकरण के नाम पर अपने माइक्रो तथा मैक्रो इंवायरमेंट को परिवर्तित कर दिया था।
बाराबंकी-नवीन कृषि पद्धति से संवरता भविष्य
Posted on 01 Aug, 2016 03:11 PM
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश के फैजाबाद मंडल के चार जिलों में से एक है। यह घाघरा व गोमती की सम्यांतर धाराओं के बीच स्थित है। कृषि वातावरण तालिका में बाराबंकी को उत्तर प्रदेश पूर्वी समतल क्षेत्र में रखा गया है। बाराबंकी में औसत वार्षिक वर्षा 1002.7 मिमी होती है, जो कि जून से लेकर अक्टूबर के बीच होती है (तालिका-1)।

 

भूकम्प के प्रभाव : झटके और भूमि का फटना
Posted on 01 Aug, 2016 02:20 PM
पृथ्वी की सतह पर, भूकम्प अपने आप को, भूमि को हिलाकर या विस्थापित करके प्रकट करता है। जब एक बड़ा भूकम्प अधिकेंद्र (एपीसेंटर) अपतटीय स्थिति में होता है, यह समुद्र के किनारे पर पर्याप्त मात्रा में विस्थापन का कारण बनता है, जो सुनामी का कारण है। भूकम्प के झटके कभी-कभी भूस्खलन और ज्वालामुखी गतिविधियों को भी पैदा कर सकते हैं। भूकम्प पृथ्वी की परत (क्रस्ट) से
भारत में कृषि जैव-विविधता में क्षति
Posted on 31 Jul, 2016 02:54 PM
कृषि के व्यवसायीकरण ने कृषक को उद्योग संचालित बाजार और सरकार प
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