शोध पत्र

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बस्तर जिले का अंतर्भौम जल (Subsurface Water of Bastar District)
Posted on 20 Feb, 2018 12:50 PM
अंतर्भौम जल : अंतर्भौम जल का स्थानिक प्रतिरूप, विशिष्ट प्राप्ति पारगम्यता, अंतर्भौम जलस्तर की सार्थकता, अंतर्भौम जल की मानसून के पूर्व पश्चात गहराई, अंतर्भौम जल की सममान रेखाएँ, अंतर्भौम जल का पुन: पूर्ण एवं विसर्जन।

भू-गर्भ जल

बस्तर जिले का धरातलीय जल (Ground Water of Bastar District)
Posted on 19 Feb, 2018 05:28 PM
धरातलीय जल : अपवाह तंत्र, जलप्रवाह, वाष्पोत्सर्जन, जलप्रवाह, सतही जल, तालाब, नदी, नालों के जल का मूल्यांकन, तालाबों की संग्रहण क्षमता, जल की गुणवत्ता।

धरातलीय जल

बस्तर जिले की जल संसाधन का मूल्यांकन (Water resources evaluation of Bastar)
Posted on 19 Feb, 2018 01:28 PM
वर्षा : वर्षा का वितरण, वार्षिक वितरण, मासिक वितरण, वर्षा के दिन, वर्षा की तीव्रता, वर्षा की परिवर्तनशीलता, वर्षा की प्रवृत्ति एवं वर्षा की संभाव्यता।

वाष्पन क्षमता : मिट्टी में नमी एवं उसका उपयोग, नमी, जल अल्पता (जलाभाव), जलाधिक्य, सूखा (अनावृष्टि), जलवायु विस्थापन

जल संसाधन का मूल्यांकन

बस्तर जिले की भौगोलिक पृष्ठभूमि (Geography of Bastar district)
Posted on 18 Feb, 2018 01:08 PM

भौतिक पृष्ठभूमि :


स्थिति एवं विस्तार, भू-वैज्ञानिक संरचना, धरातलीय स्वरूप, मिट्टी, अपवाह, जलवायु, वनस्पति।

सांस्कृतिक पृष्ठभूमि :

जनसंख्या
जनसंख्या का वितरण, घनत्व, जनसंख्या का विकास, आयु एवं लिंग संरचना, व्यावसायिक संरचना, अर्थव्यवस्था, भूमि उपयोग, कृषि तथा पशुपालन, खनिज परिवहन तथा व्यापार।

भौगोलिक पृष्ठभूमि

प्रस्तावना : बस्तर जिले में जल संसाधन मूल्यांकन एवं विकास एक भौगोलिक विश्लेषण (An Assessment and Development of Water Resources in Bastar District - A Geographical Analysis
Posted on 16 Feb, 2018 05:44 PM

पृथ्वी पर जीवन को सतत बनाये रखने के लिये प्राण वायु के बाद जल दूसरा महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक भौतिक पदार्थ है

उपसंहार
Posted on 16 Feb, 2018 12:59 PM

राजस्थान में जल की भीषण स्थिति को देखते हुए भविष्य में जल विरासत को सहेज कर रखना अति आवश्यक है। जल संरक्षण

हाड़ौती के जलाशय निर्माण एवं तकनीक (Reservoir Construction & Techniques in the Hadoti region)
Posted on 15 Feb, 2018 03:56 PM
प्राचीन ग्रंथों में प्रत्येक गाँव या नगर में जलाशय होना आवश्यक बतलाया गया है। राजवल्लभ वास्तुशास्त्र1 के लेखक मण्डन ने भी बड़े नगर के लिये कई वापिकाएँ, कुण्ड तथा तालाबों का होना अच्छा माना है। भारतीय धर्म में जलाशय निर्माण को एक बहुत बड़ा पुण्य कार्य माना गया है, किन्तु इस आध्यात्मिक भावना का भौतिक महत्त्व भी रहा है क्योंकि जलाशय एक ओर सिंचाई के श्रेष्ठ साधन बनते थे, वहीं दूसरी ओर ज
हाड़ौती के प्रमुख जल संसाधन (Major water resources of Hadoti)
Posted on 01 Jan, 2018 04:17 PM
भारत के प्राचीन ग्रंथों में आरम्भ से ही जल की महत्ता पर बल देते हुए इसके संचयन पर जोर दिया गया है। ‘जलस्य जीवनम’ के सिद्धान्त को चरितार्थ करते हुए विश्व की समस्त प्राचीन सभ्यताओं का विकास विभिन्न नदियों की घाटियों में हुआ है।1 इसका मुख्य कारण यह है कि जल मानव जीवन के सभी पक्षों से जुड़ा रहा है। जल की उपयोगिता के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए मानव समाज ने जल संचय अथवा जल संग्रह के ऐ
पौधों में भी होती है निर्णय लेने की क्षमता
Posted on 24 Dec, 2017 10:48 AM
अपने आस-पास के माहौल की जानकारी लेकर उसके अनुसार प्रतिक्रिया करते हैं पौधे
हाड़ौती क्षेत्र में जल के ऐतिहासिक स्रोत (Traditional sources of water in the Hadoti region)
Posted on 06 Nov, 2017 11:25 AM
प्राचीनकाल से आधुनिक समय तक मानव अभिव्यक्ति के साधनों में मिट्टीपट, मुद्रा, ताम्र पत्र, पट्टिकाएँ और स्तम्भ आदि इतिहास का बोध कराते रहे हैं। प्रारम्भ में अक्षर ज्ञान के अभाव में मनुष्य ने अपनी अभिव्यक्ति शैलचित्रों में व्यक्त की थी परन्तु जैसे-जैसे अक्षर ज्ञान का विकास प्रारम्भ हुआ वैसे ही मनुष्य ने अभिव्यक्ति के साधनों में शैलचित्रों के स्थान पर शब्दों को पत्थर पर लिखना शुरू किया। शब्दोत्की
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