पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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छिन पुरवैया छिन पछियाँव
Posted on 18 Mar, 2010 08:57 AM
छिन पुरवैया छिन पछियाँव। छिन छिन बहै बबूला बाव।।
बादर ऊपर बादर धावै। तबै घाघ पानी बरसावै।।


शब्दार्थ- छिन-छिन – क्षण-क्षण। बबूला बाव – बंवडर, भँवर की तरह घूमती हवा

भावार्थ- यदि क्षण में पुरवा एवं क्षण में पछुवा हवा चले, बार-बार बंवडर उठे तथा बादल के ऊपर बादल दौड़ने लगें तो घाघ कहते हैं कि पानी अवश्य बरसेगा।
चैत मास दसमी खड़ा
Posted on 18 Mar, 2010 08:46 AM
चैत मास दसमी खड़ा, जो कहुँ कोरा जाइ।
चौमासे भर बादला, भली भाँति बरसाई।।


भावार्थ- चैत मासे के शुक्ल पक्ष की दशमी को यदि आसमान में बादल नहीं हैं तो यह मान लेना चाहिए कि इस वर्ष चौमासे में बरसात अच्छी होगी।

चौथ अन्हरिया सावन माहीं
Posted on 17 Mar, 2010 04:47 PM
चौथ अन्हरिया सावन माहीं, जौ महि पर मेघा बरसाहीं।
लै पैंतालिस दिन घन बरसै, साख सवाई हो मन हरसै।।


शब्दार्थ- महि-पृथ्वी। साख-बढ़न्त।

भावार्थ- यदि श्रावण मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को पृथ्वी पर बादल बरसते हैं तो पैतालिस दिनों तक बरसात होगी और प्रफुल्लित करने वाली सवाई फसल पैदा होगी।

चन्दा बैठो मातनो
Posted on 17 Mar, 2010 04:37 PM
चन्दा बैठो मातनो, सूरज बैठो कच्छ।
ऐसा बोले भड्डरी, बाँगर लोटे मच्छ।।


शब्दार्थ- मातनो-वर्षा ऋतु में चन्द्रमा के चारों ओर बनने वाला घेरा। कच्छ-सूर्य के चतुर्दिक् बनने वाला घेरा। मच्छ-मछली।
चैत अमावस मूल को
Posted on 17 Mar, 2010 04:31 PM
चैत अमावस मूल को, सरसै चारो बाय।
निश्चय बांधो झोपड़ी, बरखा होय सिवाय।।


शब्दार्थ- सरसै – बहना।

भावार्थ- यदि चैत्र मास की अमावस्या को मूल नक्षत्र पड़े और हवा चौतरफा बहने लगे तो रहने के लिए झोपड़ी छा लेनी चाहिए क्योंकि वर्षा तेज होने की सम्भावना है।

चैत मास जो बीजु बिजोवै
Posted on 17 Mar, 2010 04:26 PM
चैत मास जो बीजु बिजोवै।
भरि बैसाखहिं टेसू धौवे।।


भावार्थ- चैत महीने में यदि बादलों में बिजली चमके तो समझ लेना चाहिए कि बैसाख महीने में पानी इतना बरसेगा कि टेसू (पलाश के फूल) धपल जायेंगे।

चैत मास दसमी खड़ा
Posted on 17 Mar, 2010 04:15 PM
चैत मास दसमी खड़ा, बादर बिजुरी होय।
तौ जाने चित मांहि यह, गर्भ गलल सब जोय।।


शब्दार्थ- गरभ – गर्भ, गलल – गल गया।

चैत शुक्ल की दशमी को यदि बादल हों और बिजली चमक रही हो तो समझ लेना चाहिए कि वर्षा का गर्भ गल गया है अर्थात् चौमासे में वृष्टि बहुत कम होगी।

चमके पच्छिम उत्तर कोर
Posted on 17 Mar, 2010 04:06 PM
चमके पच्छिम उत्तर कोर।
तब जान्यो पानी है जोर।।


भावार्थ- जब पश्चिम और उत्तर के कोने पर बिजली चमके तब समझ लेना चाहिए कि वर्षा तेज होने वाली है।

चित्रा बरसे तीन जायँ
Posted on 17 Mar, 2010 04:00 PM

चित्रा बरसे तीन जायँ,
मोथी मास उखार।


भावार्थ- चित्रा नक्षत्र की वर्षा मोथी (मूँग की तरह का एक अन्न) उड़द और ऊख के लिए नुकसानदायक होती है।

चढ़त जो बरसै चित्रा
Posted on 17 Mar, 2010 03:54 PM
चढ़त जो बरसै चित्रा, उतरत बरसै हस्त।
कितनौ राजा डाँड़ ले, हारे नाहिं गृहस्त।।


शब्दार्थ- डाँड़-दण्ड, कर।

भावार्थ- यदि चित्रा नक्षत्र के लगने पर और हस्त नक्षत्र के उतरने पर वर्षा होती है तो फसल इतनी अच्छी होती है कि राजा चाहे जितना कर (मालगुजारी) लें, किसान को देने में कष्ट नहीं होता है।

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