पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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पानी बरसे आधे पूस
Posted on 18 Mar, 2010 04:09 PM
पानी बरसे आधे पूस।
आधा गेहूँ आधा भूस।।


भावार्थ- पौष महीने के मध्य में यदि वर्षा होती है तो गेहूँ की फसले में आधा अन्न और आधा भूसा होगा अर्थात् इस समय की वर्षा गेहूँ की फसल के लिए अच्छी होगी।

पूनो परिवा गाजे
Posted on 18 Mar, 2010 04:03 PM
पूनो परिवा गाजे। तो दिना बहत्तर नाजे।

भावार्थ- जब आषाढ़ की पूर्णिमा और प्रतिपदा (परिवा) के दिन बादल में गड़गड़ाहट के साथ बिजली चमके तो समझो बहत्तर दिन वर्षा होगी।

पछिवाँ के बादर
Posted on 18 Mar, 2010 03:55 PM
पछिवाँ के बादर, लबार के आदर।
भावार्थ- पश्चिम दिशा से उठा बादल उसी प्रकार कभी बरसता नहीं है जिस प्रकार लबार (झूठा) व्यक्ति का चाहे जितना आदर किया जाए वह कभी सच नहीं बोलता।

पौष अमावस मूल को
Posted on 18 Mar, 2010 03:45 PM
पौष अमावस मूल को, सरसै चारों बाय।
निश्चय बांधो झोपड़ी, बरखा होय सिवाय।


शब्दार्थ- सरसै-हवा का चारों ओर बहना। सिवाय – अधिक।

भावार्थ- यदि पौष की अमावस्या को मूल नक्षत्र पड़े और हवा चौतरफा डोलने लगे तो रहने के लिए झोपड़ी छा लेनी चाहिए क्योंकि वर्षा तेज होने की आशा है।

पुरबा में पछुँवा बहै
Posted on 18 Mar, 2010 03:33 PM
पुरबा में पछुँवा बहै। हँसि के नारि पुरुष से कहै।
ऊ बरसे ई करै भतार। घाघ कहै यह सगुन बिचार।।


भावार्थ- यदि पुरवा नक्षत्र में पछुवा बहे और कोई स्त्री परपुरुष से हँस-हँसकर बात करे तो सगुन विचार कर घाघ कवि कहते हैं कि पानी अवश्य बरसेगा और वह स्त्री उस पुरुष से अनुचित सम्बन्ध बनायेगी।

पूरब के बादर पश्चिम जायँ
Posted on 18 Mar, 2010 03:06 PM
पूरब के बादर पश्चिम जायँ, पतली पकावै मोटी खाय।
पछुवाँ बादर पुरुब को जाय, मोटी पकावै पतरी खाय।।


शब्दार्थ- पतरी-पतली।
नौमी माह अँधेरिया
Posted on 18 Mar, 2010 03:00 PM
नौमी माह अँधेरिया, मूल रिच्छ को भेद।
तौ भादौं नौमी दिवस, जल बरसै बिन खेद।।


शब्दार्थ- रिच्छ – नक्षत्र।

भावार्थ- यदि माघ कृष्ण नवमी को मूल नक्षत्र हो तो भाद्र कृष्ण नवमी को वर्षा अवश्य होगी।

धुर आसाढ़ी बिज्जु की
Posted on 18 Mar, 2010 02:56 PM
धुर आसाढ़ी बिज्जु की, चमक निरन्तर होय।
सोमाँ सुकराँ सुरगुराँ, तो भारी जल होय।।


शब्दार्थ- सुकराँ-शुक्र।

भावार्थ- यदि आषाढ़ कृष्ण पक्ष में सोमवार, शुक्रवार और वृहस्पतिवार को थोड़ी-थोड़ी देर में लगातार बिजली चमके तो वर्षा अधिक होगी।

धनुष पड़ै बंगाली
Posted on 18 Mar, 2010 02:51 PM
धनुष पड़ै बंगाली। मेह साँझ या संकाली।

शब्दार्थ- बंगाली-पूर्व दिशा, संकाली-सुबह।

भावार्थ- यदि प्रातःकाल पूर्व में इन्द्रधनुष दिखाई पड़े तो प्रातःकाल या सायंकाल वर्षा निश्चित होगी।

धनि वह राजा धनि वह देस
Posted on 18 Mar, 2010 02:45 PM
धनि वह राजा धनि वह देस, जहवाँ बरसै अगहन सेस।
पूस में दूना माघ सवाई, फागुन बरसै घरौ से जाई।।


भावार्थ- वहा राजा और वह देस धन्य है जहाँ अगहन रहते पानी बरसे और यदि पौष महीने में वर्षा हो तो कहना ही क्या। इस बरसात से अनाज दूना पैदा होगा और माघ में वर्षा हो तो सवाया होगा लेकिन यदि यही वर्षा फागुन में हुई तो घर का अनाज भी चला जायेगा।

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