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समाचार और आलेख
धरती के भीतर नहर, ऊपर होगी खेती
Posted on 13 Jan, 2017 04:22 PMयह एशिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित बाँध है और इसमें मानवीय श्र
कावेरी - बैर मिट पाएगा
Posted on 31 Dec, 2016 10:54 AMअनुपम मिश्र लेखक, सम्पादक, फोटोग्राफर। पर अनुपम जी को तो देश गाँधीवादी और पानी-पर्यावरण के जानकार के तौर पर ही पहचानता है। 1948 में महाराष्ट्र के वर्धा में प्रसिद्ध जनकवि भवानी प्रसाद मिश्र और सरला मिश्र के घर अनुपम जी का जन्म हुआ था। 1968 में गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली, के प्रकाशन विभाग में सामाजिक काम और पर्यावरण पर लेखन कार्य से जुड़े। तब से ही गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान की पत्रिका गाँधी मार्ग पत्रिका का सम्पादन करते रहे। कुछ जबरदस्त लेख, कई कालजयी किताबें, उनकी रचना संसार का हिस्सा बनीं। उनकी कालजयी पुस्तक 'आज भी खरे हैं तालाब' को खूब प्यार मिला, मेरी जानकारी में हिन्द स्वराज के बाद इसी पुस्तक ने कार्यकर्ताओं की रचना की, सैंकड़ों पानी के कार्यकर्ता। पानी-पर्यावरण के कार्यकर्ताओं ने अनुपम जी का लेखन और विचार का खूब उपयोग किया अपने काम के लिये। आज वो हमारे बीच नहीं हैं, पर उनके विचार हमारे बीच हैं, हम उनके सभी लेख धीरे-धीरे पोर्टल पर लाएँगे, ताकि विचार यात्रा निरन्तर जारी रहे। - कार्यकारी संपादक
कावेरी की गिनती हमारे देश की उन सात नदियों में की जाती है, जिनका नाम देश भर में सुबह स्नान के समय या किसी भी मांगलिक कार्य से पहले लिया जाता है। इस तरह पूरे देश में अपनी मानी गई यह नदी आज प्रमुख रूप से दो राज्यों के बीच में ‘मेरी है या तेरी’ जैसे विवाद में फँस गई है। इसमें दो प्रदेश- कर्नाटक और तमिलनाडु के अलावा थोड़ा विवाद केरल व पुदुचेरी का भी है। कुल मिलाकर नदी एक है। उसमें बहने वाला पानी सीमित है या असीमित है, यह लालच तो उसका है, जो इसमें से ज्यादा-से-ज्यादा पानी अपने खेतों में बहता देखना चाहता है।
सत्रह साल विवाद में फँसे रहने के बाद जब पंचाट का फैसला आया तो शायद ही कुछ क्षणों के लिये ऐसी स्थिति बनी होगी कि अब यह विवाद सुलझ गया है। घोषणा होते ही एक पक्ष का सन्तोष और दूसरे पक्ष का असन्तोष सड़कों पर आ गया।
ग्रामीण भूजल कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम
Posted on 10 Dec, 2016 03:24 PMकाशी हिंदू विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के व्याख्यान संकुल सभागार में केंद्रीय भूजल बोर्ड की तरफ से गत 21-12 नवंबर को ग्रामीण भूजल संभरण विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के लगभग दो सौ छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। 22 नवम्बर को दीप प्रज्वलन के बाद, उद्घाटन भाषण में मुख्य अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलसचिव औ
हिमालयी प्राकृतिक संपदा एवं जैवविविधता संरक्षण में सहायक हैं स्थानीय पारंपरिक ज्ञान
Posted on 05 Dec, 2016 04:09 PMकाशी हिंदू विश्वविद्यालय के ‘पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान’ द्वारा राजीव गांधी दक्षिणी परिसर, मिर्जापुर में ‘‘जलवायु परिवर्तन के युग में धारणीय जल संसांधन प्रबंधन’’ विषयक दो दिवसीय (10-11 जनवरी, 2014) राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया।
आम लोगों से प्राकृतिक संसाधनों को छीनकर कारपोरेट को दिया जा रहा है - मेधा पाटकर
Posted on 04 Dec, 2016 02:38 PMबाँध, बराज और तटबन्ध किसी समस्या के समाधान नहीं हैं। वे समस्य
सतलुज जोड़ नहर पर यथास्थिति बनाए रखी जाएः सुप्रीम कोर्ट
Posted on 01 Dec, 2016 03:45 PMहरियाणा सरकार की याचिका पर पंजाब से जवाब तलब, रिसीवर से रिपोर्ट मांगी। नहर की जमीन भूस्वा
कृषिभूषण राम पाटीदार को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से नवाजा
Posted on 26 Nov, 2016 10:50 AM
धार। धरमपुरी तहसील के ग्राम कुंदा की पहाड़ी पर हरियाली महोत्सव के तहत ग्राम पटलावद के कृषिभूषण राम पाटीदार को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड से नवाजा गया। यह अवार्ड एक लाख पौधे रोपित कर इस बंजर पहाड़ी पर हरियाली एवं जैव विविधता लाने के लिये दिया गया।
पानी सहेजना है तो करना होगी मेहनत
Posted on 19 Nov, 2016 02:13 PM
धार। समीपस्थ ग्राम लेड़गाँव में पानी की समस्या से परेशान ग्रामीणों ने 40 फीट गहरे कुएँ की सफाई की। इसमें महिलाओं सहित बच्चों ने भी सहभागिता की। लोगों की मदद से कुछ ही देर में मलबा व मिट्टी को बाल्टी में भरकर बाहर निकाला गया। इस दौरान ग्रामीणों का उत्साह भी झलक रहा था।
मिट्टी के क्षरण को लेकर आई जागरूकता
Posted on 19 Nov, 2016 02:05 PM
धार। वर्तमान परिवेश में पर्यावरण को मिट्टी का क्षरण बहुत नुकसान पहुँचा रहा है। यदि इसके संरक्षण के लिये धरातल पर पहल हो तो वह भी पर्यावरण संरक्षण की एक नायाब कोशिश मानी जाएगी। वर्तमान में सुसारी क्षेत्र औ कुक्षी तहसील के चयनित ग्रामों में किसानों के खेतों में शासन स्तर पर चेकडैम और मेड़ बंधान का कार्य किया जा रहा है, जिसका आने वाले समय में पर्यावरण पर अनुकूल असर देखने को मिलेगा।