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जलवायु परिवर्तन एवं जलवायु चुस्त कृषि
जलवायु परिवर्तन के कारण मिट्टी, जल और जैव विविधता बुरी तरह से प्रभावित हुई है। विश्व बैंक के आंकड़ों से विदित होता है कि हर 9 में से एक व्यक्ति भूखा रहता है। विकासशील देशों में 12.9 प्रतिशत जनसंख्या अल्पपोषित है। साथ में यह भी पूर्वानुमान लगाया गया है कि सन् 2050 तक 9 अरब जनसंख्या का पेट भरने के लिए लगभग 70 प्रतिशत अधिक फसल उगानी होगी। Posted on 10 Aug, 2023 12:06 PM

जलवायु परिवर्तन अर्थ केन्द्रित विकास का परिणाम है, जिसे 21वीं शताब्दी की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। विकास मानव की अपनी क्षमताओं की पहचान और उसमें वृद्धि कराने वाली और बेहतर जीवन शैली प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाने वाली अनवरत प्रक्रिया है। अतः विश्व जनसंख्या के बढ़ने और जीवन शैली में आए परिवर्तन से खाद्य की मांग बढी है, लेकिन बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए फसलों

जलवायु परिवर्तन एवं जलवायु चुस्त कृषि,फोटो क्रेडिट-wikipedia
पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता
पर्यावरण के प्रति जागरूकता होगी. दुनिया भर समेत भारत में भी पर्यावरण और जैव विविधता की रक्षा के लिए कई कार्य किए जा रहे हैं. इसे संविधान के मौलिक कर्तव्य (भाग lVA अनुच्छेद 51A) में भी दर्ज किया गया है, जिसके तहत वनों, झीलों और नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना और जीवित प्राणियों के लिए दया करना शामिल है Posted on 10 Aug, 2023 10:07 AM

पिछले महीने जुलाई को धरती का अब तक का सबसे गर्म महीने के रूप में रिकॉर्ड किया गया है. एक तरफ जहां भारत और चीन सहित दुनिया के कई देश भीषण बाढ़ और प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे हैं, वहीं यूरोप के अधिकांश देश जंगलों में लगी भीषण आग से झुलस रहे हैं. दरअसल प्रकृति के इस रौद्र रूप के ज़िम्मेदार खुद इंसान है. विकास के नाम पर जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने धरती को खोखला कर दिया है.

पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता,फोटो क्रेडिट - चरखा फीचर
पृथ्वी हमारा परिवार बदलें नकारात्मक एवं आत्मघाती व्यवहार
पृथ्वी हमारा पर है, हमारी माँ है, हमारे जीवन का स्रोत है। यह हमें वह सब कुछ प्रदान करती है जिसकी हमें जरूरत है हवा, पानी, भोजन, आश्रय, सुंदरता, विविधता और बहुत कुछ लेकिन हम इन उपहारों के लिए आभारी नहीं हैं, बल्कि हम लालची, स्वार्थी और फिजूलखर्च हैं Posted on 07 Aug, 2023 05:08 PM

पृथ्वी के प्रति हमारा नकारात्मक व्यवहार हम सभी को किस प्रकार कष्ट पहुँचाता है, इसे हम सभी जानते हैं। पेड़ों को काटना और जलाना, प्रदूषण फैलाना और पृथ्वी के प्राणियों की उपेक्षा करना हमारे ग्रह के लिए अच्छा नहीं है। लेकिन फिर भी, हम पृथ्वी को बचाने के लिए कदम उठाने का अभ्यास नहीं कर रहे हैं। ऐसा क्यों हम पर्यावरण और स्वयं पर अपने कार्यों के परिणामों की उपेक्षा क्यों करते हैं?

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गोमती के अस्तित्व के लिए अपरिहार्य अविरल निर्मल कुकरैल नदी
गोमती बेसिन के लखनऊ खंड में दाहिनी ओर मलीहाबाद परगना का कुछ भाग, बायीं ओर महोना परगना, लखनऊ तहसील का मध्य भाग और- मोहनलालगंज तहसील का उत्तर-पूर्वी भाग शामिल है। यह क्षेत्र अनेक झीलों और तालाबों से युक्त है। रेठ नदी  इस क्षेत्र में निकलती है और पूर्व दिशा में बाराबंकी जिले से होकर बहने के बाद अंततः गोमती के बाएं किनारे पर मिल जाती है।

Posted on 07 Aug, 2023 12:58 PM

कुकरैल नदी, गोमती की चौथी क्रम की सहायक नदी है। यह मध्य लखनऊ शहर से गुजरते समय बड़ी मात्रा में पानी लाती है। पहले बरसात के मौसम में सभी छोटी नदियाँ पर्याप्त मात्रा में पानी के साथ बहती थीं और गर्मी के मौसम में सिकुड़कर एक संकीर्ण धारा में बदल जाती थी। लेकिन नदियों, सहायक नदियों और प्राकृतिक नालों के किनारे बांधों के निर्माण और कई विकासात्मक कार्यों ने भी कई जलधाराओं को नुकसान पहुंचाया है, जिससे

गोमती के अस्तित्व के लिए अपरिहार्य अविरल निर्मल कुकरैलनदी,Pc-wikipedia
अथर्ववेदः पृथ्वीमाता, प्रकृति, पर्यावरण और जीवन
अथर्ववेद में जीवाणु विज्ञान का उल्लेख है। इसमें मानव काया रचना और चिकित्सा उपचार व औषधियों से सम्बन्धित सूचनाएँ प्राप्त होती है। आयुर्वेद के मूल उल्लेख, दूसरे शब्दों में आयुर्वेद की उत्पत्ति के कारण, अथर्ववेद भैषज्यवेद अथवा भिषग्वेद कहलाता है। ब्रह्मज्ञान अथर्ववेद का, जैसा कि उल्लेख किया है. एक श्रेष्ठ पक्ष है इसी के साथ 'आनन्द', जिसकी अन्तिम अवस्था परमानन्द है, जो स्वयं परमात्मा स्वरूप है. अथर्ववेद में अध्ययन व ज्ञान का एक मुख्य विषय है। Posted on 07 Aug, 2023 12:49 PM

बीस काण्डों के सात सौ इकतीस सूक्तों में पाँच हजार नौ सी सतहत्तर मंत्रों से सम्पन्न चतुर्थ वेद, अर्थात् अथर्ववेदी की शोभा और महत्ता कई रूपों में है। अथर्ववेद को छन्दवेद कहा जाता है। छन्द अर्थात् आनन्द: इस प्रकार, अथर्ववेद आनन्द ज्ञान व अध्ययन का मार्ग प्रशस्तकर्ता है। अथर्ववेद के मंत्रों में प्रकट ब्रा संवाद के कारण इसे ब्रह्मवेद भी कहते हैं। अथर्ववेद चूंकि प्रमुखतः अंगिरा अथवा अंगिरस ऋषिबद्ध है

अथर्ववेदः पृथ्वीमाता, प्रकृति, पर्यावरण और जीवन,Pc-wikipedia
भारत के बड़े बैंक जलवायु संकट के लिए तैयार नहीं
थिंक टैंक क्लाइमेट रिस्क होराइजन्स के नए विश्लेषण के अनुसार भारत के प्रमुख बैंक जलवायु जोखिमों का सामना करने के लिए तैयार नहीं हैं।यह बात स्टिल अनप्रिपेयर्ड शीर्षक वाली रिपोर्ट 2022 के आकलन पर आधारित है। Posted on 07 Aug, 2023 11:17 AM
  • भारत के बड़े बैंक जलवायु संकट के लिए तैयार नहीं
  • रिर्जव बैंक -अनिवार्य दिशा निर्देशों पर विचार कर रहा है
  • केवल 10 बैंकों ने स्कोप उत्सर्जन के प्रति जागरूकता दिखाई है

थिंक टैंक क्लाइमेट रिस्क होराइजन्स के नए विश्लेषण के अनुसार भारत के प्रमुख बैंक जलवायु जोखिमों का सामना करने के लिए

भारत के बड़े बैंक जलवायु संकट के लिए तैयार नहीं,Pc-wikipedia
भारत के अर्ध शुष्क क्षेत्र दक्षिण-पश्चिमी पंजाब में लवणीकरण एवं जलग्रसन
प्रकृतिक एवं मानवजनित कारणों से उत्पन्न लवणता एवं जलग्रसनता ने अर्ध शुष्क क्षेत्रों की अर्थ व्यवस्था एवं पर्यावरण को प्रभावित किया है, जिससे इन क्षेत्रों में भूजल संसाधनों की संवेदनशीलता में वृद्धि हुई है। इन प्रतिकूल प्रभावों को भूजल स्तर में सतत वृद्धि के रूप में देखा जा सकता है Posted on 05 Aug, 2023 04:51 PM

प्रकृतिक एवं मानवजनित कारणों से उत्पन्न लवणता एवं जलग्रसनता ने अर्ध शुष्क क्षेत्रों की अर्थ व्यवस्था एवं पर्यावरण को प्रभावित किया है, जिससे इन क्षेत्रों में भूजल संसाधनों की संवेदनशीलता में वृद्धि हुई है। इन प्रतिकूल प्रभावों को भूजल स्तर में सतत वृद्धि के रूप में देखा जा सकता है जिसके कारण इस राज्य के दक्षिण-पश्चिमी भाग में जलग्रसनता एवं लवणता क्षारीयता की समस्याएं पैदा होती है, जहां पर खारा

दक्षिण-पश्चिमी पंजाब में लवणीकरण एक गंभीर समस्या,Pc-जल चेतना
मंगल पर मीथेन, पानी तथा अन्य खनिज पदार्थों की उपस्थिति
वैज्ञानिकों का कहना है कि मीथेन की प्राप्ति जैविक प्रक्रियाओं से अधिक तथा अजैविक प्रक्रियाओं से कम होती है। मीथेन का बहुत छोटा साभाग जमीन में दबे हुए या अपघटित पौधों के ऐसे अविलय हिस्सों से भी निकलता है जो केरोजन नामक पदार्थ में तब्दील हो जाते हैं, यही केरोजन जब उष्णता के कारण टूट जाते हैं तो मीथेन गैस पैदा करते हैं, Posted on 05 Aug, 2023 04:04 PM

मीथेन की प्राप्ति जैविक प्रक्रियाओं से अधिक तथा अजैविक प्रक्रियाओं से कम होती है। मीथेन का बहुत छोटा सा भाग जमीन में दबे हुए या अपघटित पौधों के ऐसे अविलय हिस्सों से भी निकलता है जो केरोजन नामक पदार्थ में तब्दील हो जाते हैं, यही केरोजन जब उष्णता के कारण टूट जाते हैं तो मीथेन गैस पैदा करते हैं, इसके साथ अन्य हाइड्रोकार्बन जैसे-इथेन (C₂H₆), प्रोपेन (C₃H₈,) तथा ब्यूटेन (C₄H₁₀)  भी पैदा होते हैं। का

मंगल ग्रह पर पानी की उपस्थिति,PC-जल चेतना
राजस्थान : बाड़मेर के पांच गांव बने 'हर घर जल'
बाड़मेर राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा जिला है जो पशु मेले के लिए प्रसिद्ध है और इसका थार त्योहार हर मार्च में मनाया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक शामिल होते हैं। बाड़मेर में गर्मियों के दौरान तापमान 51 डिग्री तक चला जाता है। अगस्त, 2019 में जल जीवन मिशन की घोषणा के समय जिले के 4 लाख से अधिक घरों में से केवल 21,469 घरों (5.28%) के पास नल का पानी था। आज 38 हजार (9.49% ) से अधिक परिवारों को नल के जरिए पीने योग्य पानी मिल रहा है। पिछले 23 महीनों में 17,110 परिवारों को नल कनेक्शन दिया गया है। Posted on 04 Aug, 2023 05:28 PM

बाड़मेर जिले के इन गांवों में लोग अपने घरों में नल का पानी देखकर उत्सव मनाने का आह्वान करते हैं। इन ग्रामीण समुदायों के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है। इस मरुस्थलीय जिले में बहुत सीमित वर्षा के कारण, उनके घरों में नल से पानी मिलने की बात पहले कभी किसी नहीं सोची थी। लेकिन, जल जीवन मिशन ने इसे संभव बना दिया है।

बाड़मेर के पांच गांव बने 'हर घर जल',फोटो क्रेडिट :-जल जीवन संवाद
जल जीवन मिशन से साकार हो रहा ग्राम स्वराज
पिछली केंद्रीय सरकार द्वारा प्रायोजित ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाएं, त्वरित ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम और राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम को भी योजना चरण से पंचायती राज संस्थाओं की भागीदारी और सृजित पेयजल परिसंपत्तियों और सेवाओं की सुपुर्दगी के लिए अंतिम अधिग्रहण की आवश्यकता थी। Posted on 04 Aug, 2023 04:41 PM

अनुषंगिता के सिद्धांत' या अभिशासन के न्यूनतम समुचित स्तर से सेवाओं की सुपुर्दगी को संविधान के 73वें संशोधन द्वारा मान्यता दी गई है। इसमें पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को 29 विषयों के प्रबंधन का अधिकार दिया गया है और इन विषयों में पेयजल' भी शामिल है। इस संवैधानिक संशोधन के बाद, ग्रामीण स्थानीय निकायों / पंचायती राज संस्थाओं को आवंटित सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाने के लिए निधियों, कार्यों और

जल जीवन मिशन से साकार हो रहा ग्राम स्वराज,फोटो क्रेडिट:- जल शक्ति मंत्रालय
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