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समाचार और आलेख
जलवायु परिवर्तन एवं जलवायु चुस्त कृषि
Posted on 10 Aug, 2023 12:06 PMजलवायु परिवर्तन अर्थ केन्द्रित विकास का परिणाम है, जिसे 21वीं शताब्दी की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। विकास मानव की अपनी क्षमताओं की पहचान और उसमें वृद्धि कराने वाली और बेहतर जीवन शैली प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाने वाली अनवरत प्रक्रिया है। अतः विश्व जनसंख्या के बढ़ने और जीवन शैली में आए परिवर्तन से खाद्य की मांग बढी है, लेकिन बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए फसलों
![जलवायु परिवर्तन एवं जलवायु चुस्त कृषि,फोटो क्रेडिट-wikipedia](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A5%81%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%A8_0.png?itok=DaHCPpqo)
पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता
Posted on 10 Aug, 2023 10:07 AMपिछले महीने जुलाई को धरती का अब तक का सबसे गर्म महीने के रूप में रिकॉर्ड किया गया है. एक तरफ जहां भारत और चीन सहित दुनिया के कई देश भीषण बाढ़ और प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे हैं, वहीं यूरोप के अधिकांश देश जंगलों में लगी भीषण आग से झुलस रहे हैं. दरअसल प्रकृति के इस रौद्र रूप के ज़िम्मेदार खुद इंसान है. विकास के नाम पर जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने धरती को खोखला कर दिया है.
![पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता,फोटो क्रेडिट - चरखा फीचर](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BF%20%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%95%20_0.jpg?itok=sxTy8D6G)
पृथ्वी हमारा परिवार बदलें नकारात्मक एवं आत्मघाती व्यवहार
Posted on 07 Aug, 2023 05:08 PMपृथ्वी के प्रति हमारा नकारात्मक व्यवहार हम सभी को किस प्रकार कष्ट पहुँचाता है, इसे हम सभी जानते हैं। पेड़ों को काटना और जलाना, प्रदूषण फैलाना और पृथ्वी के प्राणियों की उपेक्षा करना हमारे ग्रह के लिए अच्छा नहीं है। लेकिन फिर भी, हम पृथ्वी को बचाने के लिए कदम उठाने का अभ्यास नहीं कर रहे हैं। ऐसा क्यों हम पर्यावरण और स्वयं पर अपने कार्यों के परिणामों की उपेक्षा क्यों करते हैं?
![पृथ्वी हमारा परिवार बदलें नकारात्मक एवं आत्मघाती व्यवहार,Pc-Iwp Flicker](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/earth.png?itok=hUT1Xrgp)
गोमती के अस्तित्व के लिए अपरिहार्य अविरल निर्मल कुकरैल नदी
Posted on 07 Aug, 2023 12:58 PMकुकरैल नदी, गोमती की चौथी क्रम की सहायक नदी है। यह मध्य लखनऊ शहर से गुजरते समय बड़ी मात्रा में पानी लाती है। पहले बरसात के मौसम में सभी छोटी नदियाँ पर्याप्त मात्रा में पानी के साथ बहती थीं और गर्मी के मौसम में सिकुड़कर एक संकीर्ण धारा में बदल जाती थी। लेकिन नदियों, सहायक नदियों और प्राकृतिक नालों के किनारे बांधों के निर्माण और कई विकासात्मक कार्यों ने भी कई जलधाराओं को नुकसान पहुंचाया है, जिससे
![गोमती के अस्तित्व के लिए अपरिहार्य अविरल निर्मल कुकरैलनदी,Pc-wikipedia](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/Gomati_River.jpeg?itok=rIQ6B0bH)
अथर्ववेदः पृथ्वीमाता, प्रकृति, पर्यावरण और जीवन
Posted on 07 Aug, 2023 12:49 PMबीस काण्डों के सात सौ इकतीस सूक्तों में पाँच हजार नौ सी सतहत्तर मंत्रों से सम्पन्न चतुर्थ वेद, अर्थात् अथर्ववेदी की शोभा और महत्ता कई रूपों में है। अथर्ववेद को छन्दवेद कहा जाता है। छन्द अर्थात् आनन्द: इस प्रकार, अथर्ववेद आनन्द ज्ञान व अध्ययन का मार्ग प्रशस्तकर्ता है। अथर्ववेद के मंत्रों में प्रकट ब्रा संवाद के कारण इसे ब्रह्मवेद भी कहते हैं। अथर्ववेद चूंकि प्रमुखतः अंगिरा अथवा अंगिरस ऋषिबद्ध है
![अथर्ववेदः पृथ्वीमाता, प्रकृति, पर्यावरण और जीवन,Pc-wikipedia](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%94%E0%A4%B0%20%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%A8.jpg?itok=FAreTyGy)
भारत के बड़े बैंक जलवायु संकट के लिए तैयार नहीं
Posted on 07 Aug, 2023 11:17 AM
- भारत के बड़े बैंक जलवायु संकट के लिए तैयार नहीं
- रिर्जव बैंक -अनिवार्य दिशा निर्देशों पर विचार कर रहा है
- केवल 10 बैंकों ने स्कोप उत्सर्जन के प्रति जागरूकता दिखाई है
थिंक टैंक क्लाइमेट रिस्क होराइजन्स के नए विश्लेषण के अनुसार भारत के प्रमुख बैंक जलवायु जोखिमों का सामना करने के लिए
![भारत के बड़े बैंक जलवायु संकट के लिए तैयार नहीं,Pc-wikipedia](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/SBImumbai.jpg?itok=N2_1TDHo)
भारत के अर्ध शुष्क क्षेत्र दक्षिण-पश्चिमी पंजाब में लवणीकरण एवं जलग्रसन
Posted on 05 Aug, 2023 04:51 PMप्रकृतिक एवं मानवजनित कारणों से उत्पन्न लवणता एवं जलग्रसनता ने अर्ध शुष्क क्षेत्रों की अर्थ व्यवस्था एवं पर्यावरण को प्रभावित किया है, जिससे इन क्षेत्रों में भूजल संसाधनों की संवेदनशीलता में वृद्धि हुई है। इन प्रतिकूल प्रभावों को भूजल स्तर में सतत वृद्धि के रूप में देखा जा सकता है जिसके कारण इस राज्य के दक्षिण-पश्चिमी भाग में जलग्रसनता एवं लवणता क्षारीयता की समस्याएं पैदा होती है, जहां पर खारा
![दक्षिण-पश्चिमी पंजाब में लवणीकरण एक गंभीर समस्या,Pc-जल चेतना](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A3-%E0%A4%AA%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A5%80%20%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%AC%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A4%A3%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%8F%E0%A4%95%20%E0%A4%97%E0%A4%82%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%B0%20%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE_0.png?itok=UdJEBaD0)
मंगल पर मीथेन, पानी तथा अन्य खनिज पदार्थों की उपस्थिति
Posted on 05 Aug, 2023 04:04 PMमीथेन की प्राप्ति जैविक प्रक्रियाओं से अधिक तथा अजैविक प्रक्रियाओं से कम होती है। मीथेन का बहुत छोटा सा भाग जमीन में दबे हुए या अपघटित पौधों के ऐसे अविलय हिस्सों से भी निकलता है जो केरोजन नामक पदार्थ में तब्दील हो जाते हैं, यही केरोजन जब उष्णता के कारण टूट जाते हैं तो मीथेन गैस पैदा करते हैं, इसके साथ अन्य हाइड्रोकार्बन जैसे-इथेन (C₂H₆), प्रोपेन (C₃H₈,) तथा ब्यूटेन (C₄H₁₀) भी पैदा होते हैं। का
![मंगल ग्रह पर पानी की उपस्थिति,PC-जल चेतना](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B2%20%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%20%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BF%20.png?itok=I7CPc8Tr)
राजस्थान : बाड़मेर के पांच गांव बने 'हर घर जल'
Posted on 04 Aug, 2023 05:28 PMबाड़मेर जिले के इन गांवों में लोग अपने घरों में नल का पानी देखकर उत्सव मनाने का आह्वान करते हैं। इन ग्रामीण समुदायों के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है। इस मरुस्थलीय जिले में बहुत सीमित वर्षा के कारण, उनके घरों में नल से पानी मिलने की बात पहले कभी किसी नहीं सोची थी। लेकिन, जल जीवन मिशन ने इसे संभव बना दिया है।
![बाड़मेर के पांच गांव बने 'हर घर जल',फोटो क्रेडिट :-जल जीवन संवाद](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9A%20%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B5%20%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A5%87%20%27%E0%A4%B9%E0%A4%B0%20%E0%A4%98%E0%A4%B0%20%E0%A4%9C%E0%A4%B2%27.png?itok=r6i-UrGe)
जल जीवन मिशन से साकार हो रहा ग्राम स्वराज
Posted on 04 Aug, 2023 04:41 PMअनुषंगिता के सिद्धांत' या अभिशासन के न्यूनतम समुचित स्तर से सेवाओं की सुपुर्दगी को संविधान के 73वें संशोधन द्वारा मान्यता दी गई है। इसमें पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को 29 विषयों के प्रबंधन का अधिकार दिया गया है और इन विषयों में पेयजल' भी शामिल है। इस संवैधानिक संशोधन के बाद, ग्रामीण स्थानीय निकायों / पंचायती राज संस्थाओं को आवंटित सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाने के लिए निधियों, कार्यों और
![जल जीवन मिशन से साकार हो रहा ग्राम स्वराज,फोटो क्रेडिट:- जल शक्ति मंत्रालय](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/Jaljeevanmission.gov_.in%3A.png?itok=QB3ZBdtm)