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अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा
पिछले कुछ वर्षों में मेक इन इंडिया के कारण भारत में आर्थिक, औद्योगिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और अनुसंधान के क्षेत्रों में जैसा सकारात्मक रुझान देखा गया है, वह पारम्परिक रूप से नहीं देखा गया था। हालांकि भारत ने अतीत में भी विज्ञान से जुड़े अनेक क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ दर्ज की है Posted on 04 Oct, 2023 03:09 PM

मेक इन इंडिया को ज्यादातर लोग विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) पर आधारित कार्यक्रम और पहल के रूप में देखते हैं लेकिन विनिर्माण के साथ-साथ उसके कई अन्य पहलू भी हैं। विनिर्माण कोई हवा में नहीं हो जाता और विनिर्माण का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अनेक बुनियादी पक्षों पर काम करना जरूरी है, जैसे निवेश को प्रोत्साहित करना तथा आधारभूत ढांचे (इन्फास्ट्रक्चर) का विकास करना। इनके बिना विनिर्माण पर केंद्रित लक्ष

अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा
बादलों में प्लास्टिक के कण
वैज्ञानिकों को पहली बार बादलों में सूक्ष्म प्लास्टिक (माइक्रोप्लास्टिक) की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। शोधकर्ताओं का भी मानना है कि इसका जलवायु और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
Posted on 04 Oct, 2023 01:02 PM

एक शोध के अनुसार, प्लास्टिक के अत्यंत महीन कणों को जिनका आकार पांच मिलीमीटर या उससे कम होता है, ‘माइक्रोप्लास्टिक’ कहा जाता है। शोध के अनुसार, हर साल प्लास्टिक के करीब एक करोड़ टन टुकड़े जमीन से समुद्र में पहुंच रहे हैं, जहां से वो वायुमंडल में अपना रास्ता खोज लेते हैं। देखा जाए तो बादलों में इनकी मौजूदगी एक बड़े खतरे की ओर इशारा करती है। एक बार बादलों में पहुंचने के बाद यह कण वापस ‘प्लास्टिक व

बादलों में प्लास्टिक के कण
गंगा हेतु रिस्कन नदी में पानी बोना होगा
खास तौर पर जाडों में गैर बर्फीली नदियों के पानी का महत्व गंगा नदी में अधिक होता है। इन्हीं में से एक उत्तराखंड जिला अल्मोड़ा के विकासखंड द्वाराहाट में रिस्कन नदी है। यह नदी गंगा की एक धारा है जिसका मुख्य उद्गम भगवान विष्णु के मंदिर नागार्जुन में उनके चरणों से हुआ है जो सुरुभि नदी कहलाती है। द्वाराहाट क्षेत्र के कई अन्य स्रोतों के साथ पहाड़ियों से नंदनी बहती है। सुरभि-नंदिनी का संगम भगवान शिव के धाम विमाण्डेश्वर में होता है। इस शिवधाम से आगे इस नदी को रिस्कन के नाम से जाना जाता है। यहां से शांत स्वभाव के साथ बहते हुए रिस्कन नदी तिपोला नामक स्थान पर गगास नदी में मिलती है। गगास रामगंगा में व रामगंगा आगे जाकर गंगा नदी में मिलती है। Posted on 04 Oct, 2023 11:30 AM

शास्त्रों के अनुसार पानी का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ है। इसलिए पानी को नीर या नर भी कहा जाता है। गंगा नदी का नाम विष्णोपुदोद्दकी भी है अर्थात भगवान विष्णु के पैरों से निकली हुई। गंगा नदी का मुख्य स्रोत गंगोत्री में हैं लेकिन गंगा नदी में उत्तराखंड की कई गैर बर्फीली सहायक नदियाँ भी जुड़ी हैं। तभी गंगा नदी में पानी होता है।

गंगा हेतु रिस्कन नदी में पानी बोना होगा
विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष: बदल रहा है पीर पंजाल में पर्यटन का दौर
जम्मू-कश्मीर में संपन्न हुए जी 20 पर्यटन समूह की सफल बैठक के बाद पूरी दुनिया की निगाहें इस जन्नत-ए-बेनजीर की ओर बढ़ने लगी हैं, वहीं पीर पंजाल और चिनाब क्षेत्र में भी पर्यटकों का आगमन शुरू हो गया है. जिसका ताजा उदाहरण हाल के दिनों का है, जब पुंछ के जिला विकास आयुक्त ने पीर पंजाल क्षेत्र में ट्रैकिंग के नए क्षेत्रों और पर्यटक स्थलों की खोज के लिए इंडिया हाइक्स (ट्रैकर्स) की एक टीम भेजी है. वहीं इससे पहले स्थानीय युवाओं के एक ट्रैकिंग ग्रुप ने न केवल पीर पंजाल की ऊंची चोटियों का भ्रमण किया Posted on 26 Sep, 2023 01:42 PM

जब भी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन की बात आती है तो लोगों के दिल और दिमाग में एकमात्र नाम कश्मीर की वादियों का आता है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि कश्मीर को कुदरत ने अपने हाथों से संवारा है. लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि जम्मू के पुंछ और राजौरी के सीमावर्ती जिलों से लगे पीर पंजाल के खूबसूरत पहाड़ और इन पहाड़ों से गुजरने वाले ऐतिहासिक मुगल राजमार्ग भी किसी सुंदरता से कम नहीं है.

 बदल रहा है पीर पंजाल में पर्यटन का दौर
बाढ़ के दौरान पेयजल की आपूर्ति
बाढ़ ने विशेष रूप से सड़कों के बड़े बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया, कुल 99 सड़कें जिनमें 33 आरसीसी पुलों के साथ-साथ 24 पीडब्लूएस योजनाएं, विशेष रूप से उनके वितरण नेटवर्क शामिल हैं, क्षतिग्रस्त हुई। अनेकों मवेशियों सहित तीन लोगों की जान चली गई। कई पोल्ट्री फॉर्म बह गई। Posted on 18 Sep, 2023 02:57 PM

बजली जिला 2021 में स्थापित असम का 34वां जिला है और 173 गांवों में इसकी कुल आबादी लगभग 3 लाख है। इस जिले में 418 वर्ग किमी का क्षेत्र शामिल है, जो भारी वर्षा के कारण 15 जून से इस मानसून के मौसम में अत्यधिक जलप्लावित था। पोहुमोरा और कालदिया. नदियों के तटबंध टूटने के कारण बाढ़ आई है। तटबंधों के आस-पास के निवासियों के घर पूरी तरह से बह गए और लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी।

बाढ़ के दौरान पेयजल की आपूर्ति
जेजेएम से पत्थलघुटवा में जागी उम्मीद की नई किरण
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा के साथ यह सब बदल गया। यह घोषणा इस टोला की महिलाओं के लिए आशा की एक किरण लेकर आई, क्योंकि इससे उनके घरों में पानी की सीधे आपूर्ति होगी। इसलिए, महिलाओं ने अपनी समस्याओं को जिला स्तर पर काम कर रहे पेयजल और स्वच्छता विभाग के अधिकारियों के सामने रखा, जिन्होंने उनकी जरूरतों को तुरंत पूरा किया। Posted on 18 Sep, 2023 02:47 PM

झारखंड राज्य में रामगढ़ जिले के चित्तरपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले मयाल गांव का पत्थलघुटवा टोला ( बसावट) मुख्य रूप से महतो लोगों का निवास है जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है। हाल के दिनों तक, यह टोला जीवन यापन की सुगमता से संबंधित अधिकांश मापदंडों में पिछड़ गया, चाहे वह सड़क हो या सुरक्षित पेयजल । उस समय घरों के इन समूहों के एक छोर पर केवल एक सौर ऊर्जा से चलने वाली ओवरहेड पानी की टंकी थी। पत्थलघुटव

जेजेएम से पत्थलघुटवा में जागी उम्मीद की नई किरण
जल गुणवत्ता पखवाड़ा : जल गुणवत्ता नियंत्रण उपायों के लिए 15 दिवसीय अभियान
इस अभियान के माध्यम से पानी की गुणवत्ता, भंडारण, सुरक्षित जल रख-रखाव और प्रबंधन से संबंधित नियंत्रण उपायों के बारे में जागरूकता का प्रसार करने के लिए 1,00,000 जल बहिनियां, 273 पैनल में शामिल आईएसए और 19,000+ वीडब्ल्यूएससी राज्य के 19,676 गांवों में पहुंचेंगी। Posted on 18 Sep, 2023 02:37 PM

छत्तीसगढ़, जल जीवन मिशन के विजन के लिए प्रतिबद्ध है और यह 2024 तक 'हर घर जल' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यापक रूप से काम कर रहा है। क्षेत्र स्तर पर हर संभव प्रयास करके, छत्तीसगढ़ सरकार, जेजेएम के प्रत्येक घटक अर्थात पानी की गुणवत्ता की पर्यवेक्षण और निगरानी (डब्ल्यूक्यूएमएस), डीपीएमयू और एसपीएमयू की स्थापना और विशेषज्ञों की नियुक्ति, केआरसी को नियोजित करने, नियोजित आईएसए के लिए प्रशिक्षण

पानी की गुणवत्ता की पर्यवेक्षण और निगरानी
सूख रहे झरनों का पुनरुत्थान
खासकर सर्दी के आते ही लोगों को पानी की किल्लत का सामना करने की आदत हो गई है। साल-दर-साल समस्या विकराल होती जा रही है।  विशेषज्ञ मुख्य रूप से बड़े पैमाने पर वनों की कटाई, खनन और खेती के स्लेश एंड बर्न सिस्टम (झूम खेती) को झरनों के सूखने के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। सख्त सरकारी निषेध के बावजूद, अनियंत्रित कटाई की समस्या एक चिंताजनक मुद्दा बनी हुई है। Posted on 18 Sep, 2023 02:28 PM

अरुणाचल प्रदेश अनुमानित 3.19 बिलियन क्यूबिक मीटर भूजल संसाधनों (सीजीडब्ल्यूबी, 2020) और भारत की एक तिहाई से अधिक जलविद्युत क्षमता के साथ प्रचुर जल संसाधनों से संपन्न है। कई प्रमुख नदियाँ जैसे कामँग, सियांग, सुबनसिरी, आदि और कई आर्द्रभूमि जैसे भागजंग, नगुला, आदि इसकी समृद्ध जैव विविधता का पोषण करती हैं। इतने विशाल जल संसाधनों के बावजूद, अरुणाचल प्रदेश पीने के पानी की कमी से जूझ रहा है।

सूख रहे झरनों का पुनरुत्थान
बुरहानपुर : देश का पहला 'हर घर जल' सर्टिफाइड ज़िला
कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान, बुरहानपुर जिला प्रशासन द्वारा किए गए निरंतर कार्य के फलस्वरूप 34 महीने की अवधि के भीतर इसके सभी 1.01 लाख ग्रामीण परिवारों को कार्यात्मक नल के पानी के कनेक्शन प्राप्त हो गए हैं। इसके अलावा, सभी 640 स्कूलों, 547 आंगनवाड़ी केंद्रों और 440 सार्वजनिक संस्थाओं में भी पीने योग्य पानी सुलभ है। 440 सार्वजनिक संस्थाओं में 167 ग्राम पंचायतें, 50 स्वास्थ्य देखरेख केंद्र, 109 सामुदायिक केंद्र, 45 आश्रमशाला, 2 सामुदायिक शौचालय और 67 सरकारी कार्यालय शामिल हैं। Posted on 16 Sep, 2023 01:59 PM

मध्य प्रदेश में दक्षिण का दरवाजा' कहे जाने वाला बुरहानपुर देश का पहला 'हर घर जल' सर्टिफाइड ज़िला बना। 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा के समय बुरहानपुर में कुल 1.01 लाख परिवारों में से केवल 37, 241 ग्रामीण परिवारों (36.54%) की पीने योग्य पेयजल तक पहुंच थी। कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान, बुरहानपुर जिला प्रशासन द्वारा किए गए निरंतर कार्य के फलस्वरूप 34 महीने की अवधि के भीतर इसके सभी 1.01 लाख

दूर-दराज़ इलाकों की महिलाओं को सदियों पुरानी मजबूरी से मिली मुक्ति,Pc-जल जीवन संवाद
जल गुणवत्ता जांच के लिए कौशल विकास का भरपूर लाभ
भविष्य के बारे में सोचते हुए हम उपर्युक्त से दो बातें सीखते हैं। एक, हम इस प्रक्रिया में और अधिक विश्वास कैसे ला सकते हैं ताकि पानी के आंकड़ों को अधिक विश्वसनीय माना जा सके। दूसरी बात का संबंध इससे है कि कोई इस प्रक्रिया के माध्यम से बनाई गई विशाल कौशल पूंजी को कैसे पहचानता है और लंबी अवधि तक इससे कैसे लाभ प्राप्त करता है। Posted on 16 Sep, 2023 01:11 PM

जब पूरी दुनिया कोविड-19 से जूझ रही थी, भारत में वर्ष 2021-22 के दौरान एक क्रांति हो रही थी। जैसा कि महामारी की दूसरी लहर ने पूरे भारत को अपनी चपेट में ले लिया था, गढ़वा, झारखंड की आर्यमा कुमारी, गाँवों में मास्क पहनने वाली महिलाओं की बढ़ती संख्या में से एक थीं, जो झिझकते हुए एक-दूसरे से दूरी बना रही थीं, और हम जो समझते हैं उससे हटकर पानी की गुणवत्ता को 'देखने के लिए प्रशिक्षण ले रही थीं।

जल गुणवत्ता जांच के लिए कौशल विकास का भरपूर लाभ
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