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जोशीमठ त्रासदी के लिए कौन हैं ज़िम्मेदार
जोशीमठ का भू-धंसाव हाल की सबसे बड़ी पर्यावरणीय दुर्घटनाओं में से एक है। भूगर्भ वैज्ञानिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों की चेतावनियों को दरकिनार करके जोशीमठ को एक आधुनिक शहर बनाने की होड़ लगी हुई है। बीते कुछ वर्षों में यहाँ होटल्स, माल्स और सड़कों के अलावा अब चार लेन वाली चर्चित ऑल वेदर रोड का विकास हो रहा है, यह सब विशेषज्ञों की राय को कूड़ेदान में फेंक कर केवल अपनी जिद और सनक को पूरा करने के लिए किया जा रहा है, इसी सनक ने इस त्रासदी को आमंत्रित ही किया है। Posted on 31 Oct, 2023 12:26 PM

जोशीमठ के बारे में जो खबरें आ रही हैं, वे न केवल एक पहाड़ी शहर के जमींदोज होते जाने की हौलनाक दास्तान बयान करती हैं, बल्कि चीन की सीमा के नजदीक होने के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा की ओर से भी चिंतित करने वाली हैं। जोशीमठ में मकानों और सड़कों में दरार आने की खबर आज से नहीं, बल्कि पिछले दो साल से लगातार आ रही है, अलग बात है कि सरकार अब जागी है। समस्या है जोशीमठ की जमीन के निरंतर धंसते जाने की और यह गत

पहाड़ और जोशीमठ शहर की संरचना,Pc-सर्वोदय जगत 
दुनिया में फैशन का ब्रांड बन रही है खादी
दुनिया में सबसे टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल कपड़ा होने के कारण दुनिया में खादी की मांग बढ़ती जा रही है। खादी डेनिम दुनिया में एकमात्र दस्तकारी डेनिम फैब्रिक है, जिसने देश और विदेश में व्यापक लोकप्रियता हासिल की है। कपड़े की बेहतर गुणवत्ता, आराम, जैविक और पर्यावरण के अनुकूल गुणों के कारण प्रमुख फैशन ब्रांडों में खादी डेनिम के प्रति आकर्षण बढ़ा रहा है। Posted on 31 Oct, 2023 11:51 AM

भारतीय फैशन में ब्रांड बन चुका खादी अब अन्य देशों में भी लोकप्रिय होता जा रहा है। अमेरिका के मशहूर फैशन ब्रांड पेटागोनिया ने अपने परिधानों में खादी डेनिम का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। इस कंपनी ने हाल ही में भारत से 1.08 करोड़ रुपये का करीब 30 हजार मीटर खादी डेनिम फैब्रिक खरीदा है।

दुनिया में फैशन का ब्रांड बन रही है खादी
प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़ों से जीवों पर पड़ने वाले प्रभाव (Harmful effects of the microplastic pollution in hindi)
प्लास्टिक के कणों का स्तर हमारी कल्पना से भी अधिक है। उन्होंने समझाया कि प्लास्टिक एक कृत्रिम पदार्थ है, जो समय के साथ अपनी नमी खोता है और छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखरता है। Posted on 30 Oct, 2023 03:49 PM

आज के इस आधुनिक युग में प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े जल,थल और नभ में इतना प्रसारित हो चुके हैं कि कोई भी जीव इनसे बचा नहीं है। यूरोप एक्वाकल्चर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक हमारे द्वारा गरम पानी में डाले गए टी-बैग से भी ऐसे प्लास्टिक के कण हमारे शरीर में पहुंचकर रक्त में मिलते हैं।

प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़ों से जीवों पर पड़ने वाले प्रभाव
जलवायु परिवर्तन से वर्षा के पैटर्न में हुआ बदलाव
उच्च गर्मी और आर्द्रता का संयोजन हमारे शरीर को ठंडा रखने वाले पसीने के तंत्र को प्रभावित कर सकता है। जब पसीना हमारी त्वचा से उड़ जाता है, तो हमारा शरीर शीतल होता है Posted on 30 Oct, 2023 02:18 PM

जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के स्वरूप में बदलाव हुआ है। इसका प्रभाव दिल्ली की हवा और तापमान पर भी पड़ा है। दिल्ली में नमी का स्तर बढ़ा है और तापमान में भी थोड़ा सा उतार-चढ़ाव हुआ है। इससे लोगों को परेशानी और असहनीयता का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि 2011 से अब तक महानगर के परिवेशी तापमान में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं हुआ है। यह बात एक हालिया अध्ययन से पता चली है।

जलवायु परिवर्तन से वर्षा के पैटर्न में हुआ बदलाव
हम हिमालय की सुरक्षा क्यों नहीं कर पा रहे हैं
हम हिमालय की सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं, जबकि हिमालय राष्ट्र की जीवनशक्ति है। सिंधु से लेकर ब्रह्मपुत्र तक नदियां हिमनदों से ही निकलती हैं और ये हिमनद ग्लोबल वार्मिंग तथा ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव से पिघलकर पीछे हटते जा रहे हैं। चिंतनशील भारतीय आज इसलिए स्तब्ध हैं कि आखिरकार वैज्ञानिकों की अनवरत चेतावनियाँ देने के बावजूद प्राकृतिक विनाश की प्रत्यक्ष क्षति देखते हुए भी हम हिमालय को अपने अवांछित निर्माण, खनन आदि गतिविधियों से अस्थिर क्यों कर रहे हैं? Posted on 30 Oct, 2023 12:26 PM

यह देखकर हम सभी स्तब्ध हैं कि भूकंप के प्रति संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में जानबूझकर एनटीपीसी द्वारा सुरंगों, मकानों और भारी भरकम बहुमंजिला होटलों का निर्माण क्यों हो रहा है? ब्यूरोक्रेसी भी जानबूझकर क्यों अनजान बन रही है?

हाइड्रो आधारित विद्युत परियोजनाएं,Pc-सर्वोदय जगत
बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन
नासा की एक खोज के अनुसार अंटार्कटिका में औसतन 150 बिलियन टन और ग्रीनलैंड आइस कैप में 270 बिलियन टन बर्फ प्रति वर्ष पिघल रही है। आगे आने वाले समय में सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र आदि नदियां सिकुड़ जाएंगी और बढ़ता हुआ समुद्री जल स्तर खारे पानी की वजह से डेल्टा क्षेत्र को मनुष्य के रहने लायक नहीं छोड़ेगा। Posted on 30 Oct, 2023 12:02 PM

वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के दोहन से पृथ्वी पर जीव जंतुओं, वनस्पतियों; यहां तक कि मनुष्य के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लग गया है। जीवन जल, वायु, अग्नि, मिट्टी और आकाश इन पांच तत्वों से मिलकर बना है। केवल अग्नि को छोड़कर शेष चारों तत्व आज सीधे तौर पर मनुष्य द्वारा इतने प्रदूषित कर दिए गए हैं कि मनुष्य स्वयं अपना जीवन लील रहा है, आगे आने वाली पीढ़ियों पर अस्तित्व का भयंकर संकट मंड़रा रहा है। इन चा

बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन
पूंजीपतियों का गंगा-विलास
गंगा केवल नदी नहीं है। यह देशवासियों की भावना से जुड़ी होने के अतिरिक्त कई जलीय जीवों का घर भी है। भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव गंगा में पाया जाने वाला डॉल्फिन है। गंगा का प्रदूषण इस डॉल्फिन की ज़िंदगी पर लगातार भारी पड़ रहा है और रोज़ इनकी संख्या घट रही है। सोचने की बात है कि क्रूज़ शिप का कचरा और ध्वनि प्रदूषण इनका क्या करेगा? Posted on 30 Oct, 2023 11:40 AM

रिवर क्रूज़; यह क्रूज़ बेहद फ़ैसिनेटिंग शब्द है। ‘टाइटैनिक’ के छलावे से लेकर ‘कहो ना प्यार है’ के भुलावे तक, बचपन और तरुणाई के दो बेहद महत्वपूर्ण पड़ाव इस रास्ते से गुज़रे हैं।

गंगा डाल्फिन,Pc-सर्वोदय जगत
अगरबत्ती उद्योग पर ग्लोबलाइजेशन की मार
पहले जब यह उद्योग आयात और मशीन से बचा हुआ था, तो इसमें कॉटेज उद्योग के चरित्र थे, ह्यूमन इंटेंसिविटी ज्यादा थी, तब विकेंद्रीकरण था और अब बड़ी बड़ी पूंजी है, औटोमेशन है, मार्केटिंग के एक से एक इंतजामात हैं। पहले जब यह उद्योग अनऑर्गनाइज्ड था, तब सरकार की जीएसटी, वैट जैसे करों की वसूली इतनी व्यवस्थित नहीं थी, जितनी आज है। भारत की अर्थव्यवस्था में ग्लोबलाइजेशन के प्रवेश और आयात में मुनाफाखोरी ने बांस से सींक बनाने की इस वृहत्तर रोज़गार व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया. Posted on 30 Oct, 2023 11:17 AM

किसी भी प्रजातांत्रिक देश की इकोनॉमी में रोजगार से बड़ी प्राथमिकता कुछ और नहीं होती। रोजगार की यह प्राथमिकता तब और प्रचंड होती है, जब आबादी स्वयं बाज़ार हो और इकोनॉमी को लाभ देने वाली आधारभूत घटक हो. दूसरी तरफ उसकी शर्त केवल इतनी भर होती है कि टेक्नोलॉजी बेपरवाह न हो और मुनाफाखोर व्यवस्था द्वारा गढ़ी गयी नीतियों के नियन्त्रण में न हो!

अगरबत्ती उद्योग पर ग्लोबलाइजेशन की मार,Pc-सर्वोदय जगत 
जलवायु परिवर्तन से बढ़ा विस्थापन
शरणार्थियों की समस्याओं की निगरानी करने वाली संस्था यूएनएचसीआर के मुताबिक मौसम संबंधी घटनाओं मसलन बाढ़, तूफान, वनाग्नि और भीषण तापमान के कारण 2009-16 के बीच हर साल 2 करोड़ 15 लाख लोगों को मजबूरन विस्थापित होना पड़ा। Posted on 28 Oct, 2023 03:24 PM

कुछ ही दिन हुए  अतिवृष्टि से ऐसा नुकसान हुआ कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चमोली के पीपलकोटी, अगथला, मायापुर, मेहरगांव, बौंला और दुर्गापुर आदि के 90 परिवारों को होटलों और धर्मशालाओं में शिफ्ट करने के निर्देश देने पड़े। भू-धंसाव के संकट के चलते जोशीमठ के सैकड़ों परिवारों को इसी तरह शिफ्ट करना पड़ा था। 2021 में रैणी हादसे के बाद चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी की मूर्ति तक को उनके

जलवायु परिवर्तन से बढ़ा विस्थापन
ग्लोबल वार्मिंग के कारण 14 से 22 मी. तक छोटा हुआ देवदार का कद 
ग्लोबल वार्मिंग के कारण  14 से 22 मी. तक छोटा हुआ देवदार का कद जीबी पंत हिमालय संस्थान के वैज्ञानिकों का शोध Posted on 28 Oct, 2023 03:17 PM

ग्लोबल वार्मिंग हिमालय पर गहरा असर डाल रही है। ताजा शोध बताता है कि मौसम ने अब धार्मिक, व्यापारिक और औषधीय रूप से महत्त्वपूर्ण देवदार के पेड़ों को दुष्प्रभावित करना शुरू कर दिया है। लगातार बदलते मौसम के कारण देवदार की लंबाई में 37 से 47% तक की कमी आई है। यह असर हिमालय के 2500 मीटर से ऊपर उगने वाले देवदारों पर देखा गया है। हालांकि निचले क्षेत्रों में अध्ययन होना अभी बाकी है। उत्तराखंड, हिमाचल प्

ग्लोबल वार्मिंग के कारण 14 से 22 मी. तक छोटा हुआ देवदार का कद 
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