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पर्वतीय क्षेत्रों में कम लागत तकनीक द्वारा वर्षा जल संग्रहण
जाने कैसे पर्वतीय क्षेत्रों में कम लागत तकनीक द्वारा वर्षा जल संग्रहण कर सकते है। | Get information about how rain water can be collected in hilly areas through low cost technology Posted on 10 Jan, 2024 01:37 PM

खाद्य संकट से छुटकारा एवं स्थिर आर्थिक विकास के लिये जल एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। ज्ञातव्य है कि कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक जल का उपयोग किया जाता है लेकिन निकट भविष्य में इस दशक के अंत तक इसमें प्रयोग होने वाले जल की कुल मात्रा में से 10-15 प्रतिशत की कमी होने की सम्भावना जताई जा रही है। सिंचाई के स्थिर एवं यथाक्रम विकास के साथ- साथ भारतवर्ष में विकास की विभिन्न योजनाओं के द्वारा सम्भा

पर्वतीय क्षेत्रों में कम लागत तकनीक द्वारा वर्षा जल संग्रहण
शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण एवं संरक्षण की विभिन्न तकनीकें
जाने शुष्क क्षेत्रों में कैसे वर्षा जल संग्रहण एवं संरक्षण कर सकते है | Know about how rain water can be collected and conserved in dry areas Posted on 09 Jan, 2024 12:16 PM

चित्र-4: वर्षा जल का भंडारण करके सिंचाई, पेयजल तथा मछलीपालन हेतु निर्मित प्रक्षेत्र तालाब।चित्र-4: वर्षा जल का भंडारण करके सिंचाई, पेयजल तथा मछलीपालन हेतु निर्मित प्रक्षेत्र तालाब।पानी मानव जीवन की पहली जरूरत है- फिर वह चाहे स्वास्थ्य और जीवित रहने के लिये हो या फिर खाद्य उत्पादन और दूसरी आर्थिक गतिविधियों के लिये। बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्यान्न आपूर्ति व तेजी से हो रहे औद्योगिक विकास के कारण

शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण एवं संरक्षण की विभिन्न तकनीकें
पुनर्जीवित होती 'एक नदी' | River rejuvenation
जाने काली नदी को कैसे पुनर्जीवित किया गया। | Get information about Kali River rejuvenation. Posted on 08 Jan, 2024 01:23 PM

हमारे देश में एनजीओ और आम जनता द्वारा छोटी-छोटी नदियों को बचाने के प्रयास बहुत कम हुए हैं। इस वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस के अवसर पर ऐसे प्रयासों की चर्चा हमें एक प्रेरणा दे सकती है। दरअसल नदियों के किनारे अनेक सभ्यताएं विकसित हुई है। नदियां जहां एक और हमारी आस्था से जुड़ी हुई हैं वहीं दूसरी ओर हमारी अनेक मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। पुराने जमाने

पुनर्जीवित होती 'एक नदी'
अंतर्निहित है जल और जलवायु रिश्ता
जाने वैश्विक जलवायु परिवर्तन से जल सरक्षंण की बढ़ी चुनौतियां | Know about the increased challenges of water conservation due to global climate change. Posted on 08 Jan, 2024 12:57 PM

मानव जाति सबसे खराब कोविड-19 तबाही का सामना कर रही है, जो प्रथम दृष्टया  स्वयं की मूढ़ता से तैयार हुआ और अब हर देश इससे निपटने के लिए अपने संबंधित कौशल का इस्तेमाल कर रहा है। अब तक भारत ने इससे निपटने के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है। लेकिन यहां पर लंबे समय के लिए जल की कमी और वैश्विक जलवायु परिवर्तन की ज्यादा गंभीर चुनौतियां हैं। पानी की बढ़ती मांग ने भूजल पंपिंग के उपयोग को बढ़ा दिया है। 2 करोड

अंतर्निहित है जल और जलवायु रिश्ता
टिकाऊ प्रयासों की है दरकार | Sustainable efforts for water management
जाने क्यों भारत में जल प्रबधंन सुधर नहीं सकते है | Know about why water management cannot improve in India. Posted on 08 Jan, 2024 12:27 PM

हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर पानी की महत्ता और इसके अनवरत प्रबंधन की  हिमायत करना है। दुर्भाग्य से भारत में, जल प्रबंधन की करीब एक सदी से टिकाऊ राह नहीं रही है। 1970 तक की यहां की जनसंख्या 55 करोड़ थी, तब तक इसका प्रबंध किया जा सकता था। शहरीकरण कम था, इसी तरह से औद्योगिकीकरण और लोगों की अपेक्षाएं भी कम थीं। 2019 तक भारत की आचादी एक अरब 97 करोड़ प

टिकाऊ प्रयासों की है दरकार
पानीदार भारत में बढ़ते सुखाड़ का दायरा
जाने कैसे भारत लगातार सूखे के चपेट में आ रहा है | Get information about how India is continuously falling in drought Posted on 08 Jan, 2024 11:10 AM

सर्दी के मौसम में जब उत्तर भारत में थोड़ी बहुत मावठे वाली बारिश हो रही है, ऐसे में सूखे की चर्चा अटपटी जरुर है, पर जलवायु परिवर्तन के दौर में बिगड़ते मानसून के स्वरुप और अंधाधुध भूमि के दोहन ने सूखे के दायरे और तीव्रता को और बढ़ा दी है। वैश्विक स्तर पर शुष्क या सूखा प्रभावित क्षेत्र का दायरा बढ़कर कुल भू-भाग का लगभग आधा हो चुका है। इस आधे भाग में विश्व की एक-

पानीदार भारत में बढ़ते सुखाड़ का दायरा
डी ए वी महाविद्यालय देहरादून द्वारा एक दिवसीय पेयजल सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
डी ए वी कॉलेज देहरादून की और से एक दिवसीय पेयजल सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया | Get information about One day drinking water safety training program organized by DAV College, Dehradun Posted on 06 Jan, 2024 05:24 PM

डी ए वी महाविद्यालय देहरादून द्वारा उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद से वित्त पोषित शोध परियोजना के अंतर्गत आज दिनाँक 5 जनवरी 2024 को बहादराबाद विकास खंड की अजीतपुर ग्राम सभा हरिद्वार के पंचायत भवन में एक दिवसीय "ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में जैविकीय प्रदूषण रोकने हेतु जल सुरक्षा योजना हेतु प्रशिक्षण कार्यशाला" का आयोजन डी बी एस कॉलेज देहरादून एवं हर्ष विद्या मंदिर महाविद्यालय रायसी हरिद्वार के संय

डी ए वी महाविद्यालय देहरादून द्वारा एक दिवसीय पेयजल सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
गांव-गांव तक पहुँच रहा है पीने का साफ़ पानी
जानिए कैसे हर घर नल योजना से ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ पानी उपलब्ध होने के साथ ही लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार आ रहा है|Know how Har Ghar Nal Yojana is not only providing clean water in rural areas but also improving the health of the people. Posted on 05 Jan, 2024 03:45 PM

देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के बेहतर स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में 'हर घर नल जल योजना' की शुरुआत की थी. इस योजना ने पिछले पांच वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर बदल दी है. इसका सबसे सकारात्मक प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ा है. जो पहले से काफी बेहतर होने लगी है.

गांव-गांव तक पहुँच रहा है पीने का साफ़ पानी
पानी में पनपा माफिया राज| Water Mafia in Hindi
जाने कैसे जल में भी माफिया सक्रिय हो गए हैं | Know how mafia has become active in water Posted on 05 Jan, 2024 02:00 PM

एक दृष्टि यह है कि हम और हजारों हमारे जैसे लोग पानी बचाने में  लगे रहेंगे और उसका इस्तेमाल कोई और ही करने लगेगा। एक लाइन का कानून बनेगा और लोग अपने ही जल श्रोत से वंचित कर दिए जाएंगे।ऐसे पानी बचाने का क्या लाभ होगा उससे भी अधिक चिंताजनक यह है कि लोग पानी तो बचाएं लेकिन जल प्रदाय यानि समस्त जल संरचनाओं पर अपने अधिकारों को समझ ही न सकें तो जल पर उनका काम करना कोई उपयोगी नहीं होगा।

पानी में पनपा माफिया राज
पर्यावरण अनुकूल है मिलेट्स
मिलेट्स के पर्यावरणीय लाभों को जानें और समझें | Know and understand theEnvironmental benefits of millets
Posted on 05 Jan, 2024 01:30 PM

धान और गेहूँ की खेती के लिए भारतीय कृषि परंपरा का एक लंबा इतिहास है। परंतु,आज के पर्यावरणीय और जलवायु संकट के युग में, हमें अधिक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों की ओर रुख करना आवश्यक है। इस संदर्भ में, 'मिलेट्स' यानी छोटे अनाज, एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में उभर रहे हैं। एक स्वस्थ पर्यावरण दुनिया में सभी जीवित प्राणियों के लिए महत्तवपूर्ण है क्योंकि यह हवा, पानी, भोजन और अन्य आवश्यक ची

पर्यावरण अनुकूल है मिलेट्स
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