Posted on 15 Mar, 2013 11:58 AMयात्रा :- 05-08 अप्रैल 2013 स्थान :- हरिद्वार से बद्रीनाथ (उत्तराखंड) (यात्रा में शामिल होने के लिए आयोजकों से सहमति ले लें।)
सदैव ही माँ गंगा एक नदी से कहीं बढ़कर इस भारतवर्ष की पहचान, इसकी संस्कृति एवं सभ्यता का प्रवाह रही है। इसी राष्ट्रीय नदी गंगा की अविरलता, आज गंगा भक्तों व प्रेमियों में प्राथमिक रूप से चिंता व संघर्ष का विषय बनी हुई है। इस हेतु चिंता एवं विरोध के विभिन्न स्वरों से अवगत राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण एवं इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री इस विषय की गंभीरता को स्वीकारने के बाद भी अब तक व्यवहारिक धरातल पर संवेदनहीन व उपेक्षित रवैया अपनाकर अपने आश्वासनों का सरेआम उल्लंघन कर रहे हैं। परिणामस्वरूप आने वाली 13 मई 2013 को श्रीनगर क्षेत्र की स्थानीय संस्कृति एवं आस्था का प्रतीक माँ धारी देवी सिद्ध पीठ को अलकनंदा पर बनाए जा रहे श्रीनगर बाँध परियोजना की बलि चढाए जाने की तैयारी हो चुकी है। ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में गंगा की अविरलता हेतु सरकारों, प्राधिकरण व संसद में रख चुके अपने वैचारिक एवं सैद्धांतिक स्वर को व्यावहारिक भूमि पर भी तेजी से उठाने हेतु आवश्यकता आन पड़ी है।
Posted on 07 Feb, 2013 02:43 PMभारत में मानसून समय पर हो, यह यहां पर खेती व्यापार सबके लिए जरूरी है। भारत के मौसम विभाग के ऊपर सालाना तीन सौ करोड़ रुपये खर्च किये जाते हैं और आये दिन उनके किये जाने वाले मौसम के अनुमान गलत साबित होते हैं। हालांकि मौसम विभाग का काम ‘मौसम प्रभावित होने वाली कृषि और सिंचाई जैसी गतिविधियों के लिए मौसम संबंधी पूर्वानुमान तथा जानकारी मुहैया कराना’ है। पर देखा ये गया है कि उनके पूर्वानुमान और भविष्य
Posted on 05 Feb, 2013 04:09 PM राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के 14 नवंबर 2011 के आदेश में पर्यावरण एंव वन मंत्रालय को निर्देश दिया गया था कि वो विभिन्न बांध परियोजनाओं में भौतिक, जैविक और सामाजिक दृष्टि से एक-दूसरे पर पड़ने वाले असरों पर एक उचित समिति बनाये जिसके निणर्य व सिफारिशें निश्चित समय पर आये ताकि लाभ-लागत का अनुपात निकालने में पर्यावरण एंव वन मंत्रालय को अंतिम निर्णय लेने के समय अनचाही पर्यावरणीय एवं पारिस्थितिकीय खतरे को दूर किया जा सके।उत्तराखंड में अलकनंदा गंगा पर प्रस्तावित विष्णुगाड़-पीपलकोटी बांध परियोजना पर अभी रोक जारी है। 25 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय के हवाले से जारी अंग्रेजी के एक अखबार में भ्रामक खबर आई और उसके बाद विश्वबैंक व अन्य सरकारी परियोजनाओं से जुड़ी देहरादून स्थित एक एनजीओ वक्तव्य जारी किया गया जिसे कई अन्य अखबारों ने छाना है। हम बताना चाहेंगे की इस तरह से फैलाई गई बातें भ्रामक, तथ्यहीन, आधारहीन है।