Posted on 03 Nov, 2017 10:12 AM वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे को देखते हुए इसकी मॉनिटरिंग का दायरा बढ़ाने को लेकर प्रयास किये जा रहे हैं। वायु प्रदूषण को मापने वाली मशीनें काफी महँगी हैं। लिहाजा महानगरों के अलावा मंझोले और छोटे शहरों में भीड़-भाड़ वाले चौराहों से लेकर गली मुहल्लों तक में प्रदूषण का स्तर मापना आसान नहीं है। लेकिन इसे आसान बनाने के लिये एक भारतीय स्टार्टअप ने उल्लेखनीय कार्य कर दिखाया है। इससे अब वायु प्रदूषण क
Posted on 02 Nov, 2017 09:15 AM लखनऊ में गोमती नदी प्रदूषण के कारण काफी समय से सुर्खियों में बनी हुई है। अब वैज्ञानिकों ने अपने शोध से गोमती के जल में हानिकारक भारी धातुओं के होने की पुष्टि की है। पहली बार गोमती में आर्सेनिक की उपस्थिति का भी पता चला है।
Posted on 12 Oct, 2017 01:19 PM लखनऊ के बक्शी का तालाब से निकली रेठ नदी का पानी जलजीव व मनुष्य के लिये घातक है। इस बात का खुलासा नदी के पानी के कुछ दिन पहले लिये गए नमूने की जाँच रिपोर्ट में हुआ है। यह नमूना कुर्सी थाना के अगासड़ में संचालित हो रहे यांत्रिक स्लाटर हाउस अमरून फूड प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड से करीब तीन सौ मीटर की दूरी पर लिया गया था। यह नदी जिले से गुजरे वाली गोमती नदी में समाहित हो जाती है। हैरानी की बात तो य
Posted on 08 Oct, 2017 09:59 AM स्वतंत्रता के लगभग 53 वर्ष बाद गत 28 जुलाई 2002 को केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नीतीश कुमार ने नई राष्ट्रीय कृषि नीति संसद के पटल पर रखी, इसकी मुख्य विशेषता यह है कि सरकार ने अगले दो दसकों के लिये कृषि क्षेत्र में प्रतिवर्ष 4 प्रतिशत की विकास दर निर्धारित की है। 17 पृष्ठों की कृषि नीति में भूमि सुधार के माध्यम से गरीब किसानों को भूमि प्रदान करना, कृषि जोतों का समेकन, कृषि क्षेत्र में निवेश को ब
Posted on 07 Oct, 2017 11:18 AM स्वस्थ्य जीवन के लिये यह आवश्यक है कि व्यक्ति को ऐसा भोजन मिले जिसमें सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में उपस्थित हों, ऐसा तभी संभव है जब उसको संतुलित भोजन प्राप्त हो परंतु हर व्यक्ति का संतुलित भोजन सामान्य नहीं हो सकता है। व्यक्ति भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्य संपादित करता है। अत: कार्य की विभिन्नता के आधार पर उसे भोजन की भी आवश्यकता होती है। समझदार व्यक्ति को अपना भोजन इस आयु, जलवायु, ऋतु तथा लिं
Posted on 05 Oct, 2017 03:51 PM भोजन मनुष्य की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आधारभूत आवश्यकता है जिसके बिना कोई भी प्राणी जीवन की कल्पना नहीं कर सकता है। जीवन के प्रारंभ से जीवन के अंत तक शांत करने तथा शारीरिक विकास के लिये मनुष्य को भोजन की आवश्यकता होती है। डॉ.
Posted on 03 Oct, 2017 11:35 AM किसी प्रदेश अथवा क्षेत्र के फसलों के प्रतिरूप में परिवर्तन की संभावना के विषय में दो मत हैं। कुछ विद्वानों का मत है कि फसलों के प्रतिरूप में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है जबकि कुछ विद्वान मानते हैं कि सुविचारित नीति के सहारे इसे बदला जा सकता है। वसु केडी ने यह मत व्यक्त किया है ‘‘परंपराबद्ध तथा ज्ञान के अत्यंत निम्न स्तर वाले देश के कृषक प्रयोग करने की उद्यत नहीं होते हैं, वे प्रत्येक बात