तमिलनाडु

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पानी साफ करती जादुई फली
Posted on 07 May, 2010 07:30 PM
अमृता प्रीतम की एक कविता में सुहांजने के फूल का जिक्र है, उनकी कविता का सुहांजना देश के अलग-अलग जगहों पर सुरजना, सैजन और सहजन बन जाता है। सहजन की फली (ड्रमस्टिक) का वृक्ष किसी भी तरह की भूमि पर पनप सकता है और यह बहुत कम देख-रेख की मांग करता है। इसके फूल, फली और टहनियों को अनेक प्रकार से उपयोग में लिया जा सकता है। ये एक जादुई फली है। भोजन के रूप में यह अत्यंत पौष्टिकता प्रदान करती है और इसमें
हम पी रहे है मीठा जहर
Posted on 08 Oct, 2009 10:26 AM

गंगा के मैदानी इलाकों में बसा गंगाजल को अमृत मानने बाला समाज जल मेंव्याप्त इन हानिकारक तत्वों को लेकर बेहद हताश और चिंतित है। गंगा बेसिनके भूगर्भ में 60 से 200 मीटर तक आर्सेनिक की मात्रा थोडी कम है और 220मीटर के बाद आर्सेनिक की मात्रा सबसे कम पायी जा रही है। विशेषज्ञों केअनुसार गंगा के किनारे बसे पटना के हल्दीछपरा गांव में आर्सेनिक की मात्रा1.8 एमजी/एल है। वैशाली के बिदुपूर में विशेषज्ञों ने पानी की जांच की तोनदी से पांच किमी के दायरे के गांवों में पेयजल में आर्सेनिक की मात्रादेखकर वे दंग रह गये। हैंडपंप से प्राप्त जल में आर्सेनिक की मात्रा 7.5एमजी/एल थी ।

तटवर्तीय मैदानी इलाकों में बसे लोगों के लिए गंगा जीवनरेखा रही है। गंगा ने इलाकों की मिट्टी को सींचकर उपजाऊ बनाया। इन इलाकों में कृषक बस्तियां बसीं। धान की खेती आरंभ हुई। गंगा घाटी और छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर धान उत्पादक गांव बसे। बिहार के 85 प्रतिशत हिस्सों को गंगा दो (1.उत्तरी एवं 2. दक्षिणी) हिस्सों में बांटती है। बिहार के चौसा,(बक्सर) में प्रवेश करने वाली गंगा 12 जिलों के 52 प्रखंडों के गांवो से होकर चार सौ किमी की दूरी तय करती है। गंगा के दोनों किनारों पर बसे गांवों के लोग पेयजल एवं कृषि कार्यों में भूमिगत जल का उपयोग करते है।


गंगा बेसिन में 60 मीटर गहराई तक जल आर्सेनिक से पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। गांव के लोग इसी जल को खेती के काम में भी लाते है जिससे उनके शरीर में भोजन के द्वारा आर्सेनिक की मात्रा शरीर में प्रवेश कर जाती है।

शौचालय के पानी से बनी एक कहानी
Posted on 03 Oct, 2009 10:24 AM

तमिलनाडु में सामुदायिक शौचालय से निःसृत बहुत गंदे (मटियाले) जल का प्रबंधन


सामुदायिक शौचालय से निःसृत मटियाले जल (गांव के गंदे पानी) का उपचार करके उसके पुनर्प्रयोगों की दिशा में एक अनूठा प्रयास निम्न उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया गया हैः

• शहरी एवं उपशहरी क्षेत्रों में सेप्टिक टैंक टायलेट से जनित जल प्रदूषण-समस्या का एक व्याहारिक समाधान।
नदी- जोड़ परियोजना ठीक नहीं- राहुल गांधी
Posted on 12 Sep, 2009 06:47 AM

कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने नदियों को जोड़ने का विरोध किया है. तमिलनाडु यात्रा पर गये राहुल गांधी ने चेन्नई में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वे नदियों को जोड़नेवाले विचार के खिलाफ हैं क्योंकि इसका पर्यावरण पर बहुत घातक दुष्परिणाम होगा.
टेक्सटाइल प्रोसेसिंग में स्वच्छ उत्पादन
Posted on 24 Oct, 2008 12:09 PM

परिचय
मेसर्स तिरूपुर अरोरा तिरूपुर स्थित टेक्सटाइल प्रोसेसिंग की निजी कंपनी है। इस इकाई में कॉटन होजरी की प्रोसेसिंग होती है। इस इकाई की प्रोसेसिंग क्षमता प्रतिवर्ष (80 फीसदी प्रिंटिंग यानी छपाई और 20 फीसदी डाई ) 2500 टन की है। इस अध्ययन में इस इकाई की स्वच्छ निर्माण प्रक्रिया को रेखांकित किया गया है।

 

प्रकिया विवरण

बेकाबू होता जल संकट
Posted on 08 Oct, 2008 08:52 PM

बात चाहे देश की राजधानी दिल्ली की हो अथवा सुदूर इलाकों के गांवों की-हर जगह पेयजल की किल्लत पिछले वर्षो के मुकाबले अधिक नजर आ रही है। यह घोर निराशाजनक है कि आजादी के साठ वर्षो के बाद भी देश की एक तिहाई जनता को पीने के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं है। इसी तरह करीब 70 प्रतिशत आबादी सामान्य जन सुविधाओं से भी वंचित है। शायद यही कारण है कि प्रतिवर्ष जल जनित बीमारियों के चलते 15 लाख बच्चे काल के गाल में

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