पश्चिम बंगाल

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डायमंड हार्बर- गुलामी की बदलती तस्वीर
Posted on 08 May, 2016 12:39 PM


एक समय था जब बंगाल का डायमंड हार्बर, ईस्ट इण्डिया कम्पनी का प्रमुख ठिकाना हुआ करता था। अंग्रेजों ने बंगाल लूट को बाहर ले जाने के लिये यहाँ एक विशाल जेट्टी यानी बंदरगाह का निर्माण किया था। यहाँ के बाशिंदे जो मूलत बंगाली मछुआरे थे, धीरे–धीरे ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कामगार बन गए।

Water Crisis in West Bengal
Posted on 21 Apr, 2016 12:49 PM
In the state of West Bengal, numerous water commons existed in all villages in the form of ponds, tanks, wells, springs and stretches of rivers that were maintained by village communities. Various stringent rules of use and taboos on over harvesting living and nonliving resources from the water bodies prevailed.
अभावों की जमीन पर कामयाबी की इबारत
Posted on 10 Apr, 2016 11:19 AM


कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती... कवि सोहन लाल द्विवेदी

পুকুর বাঁধা ধর্মস্বভাব
Posted on 05 Apr, 2016 01:18 PM
আজ সম্ভবত তথাকথিত শিক্ষিত মানুষ সমাজ থেকে বিচ্ছিন্ন হয়ে পড়েছ
আজও পুকুরগুলি খাঁটি
Posted on 05 Apr, 2016 12:57 PM
সময়টা খারাপ ছিল|

ভোপা থাকলে নিশ্চিত বলতো সময়টা খারাপ| যে সমৃদ্ধ ঐতিহ্য ও বিশ্বাস পুকুর তৈরী করত তা ক্রমে শুকিয়ে যেতে আরম্ভ করে|

‘দূরত্ব’ একটা ছোট্ট শব্দ, কিন্তু এই ছোট্ট শব্দটা প্রশাসন ও সমাজের মাঝে এসে পড়লে সমাজের কষ্ট যে কি পরিমাণ বেড়ে যায় তার হিসাব করা যায় না| আর এই দূরত্ব যদি এক পুকুরের বদলে হয় সাত সমুদ্রের, তখন আর ব্যাখা করার বাকি কী থাকে?
পানীয় জল (Drinking Water)
Posted on 26 Mar, 2016 09:52 AM
পৃথিবীর তিন ভাগ জল, এক ভাগ স্থল মানেই কি পৃথিবীতে পানীয় জলের অভাব নেই? বরং উল্টোটাই সত্যি! সারা পৃথিবী জুড়ে আজ নিরাপদ পানীয় জলের হাহাকার| কিন্তূ কেন? এই প্রশ্নের উত্তর পেতে জানতে হবে জলের মতনই সহজ কিছু বিষয় সম্পর্কে, যা প্রতিদিন আমরা শুনে থাকি, কিন্তূ সঠিক ধারনা আমাদের নেই| এমনই বিষয় নিয়ে লেখা এটি…

জল : পৃথিবীর সবচেয়ে মূল্যবান সম্পদ

बदल रही है सूरत ए हाल…
Posted on 25 Mar, 2016 03:34 PM
“नदी कॉलम के लेखक इन दिनों गंगासागर से गोमुख की यात्रा पर हैं। आने वाले अंकों में गंगा पथ पर बसे नगरों, वहाँ की संस्कृति, गंगा पर निर्भर जीविकोपार्जन और गंगा पर आकार ले रही सरकारी परियोजनाओं पर केन्द्रित बातचीत होगी।”

दुनिया की हर नदी अंतत सागर में समाती है लेकिन गंगा ही विश्व की एकमात्र नदी है जिसके नाम से सागर जाना जाता है। हिन्दु तीर्थों का एक प्रसिद्ध उद्घोष है, सारे तीरथ बार-बार गंगासागर एक बार। एक समय था जब गंगासागर की यात्रा दुर्गम मानी जाती थी। सम्भवतः मंधार पर्वत (वर्तमान भागलपुर) के समीप से यह यात्रा शुरु होती थी और बंगाल सहित (उस समय कोलकाता समेत पूरे बंगाल का इलाका समुद्र से घिरा और छोटे-छोटे द्वीपों में बँटा था।) तमाम छोटे-मोटे द्वीपों को पार कर विशाल गंगा नदी में लहराती नौकाएँ कई दिनों में गंगा सागर पहुँचती थी। ना जाने कितने ही यात्रियों के लिये गंगासागर की यात्रा अन्तिम यात्रा साबित होती थी। पुराने गजेटियरों में नौका डूबने और वर्मा (म्यांमार) आदि से समुद्री लूटेरों के आने की घटनाएँ भरी पड़ी हैं। लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है।

पिछले पाँच साल के अन्तराल में तीसरी बार गंगासागर आना हुआ। कचुवेड़िया घाट पर मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी का विशाल बैनर स्वागत करता है, बांग्ला में लिखे उनके सन्देश का अर्थ है, सारे तीरथ एक बार लेकिन गंगासागर बार-बार। द्वीप पर आस्थावानों को दोबारा बुलाने की उनकी अपील साफ संकेत करती है कि गंगासागर आना अब बेहद आसान है और तीर्थयात्रियों के लिये यहाँ बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
মরীচিকাকে মিথ্যা করে পুকুর
Posted on 20 Mar, 2016 09:56 AM
এই সকল মানুষজন, যাঁরা সারা দেশ জুড়ে জলের কাজ করতেন মরুভূমিতে এলেই তাঁদের মাথা মরীচিকায় ঘেরা হয়ে যায়|
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