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पिथौरागढ़ जिला
मानस ताल व कैलाश
Posted on 10 Feb, 2019 04:27 PMकैलाश पर्वत (फोटो साभार: विकिपीडिया) जो रमणीय है वह पवित्र भी। कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील अल्मोड़ा शहर से 240 मील तथा तिब्बत की राजधानी ल्हासा से 800 मील की दूरी पर स्थित है। पवित्र कैलाश शिखर जिसे तिब्बती भाषा में ‘कागरिंग पोचे’ कहते हैं, अद्भुत सौन्दर्य से पूर्ण प्रकृति का बेदाग नमूना है। यह हमारी उचकैलास मानस यात्रापथ के झरोखे से
Posted on 09 Feb, 2019 11:12 AMइतिहास वैदिक भाषा का शब्द है। इति का अर्थ है-सम्पूर्ण विकास के बाद समाप्त और हास का अर्थ है-मनोरंजन। आधुनिक युग में अंग्रेजी के हिस्ट्री शब्द का इसे पर्याय मान लिया गया है। जिसका अर्थ है-अतीत का सम्पूर्ण सच्चा लेखा। जहाँ तक इतिहास का सम्बन्ध है, उसमें लुप्त और प्रकट होने की प्रक्रिया तीव्र होती है। अतः हिस्ट्री की तरह वह अतीत का सच्चा और सम्पूर्ण लेखा नहीं हो सकता। हिस्ट्री के लिये प्रमाण की नितान![गंगोलीहाट के जांधवी नौले में उत्कीर्ण शिलालेख](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Inscription_3.jpg?itok=RBhig0WG)
असुर और लौह तकनीक परम्परा - काली कुमाऊँ के विशेष सन्दर्भ में
Posted on 04 Feb, 2019 05:25 PM काली कुमाऊँ उत्तराखण्ड के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है तथा मोटे तौर पर उत्तर में सरयू, दक्षिण में लधिया तथा पूर्व में काली नदियों से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र की पहाड़ियाँ बाँज, बुराँस, चीड़ और देवदार के वनों से ढकी हैं तथा यहाँ चम्पावत, लोहाघाट जैसे उपजाऊ क्षेत्र भी हैं। काली कुमाऊँ अनेक कारणों से प्रसिद्ध है: चन्द राजाओं ने अपनी पहली राजधानी चम्पावत में बनाई, देवीधुरा में आषाढ़ी कौतिक में वाराही क![बाणासुर किले का रेखाचित्र](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Banasur%20fort_3.jpg?itok=p-2lHs_g)
वन विविधता
Posted on 30 Jan, 2019 02:43 PMपूरा भारत 10 पारिस्थितिकीय जैव-विविधता क्षेत्रों में बँटा हुआ है। पिथौरागढ़ व चम्पावत जिले पश्चिमी हिमालय के पारिस्थितिकी क्षेत्र में शामिल हैं। यह क्षेत्र नेपाल के पश्चिम में काली नदी के किनारे-किनारे पिथौरागढ़-चम्पावत से जम्मू कश्मीर तक फैला हुआ है। 1960 में सामरिक महत्व के कारण अल्मोड़ा जिले की नेपाल व चीन की सीमा से लगी तहसीलों को मिलाकर बनाया गया पिथौरागढ़ जिला, 1997 में पिथौरागढ़ एवं चम्पावत![पिथौरागढ़ चम्पावत भूमण्डलीय स्थिति](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/pithoragarh_0_3.jpg?itok=_BKat2GK)
जैविक प्रचुरता और प्रतिनिधित्व
Posted on 24 Jan, 2019 05:47 PMकेन्द्रीय विषय वस्तु को छूने से पूर्व, हमारा प्रयास विषय की गहनता व वैश्विक स्वीकार्यता का एक परिचय कराने का रहेगा। कोशिश यह भी रहेगी कि चयनित क्षेत्र की बात करने से पूर्व हम हिमालय, जिसका छोटा सा प्रतिनिधि क्षेत्र है पिथौरागढ़-चम्पावत, के सन्दर्भ में इस विषय वस्तु की झलक देखें।एक था सरोवर सोर घाटी में
Posted on 07 Jan, 2019 05:09 PMबचपन में अपने ‘मुलुक’ के बारे में पूछता था तो दादी बताती थीं एक ऐसे मैदान के बाबत, जिसमें मीलों तक पत्थर दिखते ही न थे। पहली बार सोर घाटी देखी तो लगा कि दादी ने अतिश्योक्ति की थी। वर्षों घूमा, सर्वेक्षण किया, अध्ययन किया, किन्तु मैदान न दिखा। दिखे पहाड़ ही पहाड़, पत्थर ही पत्थर। थल-सेनाध्यक्ष जनरल विपिन चन्द्र जोशी के आग्रह पर पानी की तलाश में एक बार निकला तो अकस्मात दादी अम्मा का बताया मैदान प
![सरोवर निर्माण प्रक्रिया](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/sarovar_3.jpg?itok=Oj8Igm9j)
पिथौरागढ़ का भूगर्भीय परिचय
Posted on 05 Jan, 2019 11:41 AMदक्षिणी छोर से यदि आरम्भ करें तो भूगर्भीय दृष्टिकोण से चम्पावत-पिथौरागढ़ क्षेत्र को चार भू-भागों में बाँटा गया है-शिवालिक, लघु हिमालय, उच्च हिमालय तथा टैथिस हिमालय। ये भू-भाग एक-दूसरे से चार प्रमुख भ्रंशों या दरारों द्वारा विभाजित हैं: अग्रगामी भ्रंश (हिमालयन फ्रन्टल फाल्ट-HFF), मुख्य सीमा भ्रंश (मेन बाउन्ड्री थ्रस्ट-MBT), मुख्य मध्य भ्रंश (मेन सेन्ट्रल थ्रस्ट-MCT), तथा हिमाद्रि भ्रंश (ट्रान्स
![भूगर्भीय तथा विवर्तनिक मिजाज](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/tectonic%20shift_3.jpg?itok=fOuSSkMJ)
पिथौरागढ़ का भौगोलिक स्वरूप
Posted on 04 Jan, 2019 01:18 PMकिसी भी क्षेत्र का भूगोल उसकी पर्यावरणीय, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक एवं भाषाई स्वरूप के साथ-साथ उसके लोक जीवन के सभी पक्षों को प्रभावित और निर्धारित करता है।
![pithoragarh](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/pithoragarh_4.jpg?itok=MczO6nby)
उत्तराखंड की काली गंगा
Posted on 30 Aug, 2009 06:21 PMपिथौरागढ़ जिले में एक नदी बहती है जिसे काली गंगा भी कहा जाता है। इस नदी को शारदा नदी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता कि देवी काली के नाम से इसका नाम काली गंगा पड़ा। काली नदी का उद्गम स्थान वृहद्तर हिमालय में ३,६०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित कालापानी नामक स्थान पर है, जो भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में है। इस नदी का नाम काली माता के नाम पर पड़ा जिनका मंदिर कालापानी में लिपु-लेख