मुंबई जिला

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मौत को दावत दे रहा शौचालय!
Posted on 14 Oct, 2014 10:16 AM

मुंबई लगभग 20 एकड़ में फैले पहाड़ पर बसे करीब 50 हजार लोग अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। एक शौचालय की जजर्र स्थिति के कारण लोग परेशानी में हैं। पिछले 15 सालों से जान जोखिम में डालकर लोग इस शौचालय का इस्तेमाल कर रहे हैं। सिंगल सीट वाले इस टॉयलेट को शहर के सबसे खतरनाक टॉयलेट का नाम दिया जा रहा है।

Toilet
जमनालाल बजाज पुरस्कार के लिए आवेदन आंमंत्रित
Posted on 30 Dec, 2013 02:49 PM

2014 में रचनात्मक कार्य में विशेष योगदान के लिए


.रचनात्मक सामाजिक कार्य के एक या अधिक क्षेत्रों में विशेष योगदान के लिए व्यक्ति/व्यक्तियों को प्रतिवर्ष प्रदान किया जाने वाला रु.पांच लाख का नकद पुरस्कार, ट्रॉफी तथा प्रशस्तिपत्र।

इस पुरस्कार के अंतर्गत ग्राम विकास, स्वास्थ्य एवं सफाई, खादी एवं ग्रामोद्योग, गो सेवा नशाबंदी, हरिजन एवं आदिवासी कल्याण, कुष्ठरोग निवारण, महिला विकास व बाल कल्याण, साक्षरता प्रसार, कृषि क्षेत्र में सहकारिता एवं सामूहिक प्रवृत्तियों को सशक्त करना, स्थानीय नेतृत्व का निर्माण कर स्वयंसेवी प्रयासों को प्रोत्साहन देना आदि, गांधीजी द्वारा प्रारंभ किए गए रचनात्मक कार्यों पर विचार किया जाता है।
कलम-कूची वाले हाथ में प्लंबिंग का पाना!
Posted on 10 Oct, 2012 11:53 AM मुंबई शहर में पानी की इतनी किल्लत है पर घरों में अक्सर नलों से एक-एक बूंद पानी टपका करता है। इस एक-एक बूंद से रात भर में बाल्टी भर जाती है और फिर पानी मोरी में बहता रहता है। ज्यादातर घरों के नल ठीक से बंद नहीं होते और इस काम के लिए कोई प्लम्बर को नहीं बुलाता। सो आबिद भाई ने अपने मीरा रोड के इलाके में यह फ्री सर्विस शुरू की कि हर घर में मुफ्त में नल चेक किया जाएगा और नल की मरम्मत की जाएगी।
सूखे के छह कारण
Posted on 23 Jul, 2012 10:54 AM

महाराष्ट्र अकेला ऐसा राज्य है जो कृषि के मुकाबले उद्योगों को पानी उपलब्ध कराने को ज्यादा प्राथमिकता देता है। इसलिए सिंचाई योजनाएं बनती हैं तो उनका पानी शहरों में उद्योगों की जरूरतों पर खर्च कर दिया जाता है। अमरावती जिले में ही, जो सबसे ज्यादा सूखाग्रस्त इलाका है, प्रधानमंत्री राहत योजना के तहत अपर वर्धा सिंचाई प्रोजेक्ट बनाया गया, लेकिन जब यह बनकर तैयार हुआ तो राज्य सरकार ने निर्णय लिया कि इसका पानी सोफिया थर्मल पावर प्रोजेक्ट को दे दिया जाए।

फिर से एक बार सूखे के दिन हैं। इसमें नया कुछ भी नहीं है। हर साल दिसंबर और जून के महीनों में हम सूखे से जूझते हैं फिर कुछ महीने बाढ़ से। यह हर साल का क्रमिक चक्र बन चुका है। लेकिन इसका कारण प्रकृति नहीं है जिसके लिए हम उसे दोष दें। ये सूखा और बाढ़ हम मनुष्यों के ही कर्मों का नतीजा है। हमारी लापरवाहियों का, जिनके कारण हम पानी और जमीन की सही देखभाल नहीं करते। हमारी लापरवाही के कारण ही ये प्राकृतिक आपदाएं पिछले कुछ सालों में विकराल रूप लेती रही हैं। इस सालों में महाराष्ट्र का एक बड़ा हिस्सा सूखे की चपेट में आया है जिसके कारण बड़े पैमाने पर किसानों की फसलें चौपट हुई हैं और वे आत्महत्या के लिए विवश हुए हैं। किसानों की मदद के नाम पर मुख्यमंत्री और पैसा चाहते हैं और विपक्ष इस पर अपनी सियासत करता है।
पानी के लिए तरसता महाराष्ट्र
Posted on 07 May, 2012 09:22 AM महाराष्ट्र राज्य के जलाशयों की हालत इतनी खराब है कि अभी सही से गर्मी भी नहीं पड़ रही है और राज्य के सभी बांधों में मात्र 27 प्रतिशत पानी बचा है। पिछले साल यह प्रतिशत 42 था। पुणे क्षेत्र के पिंपलगांव, जोग, टेमघर, गुंजवणी और कूर्डि-वडज बांधों में मात्र चार प्रतिशत पानी बचा है। राज्य के 12 बांध पूरी तरह से सूख गए हैं। राज्य के बड़े बांधों की हालत भी ठीक नहीं है। महाराष्ट्र के पानी की परेशानी के बा
साफ आबोहवा के दुश्मनों का राज्य
Posted on 07 Dec, 2011 01:55 PM

महाराष्ट्र की नदियों को खतरा सिर्फ इस कचरे से ही नहीं है बल्कि उनके दामन पर खनन माफिया के हमले

जमनालाल बजाज पुरस्कारों की घोषणा
Posted on 07 Nov, 2011 11:25 AM

श्री अनुपम मिश्र नईदिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के पर्यावरण कक्ष के प्रभारी एवं द्वैमास

झुग्गियों से मुक्त भारत का सपना
Posted on 11 Oct, 2011 10:28 PM

हमेशा गांव-गांव का शोर मचाती सरकारों को अब शहरों की भी सुध आ ही गई है। शहरों में कम पड़ती नागरि

slum
रावतभाटा परमाणु संयंत्र: सुरक्षा के प्रति लापरवाही
Posted on 21 Jul, 2011 03:54 PM

रावतभाटा परमाणु संयंत्र देश का दूसरा परमाणु विद्युत संयंत्र है। इसके चार दशक से अधिक के इतिहास

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