Posted on 12 Jan, 2014 09:17 AM12 जनवरी 2014, महोबा। अपने खेत में 30 फुट गहरा कुआं खोदकर छ: साल पहले पानी का जतन तो किया था। उसके निर्माण में खुद परिवार सहित मेहनत भी की, और 32 हजार मजदूरी पर खर्च किया। लेकिन उसे पक्का नहीं करवा सके। तो बरसात में जस का तस मिट्टी से पट गया। पक्का न कर पाने की वजह बना नातिन की शादी।
Posted on 12 Jan, 2014 09:06 AM12 जनवरी 2014, महोबा। जिले की तिन्दौली गांव की महिला किसान रामरती पुत्री नन्नुहा भी किसी से पीछे नहीं है। गांव-गली में रामरती के हौसले और हुनर भरे किस्से किसी से भी सुन सकते हैं। आम महिलाओं की तरह वह न तो बुझदिल है न ही कमजोर। फर्राटे से मोटरसायकिल चलाना, सर में पगड़ी बांध कर लाठियां भांजना, निशानेबाजी तो शौक है। हैण्डपम्प की नामी-गिरामी मिस्त्री भी, साथ ही घर पर परचून की दुकान चलाकर अच्छी खासी आम
Posted on 11 Jan, 2014 10:44 AM10 जनवरी 2014, महोबा। जिले के विकासखण्ड कबरई का गांव सलारपुर मप्र जनपद छतरपुर की सीमा से सटा है। गांव के एक बरसाती नाले से लगा, किसान रामकृपाल पुत्र मनुवा व उसके छोटे भाई बाबूलाल की 3 एकड़ ढालूदार, बालू कंकड़ युक्त जमीन है, जिसमें उपजाऊ मिट्टी और सिंचाई के पानी के अभाव में नाम मात्र की फसल हाथ लगती रही है। शायद ही कभी इस जमीन से फायदे की फसल काटने का सौभाग्य मिला हो।
Posted on 11 Jan, 2014 10:25 AM11 जनवरी 2014, महोबा। बदहाली के मुकाम में ठहरे बुंदेलखंड को खुशहाली को राह में लाना कोई आसान बात नही हैं जो किसी संस्था अथवा सरकार के संसाधनों मात्र से हो सके। इस तरह के बदलाव सिर्फ व सिर्फ समुदाय व समाज की अपनी समझ और चाहत से सम्भव है। ऐसा ही कुछ बदलाव बुंदेलखंड में किसानों के खेतों पर श्रृंखलाबद्ध बनते तालाबों से आसार नजर आ रहे हैं। जहां बदहाली का डेरा है।
Posted on 10 Jan, 2014 10:08 AM9 जनवरी 2014, महोबा। जिले में खेतों की प्यास बुझाने के लिए गांव-गांव से किसानों के तालाब की फेहरिस्त और सूचनाओं का ब्यौरा सुबह से शाम तक मिलना आम बात होती जा रही है, जो अपने खेत के पांचवें-दसवें हिस्से में अपना तालाब बनाने के इच्छुक हैं। पर इसी जिले के एक गांव की महिला किसान का हौसला देखते ही बनता है, जिसने अपने खेत को तालाब में तब्दील कर दिखा दिया।
Posted on 07 Jan, 2014 11:30 PM 22 दिसम्बर 2013; महोबा जिले के बरबई गाँव में ‘अपना तालाब अभियान’ विस्तार कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की चर्चा का केंद्र था कि प्रतिभागी किसान आपस में अपने-अपने तालाबों के अनभुव का विनिमय तथा खेतों की जरूरत के अनुरूप आवश्यक विस्तार कार्य योजना।
Posted on 12 Oct, 2013 09:23 AMइस योजना के अंर्तगत केंद्र सरकार से 90 प्रतिशत और राज्य सरकार से 10 प्रतिशत अनुदान शामिल है। यह योजना 8.6 अरब रुपए की है। बांदा, महोबा, हमीरपुर के 112 गांव के किसानों की कृषि भूमि को अधिग्रहित किया जाना है। अब तक 223 किसानों की जमीनें आपसी सहमति से ली जा चुकीं हैं। कुल 30 हजार 0.56 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाएगी। इस लिंक परियोजना को महोबा की धसान नदी से जोड़कर 38.60 किमी लंबी नहर लहचुरा डैम जिसकी क्षमता 73.60 क्यूमिक वाटर कैपसिटी की है को अर्जुन बांध से जोड़ा जाएगा। बांदा। भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना भी जारी नहीं हुई और बुंदेलखंड की महत्वपूर्ण अर्जुन बांध परियोजना में करीब 10 हजार किसानों को उजाड़ने का खाका तैयार कर लिया गया। परियोजना के अंतर्गत डूब क्षेत्र से प्रभावित किसानों के लिए अभी शासन ने पुनर्वास नीति निर्धारित नहीं की और जिलास्तरीय समिति के द्वारा आपसी सहमति से सर्किल रेट के मुताबिक 112 गांव की भूमि इस योजना की जद में हैं। अर्जुन सहायक बांध परियोजना पर एक पड़ताल....
बुंदेलखंड में नदी बांध परियोजना हमेशा ही विवादों के घेरे में रहीं हैं। फिर चाहे केन-बेतवा लिंक परियोजना हो या अर्जुन बांध परियोजना। एशिया के सर्वाधिक बांधों वाले क्षेत्र में एक के बाद एक नदी बांध परियोजनाएं केंद्र सरकार के एजेंडे में शामिल होती हैं और हाशिए पर चली जाती है।
Posted on 27 Sep, 2013 05:41 PMकीरत सागर महोबा का प्रमुख तालाब है। कीरत सागर के विस्तार तथा उसकी उपयोगिता से भी आप परिचित ही होंगे। वर्तमान में कीरत सागर विशाल जलराशि से परिपूर्ण है। पर जलकुम्भी तथा तालाब के चारों ओर फैला कूड़ा-करकट तालाब की जल-गुणवत्ता प्रभावित कर रहा है। कीरत सागर की सुन्दरता तथा उसे जनउपयोगी बनाने के लिये आवश्यकता है कि उसकी स्वच्छता और सफाई के लिये एक अभियान चलाया जाये।
Posted on 27 Sep, 2013 11:21 AM23 नवंबर 2012, जागरण प्रतिनिधि, महोबा। यह महज एक जलाशय नहीं है। कीरत सागर नाम के दोहरे निहितार्थ हैं। लगभग दो सौ एकड़ में फैले क्षेत्र में इसे सागर का स्वरूप दिया तो 1100 साल पहले इसी के तटबंध में चन्देली सेनाओं ने दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान के छक्के छुड़ा अपनी कीर्ति पताका फहराई। शायद इसीलिये महाराजा कीर्तिवर्मन ने इसका नाम कीरत सागर रखा। महोबा के शौर्य की मूक गवाह पुरातत्व संरक्षित यह धरोहर अवैध