मेरठ जिला

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उत्तर प्रदेश के जल में “आर्सेनिक” का जहर
Posted on 17 Mar, 2009 09:39 AM


एक तरफ हम विश्व जल दिवस (22 मार्च) मनाने की तैयारी कर रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र सहस्त्राब्दी लक्ष्य घोषित किए जा रहे हैं, लोगों को साफ सुरक्षित पेयजल मुहैया कराने के जितने प्रयास किए जा रहे हैं वहीं ऐसा लगता है कि मंजिल कोसों दूर होती जा रही है। हाल में मिलने वाली खबरें कुछ ऐसे ही खतरे का संकेत दे रहीं हैं।

छाई खेतों में हरियाली - आई गांवों में खुशहाली
Posted on 14 Nov, 2014 04:07 PM

ड्रिप इरीगेशन पद्धति अत्यंत लाभकारी है। इस तरीके से प्रेशर द्वारा पौधों की जड़ों के पास पानी पहुंचा कर डिपर द्वारा उसे बूंद-बूंद करके टपकाया जाता है। इसके लिए खेत में रबर के पाइप बिछाए जाते हैं। ये पाइप एक बार बिछाने के बाद कम-से-कम 10 साल तक काम करते रहते हैं। महाराष्ट्र, केरल व अन्य कई राज्यों के किसानों ने इसे अपनाया है।

मेरठ के किसान सिंचाई की बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा देकर न केवल पानी की बचत कर रहे हैं, प्रकृति का भी भला कर रहे हैं। पानी के गहराते संकट को देखकर जल पुरुष राजेन्द्र सिंह के क्षेत्र के किसान पानी बचाने की दिशा में सक्रिय हो गए हैं। मानपुर ग्राम के प्रधान श्री कृष्णपाल सिंह ने खुद आगे बढ़कर अपने क्षेत्र की समस्या को जांचा, परखा, देखा और खुद उसका समाधान खोजा। उन्होंने दूसरों की भांति व्यवस्था को नहीं कोसा। वरन् जल संरक्षण की महत्ता को समझा और इस दिशा में पहल करके अपने खेत में ड्रिप इरीगेशन प्लांट लगवाया।
Drip irrigation
गन्ने की फसल बनी वरदान
Posted on 04 Sep, 2014 07:54 AM बालमुकुंद के खेत में हैरतअंगेज गन्ने की इतनी बंपर पैदावार कैसे हुई?
'आओ जानें, अपना पानी' अभियान
Posted on 30 Dec, 2010 10:40 AM

अभियान में निकले चौंकाने वाले तथ्य


भारत नदियों का देश कहा जाता है। यहां पानी के विभिन्न प्रकार के स्रोत व उनकी परम्परा मौजूद रही है। पानी की इसी परम्परा ने भारतीय समाज को एक सभ्य व प्रकृति के साथ जीने वाला बनाया है। भारत के कुल करीब साढे़ छः लाख गांवों में करीब 50 लाख तालाब व अन्य जलस्रोत मौजूद हैं। लेकिन वर्तमान में ये अधिकतर दयनीय हालत में हैं।
कराहती नदियां
Posted on 31 Jul, 2010 09:53 AM आमी का गंदा जल सोहगौरा के पास राप्ती नदी में मिलता है। सोहगौरा से कपरवार तक राप्ती का जल भी बिल्कुल काला हो गया है। कपरवार के पास राप्ती सरयू नदी में मिलती है। यहां सरयू का जल भी बिल्कुल काला नज़र आता है। बताते हैं कि राप्ती में सर्वाधिक कचरा नेपाल से आता है। उसे रोकने की आज तक कोई पहल नहीं हुई। पिछले दिनों राप्ती एवं सरयू के जल को इंसान के पीने के अयोग्य घोषित किया गया। कभी जीवनदायिनी रहीं हमारी पवित्र नदियां आज कूड़ा घर बन जाने से कराह रही हैं, दम तोड़ रही हैं। गंगा, यमुना, घाघरा, बेतवा, सरयू, गोमती, काली, आमी, राप्ती, केन एवं मंदाकिनी आदि नदियों के सामने ख़ुद का अस्तित्व बरकरार रखने की चिंता उत्पन्न हो गई है। बालू के नाम पर नदियों के तट पर क़ब्ज़ा करके बैठे माफियाओं एवं उद्योगों ने नदियों की सुरम्यता को अशांत कर दिया है। प्रदूषण फैलाने और पर्यावरण को नष्ट करने वाले तत्वों को संरक्षण हासिल है। वे जलस्रोतों को पाट कर दिन-रात लूट के खेल में लगे हुए हैं। केंद्र ने भले ही उत्तर प्रदेश सरकार की सात हज़ार करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना अपर गंगा केनाल एक्सप्रेस-वे पर जांच पूरी होने तक तत्काल रोक लगाने के आदेश दे दिए हों, लेकिन नदियों के साथ छेड़छाड़ और अपने स्वार्थों के
सूरज कुण्डः एक परिचय
Posted on 21 Jul, 2010 01:01 PM सूरज कुण्ड मेरठ का अत्यधिक प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण तालाब था। यद्यपि अब यह पूर्ण रूप से सूख चुका है परन्तु इसका गौरवशाली अतीत आज सोचने को विवश करता है कि हम विकास की ओर जा रहे हैं या विनाश की ओर। सूरज कुण्ड के इतिहास को हम तीन भागों में विभक्त कर सकते हैं।

1. प्रारम्भिक अथवा रामायणकालीन।

2. मध्य अथवा महाभारतकालीन।

3. अंगेजी काल से आज तक।
नीर फाउंडेशन को मिला वाटर चैम्पियन अवार्ड
Posted on 09 Apr, 2010 06:24 PM
मेरठ के खाते में एक उपलब्धि उस समय जुड़ गई जब इंटरनेशनल वॉटर एशोसिएशन, नीदरलैण्ड और वर्ल्ड एन्वायरन्मेंट फेडरेशन, अमेरिका द्वारा वर्ल्ड वाटर डे के मौके पर मेरठ स्थित गैर-सरकारी संगठन नैशनल एन्वायरन्मेंटल एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन अर्थात नीर फाउंडेशन को वर्ष 2009 के वॉटर चैम्पियन अवार्ड के लिए चुना गया। वर्ष 2009 के लिए विश्व के अलग-अलग देशों में पानी बचाने की अलख जगाने वाले चुनिंदा 12 उम्
डॉल्फिन को बचाइए
Posted on 06 Apr, 2010 09:10 AM
गंगा हमारी आस्था से जुड़ी वह पवित्र नदी है, जो अपने नाम के साथ अनेक किंवदंतियों, परंपराओं और सभ्यताओं को समेटे हुए है। लेकिन निरंतर बढ़ते प्रदूषण से न सिर्फ गंगा मैली हो गई, बल्कि इसकी गोद में पल रहा हमारा राष्ट्रीय जलीय जीव, गंगा डॉल्फिन, का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया। डॉल्फिन के संबंध में माना जाता है कि यह अति प्राचीन मछली है, जो मानव समाज की दोस्त है। कहा जाता है कि भगीरथ की तपस्या से
कुदरत बचाओ, कैरियर बनाओ
Posted on 14 Feb, 2010 09:51 PM पर्यावरण सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। कुदरत को बचाने की इस मुहिम के परिणामस्वरूप ग्रीन जॉब्स का एक बड़ा मार्केट खड़ा हो रहा है, जहां पे-पैकेज भी अच्छा है। क्या हैं ग्रीन जॉब्स और कैसे पा सकते हैं आप यहां एंट्री, बता रही हैं, शाश्वती।

एक जमाना था जब छात्रों की प्राथमिकता की सूची में सबसे अंत में आता था पर्यावरण विज्ञान यानी इनवायर्नमेंटल साइंस। लेकिन अब इस सूची में यह ऊपर की ओर कदम बढ़ा रहा है। जलवायु परिवर्तन और उससे होने वाले खतरों के विषय में लगातार बढ़ रही जागरूकता और पार्यावरण को बचाने के लिए विश्व के विभिन्न हिस्सों में चल रहे आंदोलनों के कारण अब छात्रों के बीच विषय के रूप में पर्यावरण विज्ञान
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