मेघालय

Term Path Alias

/regions/meghalaya-0

पूर्वोत्तर का स्कॉटलैंड चेरापूंजी
Posted on 16 Aug, 2011 04:32 PM

इसे पूर्वोत्तर का स्काटलैंड भी कहा जाता है। लोग इसे बारिश का स्वर्ग भी कहते हैं। सैलानी यहां सिर्फ बारिश का मजा लेने आते हैं। बारिश के मौसम में तो इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। गहरी घाटियों में गिरते झरनों के शहर का जिक्र हो रहा है। मेघालय की राजधानी शिलांग से 60 किलोमीटर की दूरी पर जिस जगह का जिक्र हो रहा है नाम है चेरापूंजी। बारिश की राजधानी के रूप में चेरापूंजी समुद्र से लगभग 1300 मीटर की ऊ

चेरापूंजी का एक विहंगम दृश्य
पेड़ों से बनते हैं जीवित पुल
Posted on 28 Feb, 2011 11:00 AM

पेड़ हमेशा से हमारे मित्र रहे हैं। इनका इस्तेमाल हम कई रूपों में करते हैं, लेकिन मेघालय के चेरापूंजी में पेड़ों का अनोखा प्रयोग किया जाता है। यहां पाए जाने वाले रबर ट्री की जड़ों से स्थानीय लोग नदी के ऊपर ऐसा मजबूत पुल बना देते हैं कि उस पर से एक साथ 50 लोग गुजर सकते हैं। इन्हें जीवित पुल कहते हैं।

बारिश की राजधानी चेरापूंजी
Posted on 22 Jan, 2009 07:41 AM

चेरापूंजी में होती है सबसे ज्यादा बारिश


बात बारिश की हो और चेरापूंजी का नाम न उठे, हो ही नहीं सकता। भारत का सौभाग्य है कि दुनिया में सर्वाधिक बारिश वाला क्षेत्र चेरापूंजी उसकी धरती पर बसा है। बारिश की राजधानी के रूप में मशहूर चेरापूंजी समुद्र से लगभग 1300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो मेघालय की राजधानी शिलांग से 60 किलोमीटर की दूरी पर है। चेरापूंजी को सोहरा के नाम से भी जाना जाता है। यहां औसत वर्षा 10,000 मिलीमीटर होती है।

फोटो साभार - अमर उजाला
नैसर्गिक सौन्दर्य में गिरावट का दौर
Posted on 21 Feb, 2015 06:33 PM संस्कृत में मेघालय का अर्थ ‘बादलों का घर’ है। इस राज्य की प्राकृतिक सुन्दरता से प्रभावित होकर नोबल पुरस्कार से सम्मानित गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इस नाम की परिकल्पना की थी। भारत के पूर्वोत्तर हिस्से में स्थित इस राज्य की राजधानी शिलाँग को पूरब का स्कॉटलैण्ड कहा जाता है। क्योंकि स्कॉटलैण्ड की जलवायु और परिदृश्य शिलाँग से काफी मिलते-जुलते हैं।
भारत में परिवारों की सुरक्षित पेयजल तक पहुंच
Posted on 13 Oct, 2008 01:21 PM

भारत के पास विश्व की समस्त भूमि का केवल 2.4 प्रतिशत भाग ही है जबकि विश्व की जनसंख्या का 16.7 प्रतिशत जनसंख्या भारत वर्ष में निवास करती है। जनसंख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों पर और भार बढ़ रहा है। जनसंख्या दबाव के कारण कृषि के लिए व्यक्ति को भूमि कम उपलब्ध होगी जिससे खाद्यान्न, पेयजल की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, लोग वांचित होते जा रहे हैं आईये देखें - भारत में परिवारों की सुरक्षित पेयजल तक पहुंच

water availability
×