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पश्चिमी घाट का अनोखा प्राकृतिक सौंदर्य : सैकड़ों नदियों का उद्गम
भारत के पश्चिमी घाट एक अनोखी पारिस्थितिकीय विविधता का संग्रहण है। यहां गोदावरी, कृष्णा और कावेरी जैसी महत्वपूर्ण नदियां उद्गमित होती हैं, और यह वन्यजीवों और पौधों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है। इसके बावजूद, वनस्पतियों की कटाई, खनन और अतिक्रमण के कारण इसकी पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ रहा है। जानिए इसके सौंदर्य के बारे में Posted on 09 Jul, 2024 08:13 AM

हां भारत जैसे विशाल देश में अनोखी पारिस्थितिकीय विविधता पाई जाती है, वहीं पश्चिमी घाट की भारत देश में अपनी एक विशिष्ट पहचान है। पश्चिमी घाट प्रायद्वीपीय भारत की पूर्व दिशा में बहने वाली तीन प्रमुख नदियों गोदावरी, कृष्णा और कावेरी सहित बड़ी संख्या में बारहमासी नदियों का उद्गम स्थल है। यह ऐसे कई पेड़-पौधे और जीव-जन्तुओं का आवास क्षेत्र है, जो विश्व में कहीं और नहीं पाए जाते। उत्तर-पूर्व के वन क्ष

गोबिचेत्तिपालयम से दिखने वाले पश्चिमी घाट. (स्रोत: www.wikipedia.org)
केरल: हर जिले में जैविक खेती पर जोर
जानिए केरल के कोच्चि शहर में स्थित एलुवा स्टेट सीड फार्म के बारे में जिसे भारत का पहला कार्बन न्यूट्रल सीड फार्म है घोषित किया गया है क्यूंकि यह फार्म रसायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं करता है Posted on 15 Mar, 2024 02:28 PM

केरल के कोच्चि शहर में थुरुथ आइलैंड है। यह देश का पहला कार्बन न्यूट्रल सीड फार्म यानी ऐसा खेत जहां से कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। इसे एलुवा स्टेट सीड फार्म नाम दिया गया है। यह एक आदर्श फार्म है, क्योंकि इस फार्म में केमिकल्स का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं होता है। 13.5 एकड़ में फैले इस फार्म में केवल नाव, बोट या रेलवे ट्रैक से चलकर ही पहुंचा जा सकता है। कोई भी वाहन इस फार्म में प्रवेश नहीं कर सकता

केरल में जैविक खेती पर जोर
सफेदा : कई रंग
Posted on 12 Feb, 2010 12:06 PM कहा जाता है कि सफेदा हमारे देश में लगभग दो सौ साल पहले दिखाई दिया था। 1790 में टीपू सुल्तान ने कोलार जिले के नंदी पर्वत पर 16 किस्म के सफेदे लगवाए थे। उसकी कुल 500 किस्मों में से 170 को भारत में आजमाया गया और पांच किस्में बड़े पैमाने पर लगाई गईं। सबसे पहले बड़े पैमाने पर 1856 में नीलगिरि पहाड़ पर यूकेलिप्टस ग्लोबुलुस नामक किस्म लगाई गई। शंकर सफेदा या युकेलिप्टस भूटिकोर्निस, जिसे ‘मैसूर गम’ कहते है
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