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कालाहांडी जिला (ओड़िशा)
कालाहांडी में गरीबी का एक मुख्य कारण है परम्परागत जलस्रोतों का ह्रास
Posted on 06 Apr, 2015 01:33 PMपश्चिम उड़ीसा के कालाहांडी क्षेत्र से कभी तो भुखमरी के दर्दनाक समाचार मिलते हैं तो कभी बेहद गरीबी के कारण मजबूर होकर अपने बच्चे को ही बेच देने के। कभी अनेक दिनों तक मात्र कंद-मूल पर जीवित रहने को मजबूर लोगों की व्यथा-कथा हम यहाँ से प्राप्त समाचारों में पढ़ते हैं तो कभी भीषण अभाव के कारण यहाँ से प्रवास कर दूर-दूर भटकने वाले मज़दूरों की अन्तहीन समस्याएँ हमें सुनाई पड़ती हैं। ग्रामीण दुख-दर्द और अभाव की अति का जैसे पर्याय बन गया है कालाहांडी।कालाहांडी क्षेत्र से हमारा अभिप्राय है कालाहांडी जिला और इससे जुड़े हुए नवापाड़ा और बोलनगीर जैसे जिलों का इलाक़ा। पुराना कालाहांडी जिला बहुत बड़ा होने के कारण वैसे भी प्रशासनिक सहूलियत के लिए दो भागों में बाँट दिया गया है अतः केवल एक जिले की बात न कर तीन-चार जिलों में फैले हुए काफी हद तक एक जैसी समस्याओं वाले क्षेत्र की बात करना अधिक उचित है।
कैसे धान का कटोरा बन गया कालाहांडी
Posted on 31 May, 2013 11:55 AMलगभग 11 लाख की आबादी वाला यह जिला देश के सबसे अधिक गरीबी वाले जिले में रखा जाता था। 1985 में जहां 88 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रहे थे, वहीं आज लगभग 33 फीसदी लोग ही गरीबी रेखा के नीचे हैं। एफसीआइ के अनुसार यहां 1997 में 40 हजार टन चावल खरीदा गया था। जबकि आज यहां 80 हजार टन चावल खरीदा जा चुका है और 1.25 चावल प्राप्त किए जाने की उम्मीद है। यह पूरे राज्य का एक तिहाई है। कृषि जानकारों का कहनकालाहाण्डी की एक रानी बचाती पानी
Posted on 10 May, 2010 09:22 AMमुझे हमेशा यह बात चुभती थी कि क्षेत्र के किसान सिर्फ एक फसल ही ले पाते हैं जबकि दूसरे इलाकों में दोहरी फसल ली जाती है। फिर इधर भुखमरी और बदहाली की निरंतर उठती खबरों ने भी मुझे काफी परेशान किया। मुझे लगा कि इस समस्या का समाधान खेतों में ही निकलेगा।
पश्चिमी उड़ीसा के कालाहांडी अंचल में भुखमरी की एक अहम वजह पानी की किल्लत भी मानी जाती है। इलाके के राजपरिवार ने अब इस दिशा में कुछ सार्थक प्रयास शुरू किये हैं जिनकी कामयाबी साबित करती है कि इस तरह की देसी तकनीक को सरकारी स्तर पर बढ़ावा दिया जाए तो कभी अनावृष्टि और कभी अतिवृष्टि का कोपभाजन बनने वाले इलाकाई किसानों को दोहरी फसल का भी लाभ मिल सकता है।
कालाहांडी क्षेत्र का एक कस्बा राजाखरियार है। यहां एक राजपरिवार का प्राचीन महल है। जिसकी महारानी राजश्री देवी महल से बाहर निकल कर अपनी रियाया की तकलीफों का स्थानीय समाधान ढूंढने में जुटी हैं।