हरिद्वार जिला

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नहीं तोड़ूँगा अनशन
Posted on 01 Jul, 2018 06:46 PM


गंगा की रक्षा के लिये अपने प्राण न्यौछावर कर देने की प्रतिज्ञा ले चुके स्वामी ज्ञान स्वरुप सानंद ने रविवार को एक बार फिर अपनी माँगों के न पूरा होने तक अनशन जारी रखने की बात कही है। यह उन्होंने केन्द्रीय मंत्री पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, उमा भारती द्वारा भेजे गये पत्र के जवाब में कहा है। उमा भारती ने पत्र लिखकर स्वामी सानंद से अनशन खत्म करने की गुजारिश की है।

स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद
सानंद ने गडकरी के अनुरोध को ठुकराया
Posted on 30 Jun, 2018 07:06 PM


गंगा की अविरलता को अक्षुण्ण बनाये रखने के उद्देश्य से स्वामी ज्ञान स्वरुप सानंद द्वारा जारी अनशन के शनिवार को नौवें दिन में प्रवेश कर जाने पर सरकार ने उनकी सुध ली। स्वामी सानंद को नितिन गडकरी, केन्द्रीय मंत्री जल संसाधन, नदी विकास, गंगा संरक्षण, सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं पोत परिवहन की तरफ से अनशन त्यागने का अनुरोध करते हुए एक पत्र मिला।

स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद
सरकार की गंगा भक्ति एक पाखण्ड
Posted on 26 Jun, 2018 07:16 PM


गंगा के उत्थान के लिये अपने प्राण की आहूति देने का प्रण कर चुके स्वामी ज्ञान स्वरुप सानंद का आमरण अनशन मंगलवार को पाँचवे दिन भी जारी रहा। गंगा के संरक्षण के लिये केन्द्र सरकार द्वारा कोई भी कदम नहीं उठाये जाने के कारण स्वामी सानंद ने उसे आड़े हाथों लिया। मंगलवार को हरिद्वार के मातृ सदन में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि "सरकार केवल वोट बैंक की पॉलिटिक्स कर रही है उसे गंगा मैया के पुनरुद्धार या संरक्षण से कोई मतलब नहीं है।

स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद
गंगा की अविरलता बनाए रखने में कोई भी चीज बाधक नहीं बनने दी जाएगी : उमा
Posted on 29 Jun, 2014 10:28 AM हरिद्वार (भाषा)। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा की अविरलता और निर्मलता बनाए रखने में कोई भी चीज बाधक नहीं बनने दी जाएगी।
गंगापुत्र निगमानंद बलिदान
Posted on 13 Jun, 2011 07:04 PM

हरिद्वार की गंगा में खनन रोकने के लिए कई बार के लंबे अनशनों और जहर दिए जाने की वजह से मातृसदन के संत निगमानंद अब नहीं रहे। हरिद्वार की पवित्र धरती का गंगापुत्र अनंत यात्रा पर निकल चुका है। वैसे तो भारतीय अध्यात्म परंपरा में संत और अनंत को एक समान ही माना जाता है। सच्चे अर्थों में गंगापुत्र वे थे।

संत निगमानंद: नैनीताल उच्च न्यायालय की भ्रष्टाचार के खिलाफ 68 दिन से अनशन पर बैठे संत निगमानंद अब कोमा में पहुंचे
गंगा-भक्त निगमानंद को जहर देकर मारने की कोशिश
Posted on 11 May, 2011 03:50 PM

गंगा में अवैध खनन के खिलाफ संत निगमानंद के 19 फरवरी को शुरू हुए अनशन के 68वें दिन 27 अप्रैल 2011 को पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर लिया था। एक संत के जान-माल की रक्षा के लिए प्रशासन ने यह गिरफ्तारी की थी। संत निगमानंद को गिरफ्तार करके जिला चिकित्सालय हरिद्वार में भर्ती किया गया। हालांकि 68 दिन के लंबे अनशन की वजह से उनको आंखों से दिखाई और सुनाई पड़ना काफी कम हो गया था। फिर भी वे जागृत और सचेत थे और चिकित्सा सुविधाओं के वजह से उनके स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था।

लेकिन अचानक 2 मई 2011 को उनकी चेतना पूरी तरह से जाती रही और वे कोमा की स्थिति में चले

पुलिस हिरासत में संत निगमानंद
न्यायपालिका की चौखट पर गंगा-भक्त
Posted on 02 May, 2011 01:24 PM

गंगा में खनन को रोकने के लिए पिछले तीन-चार सालों के अंदर ही लंबे अनशन के कारण मातृसदन के संत निगमानंद अंतबेला में पहुंच चुके हैं। वैसे तो संत का अंत नहीं होता, संत देह मुक्त होकर अनंत हो जाता है। हरिद्वार की भूमि पर हजारों संतों, मठों, आश्रमों, शक्तिपीठों के वैभव का प्रदर्शन तो हम आये दिन देखते रहते हैं। पर हरिद्वार के मातृसदन के संत निगमानंद के आत्मोत्सर्ग की सादगी का वैभव हम पहली बार देख रहे हैं।

देश की स्वाभिमानी पीढ़ी तक शायद यह खबर भी नहीं है कि गंगा के लिए एक संत 2008 में 73 दिन का आमरण अनशन करता है जिसकी वजह से न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का शिकार होता है। और अब 19 फरवरी से शुरू हुआ उनका आमरण अनशन 27 अप्रैल को पुलिस हिरासत से पूरा होता है। संत निगमानंद ने घोषणा की थी कि अगर उनकी मांगे न मान करके सरकार अगर जबर्दस्ती खिलाने की कोशिश करती है, तो वो आजीवन मुंह से अन्न नहीं ग्रहण नहीं करेंगे।

संत निगमानंद: नैनीताल उच्च न्यायालय की भ्रष्टाचार के खिलाफ 68 दिन से अनशन पर बैठे संत निगमानंद अब कोमा में पहुंचेसंत निगमानंद: नैनीताल उच्च न्यायालय की भ्रष्टाचार के खिलाफ 68 दिन से अनशन पर बैठे संत निगमानंद अब कोमा में पहुंचेऐसी धारणा बनती जा रही है कि बेलगाम सरकारों और आपराधिक राजनैतिक तंत्र पर लगाम न्यायपालिका ही लगा पा रही है। पर आम लोगों का बड़ा तबका न्यायपालिका से शायद ही कोई उम्मीद करता है।

विकास की सोचिए
Posted on 08 Oct, 2010 09:20 AM

अभिमत

इस समय उत्तराखंड कुछ जोगियों और संन्यासियों से त्रस्त दिख रहा है, जबकि इन्हें मनुष्यों के त्रास निवारण के भौतिक उपायों के बारे में सोचना चाहिए। जोगी और संन्यासी शब्द में अर्थ का बहुत बड़ा अंतर है। जोगी का संबंध ‘योग’ से है, जबकि संन्यासी का संबंध संसार से असंपृक्तता और वैराग्य से। लेकिन दोनों के आजकल घोर राजनीतिकरण और संसार से अधिकतम संलिप्तता वाले संबंध उजागर हो रहे हैं। हिंदू धर्म में संन्यासी के जो आचरण और कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं, उनके अनुसार उन्हें गृहस्थों के बीच और निकट निवास नहीं करना चाहिए। एकांतवास और कुटिया बनाकर रहना उनके आचरण का प्रमुख हिस्सा है।
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विकास ढांचा बदलने से नदियों की मुक्ति
Posted on 29 Aug, 2010 08:16 AM
गंगा की मुक्ति के लिए काम करने वाले एक बार पुन: उत्साहित हैं। आखिर केन्द्र सरकार के मंत्रिमण्डलीय समूह ने लोहारी नागपाला जल विद्युत परियोजना पर काम रोक दिया है।