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परमाणु रैनेसां का अंत
Posted on 26 Jul, 2011 10:26 AM

जापान में प्राकृतिक विनाशलीला का ताण्डव सारी दुनिया को एक नए किस्म के आर्थिक-राजनीतिक संकट की ओर ले जा रहा है। जापान के भूकंप और परमाणु विकिरण का सामाजिक-आर्थिक राजनीतिक प्रभाव सिर्फ जापान तक सीमित नहीं रहेगा। बल्कि इसका असर आने वाले समय में समूची विश्व राजनीति पर पड़ेगा। खासकर वे देश जो परमाणु ऊर्जा और परमाणु अस्त्रों के बारे में शांतिपूर्ण प्रयोग के बहाने परमाणु खतरे का संचय कर रहे हैं उनके य

जापानी नाभिकीय संयंत्रों का संकट क्या है?
Posted on 26 Jul, 2011 09:53 AM

इस खतरे को रोकने का एक तरीका यह है कि समुद्र के पानी को भीतर पंप किया जाए। इसके अलावा, बोरिक एस

परमाणु सुरक्षा के गैरजिम्मेदार पहरेदार
Posted on 25 Jul, 2011 04:26 PM

संसद का बजट सत्र चल रहा है। बजट पर चर्चा और मंजूरी के दौरान उर्जा के ही एक विकल्प पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी पर हो सकता है सांसद गतिरोध पैदा करें लेकिन सत्र के दौरान संसद की मंजूरी के लिए 36 अन्य विधेयक प्रस्तुत किये जाने हैं। इनमें एक विधेयक परमाणु उर्जा पर अमेरिका से हुए करार से संबंधित है। इस विधेयक के द्वारा यह तय किया जाना है कि अगर कोई विदेशी कंपनी भारत में परमाणु बिजलीघर लगात

परमाणु विकिरण के संग हम
Posted on 25 Jul, 2011 04:22 PM

मानव येन केन प्रकारेण अपने प्रयासों से जो भी पाना चाहता है पा तो लेता है। तब पता लगता है कि ये सुख वास्तव में कितने दुख लेकर आया है और अन्ततः दुख ही रह जाते हैं और सुख विलुप्त हो जाता है। ऐसा ही कुछ जापान में आई सुनामी, भूकम्प और न्यूक्लियर रिएक्टर के विस्फोटों के संदर्भ में कहा जा सकता है। जहाँ सुनामी रोकने के लिए 10 मीटर ऊँचा परकोटा समुद्र किनारे बनाया गया और सुनामी आई 13 मीटर ऊँची और सुख को

क्यों बनाम क्यों : परमाणु शक्ति
Posted on 25 Jul, 2011 04:09 PM

सर्वप्रथम डॉ होमी भाभा को शतश: नमनजिनकी दूरदृष्टि का प्रभाव यह है कि आज भारत के छ: पावर स्टेशन में 20 परमाणु-बिजली की इकाइयां काम कर रही हैं जिनमें 4780 मेगावॉट की क्षमता है। अन्य 29 इकाइयां निर्माणाधीन हैं या किसी योजना के अंतर्गत हैं। यह जानने के बाद स्वाभाविक प्रश्न उठेगा कि ऑस्ट्रेलिया ने इस दिशा में कितनी प्रगति की है?

परमाणु विकिरण संकट
Posted on 25 Jul, 2011 03:35 PM

इस संसार में कोई भी चीज़ अच्छी या बुरी नहीं होती है बल्कि हमारी सोच उसे अच्छा या बुरा बनाती है। जिस प्रकार किसी भी सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी प्रकार परमाणु उर्जा के भी अच्छे व बुरे दोनों पहलू हैं। जहॉ एक ओर परमाणु उर्जा का प्रयोग कर ये मानवता और विश्व शांति के लिए लाभकारी हो रही है, इसके उपयोग से बिजली बनाने, हानिकारक कीटों से बचाव, रेलगाड़ी, कार और बस आदि चलाने का प्रयास, प्राकृतिक स्त्रा

फिर न हों हिरोशिमा, नागासाकी ,चेर्नोबिल
Posted on 25 Jul, 2011 01:37 PM

6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा और 9 अगस्त को नागासाकी शहर पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराए थे । स्वीडन के नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिकवादी हेनेस आल्फवे ने इसे प्रलयंकारी बीमार मानसिकता का द्योतक बताया था । मेगाटन, मेगावाट की तरह दस लाख मौत के लिए ‘ मेगाडेथ ‘ शब्द आ गया । हेनेस आल्फवे ने यह भी कहा कि इन्हें ‘शस्त्र ‘ या ‘हथियार’ कहना अनर्थकारी होगा, गलत उपयोग होगा । इन्हें anhilators – विध्वंसक य

फ़ुकुशिमा में विनाश और भारत के लिये सबक
Posted on 25 Jul, 2011 12:06 PM

परमाणु ऊर्जा विभाग की वेबसाइट में परमाणु ऊर्जा को इसलिये सुरक्षित और श्रेष्ठ बताया गया है क्यों

जापान में तबाही: परमाणु ऊर्जा पर सवाल
Posted on 25 Jul, 2011 10:58 AM

जापान के सेन्दाइ प्रांत में आई सुनामी से हुई तबाही को हम ठीक से स्वीकार भी नहीं कर पाए थे कि परमाणु बिजली-केन्द्रों के धराशायी होने की अकल्पनीय खबर आनी शुरु हो गई है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक उत्तर-पूर्वी जापान के तीन अणु ऊर्जा केन्द्रों – फ़ुकुशिमा, ओनागावा और तोकाई में कुल छह अणु-भट्ठियों में गम्भीर हादसों की खबर आ चुकी है। इनमें सबसे ज़्यादा तबाही फ़ुकुशिमा में हुई है जहाँ कुल दस रिएक्टर

भूकंप
Posted on 22 Jul, 2011 04:06 PM भूकंप आज भी ऐसा प्रलय माना जाता है जिसे रोकने या काफी समय पहले सूचना देने की कोई प्रणाली वैज्ञानिकों के पास नहीं है। प्रकृति के इस तांडव के आगे सभी बेबश हो जाते हैं। सामने होता है तो बस तबाही का ऐसा मंजर जिससे उबरना आसान नहीं होता है। अभी तो चीन में ही आए भूकंप को देख लीजिए। भरी दुपहरिया में जब लोग या तो अपने काम पर थे या फिर घरों में औरतें-बच्चे अपनी बेफिक्र जिंदगी में आने वाले इस मौत के तांडव से
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